Saturday, 21 December 2024, 4:22:50 am

अब ऑनलाइन खरीदारी में नहीं मिलेगी बंपर छूट

रिपोर्ट: साभारः

देश में ऑनलाइन खरीदारी के कारोबार (ई-कॉमर्स) से जुड़ी कंपनियां बाजार हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए बंपर छूट दे रही थी। लेकिन नए उपभोक्ताओं के जुड़ने और लगातार बढ़ते घाटे से इन कंपनियों ने छूट की सीमा को घटाने की शुरुआत कर दी है। पिछले साल अक्तूबर के त्योहारी मौसम में देश की सबसे बड़ी ई-कॉमर्स कंपनी फ्लिपकार्ट ने 90 फीसदी तक छूट की पेशकश की थी। वहीं अन्य घरेलू कंपनी स्नैपडील और अमेरिकी कंपनी की भारतीय इकाई आमेजन ने भी प्रतिस्पर्धा में भारी छूट दी थी। बिक्री के मोर्चे पर कंपनियों को छूट की पेशकश का फायदा जरूर मिला है लेकिन इससे उनका नुकसान करीब दो गुना हो गया है। सूत्रों के मुताबिक फ्लिपकार्ट ने छूट घटाने की शुरुआत कर दी है तथा अगले छह माह में वह उसमें और कटौती की योजना पर काम कर रही है। जानकारों का मानना है कि अन्य कंपनियों भी जल्द इस तरह के कदम उठा सकती हैं क्योंकि देश में कोई भी ई-कॉमर्स कंपनी लाभ की स्थिति में नहीं है। आंकड़ों के मुताबिक ई-कॉमर्स कंपनियों को 100 रुपये की बिक्री पर प्रति किताब 24 रुपये, मोबाइल पर 13 रुपये और कपड़ों पर आठ रुपये का नुकसान हो रहा है। फ्लिपकार्ट को एक रुपये के राजस्व पर 2.23 रुपये का घाटा हो रहा है, वहीं अमेजन को 1.90 रुपये और स्नैपडील को 1.72 रुपये का नुकसान हो रहा है। फ्लिपकार्ट को वर्ष 2013-14 में करीब 400 करोड़ रुपये का घाटा हुआ, जबकि अमेजन को 321.3 करोड़ रुपये और स्नैपडील को 264.46 करोड़ रुपये का नुकसान उठाना पड़ा। इसी तरह वर्ष 2012-13 में फ्लिपकार्ट को 281.7 करोड़ रुपये और वर्ष 2011-12 में 109.9 करोड़ रुपये का घाटा हुआ। इसी अवधि में स्नैपडील को क्रमश: 120 करोड़ और 81 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। वैश्विक बाजारों में भी स्थिति बेहतर नहीं है और दुनिया की सबसे बड़ी और चीन की ई-कॉमर्स कंपनी अलीबाबा ही सबसे अधिक 40 फीसदी मुनाफा कमाने में सफल है। वहीं अमेजन वर्ष 1994 में शुरुआत से अब तक घाटे में चल रही है। नंबर गेम 60 फीसदी की सालाना की दर से बढ़ रहा ई-कॉमर्स भारत 3.5 अरब डॉलर है भारत का मौजूदा ई-कॉमर्स बाजार 2.3 रुपये तक नुकसान हो रहा कंपनियों को एक रुपये की कमाई पर 24 रुपये का घाटा प्रति 100 रुपये किताब की बिक्री पर 13 रुपये का नुकसान प्रति 100 रुपये मोबाइल की बिक्री पर 08 रुपये का घाटा प्रति 100 रुपये कपड़ों की बिक्री पर क्यों है लोकप्रिय घर बैठे विभिन्न ब्रांड के उत्पाद तक पहुंच और उसकी तुलना, सामान मिलने पर भुगतान (कैश ऑन डिलिवरी) और एक तय समय में उसकी वापसी की सुविधा ने उपभोक्ताओं को काफी आकर्षित किया है। वहीं, मोबाइल के जरिये खरीदारी के विकल्प ने इसे छोटे शहरों और ग्रामीण क्षेत्र के उपभोक्ता तक इसकी पहुंच आसान कर दी है। देश के ई-कॉमर्स कारोबार में 40 फीसदी हिस्सेदारी छोटे शहरों की है।


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