पटना : 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में अपनी वजूद बचाने की लड़ाई लड़ेगी लालू प्रसाद की पार्टी आरजेडी| राष्ट्रीय जनसंभावना पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेन्द्र सहनी ने यह वक्तव्य देते हुए कहा है कि जन-उपेक्षा और कार्यकर्ताओं की अनदेखी के कारण राजद के अंदर दो बड़े नेताओं के बीच घमासान जारी है जिसकी बुनियाद राजद की कमान तेजस्वी के हाथों में आते ही पड़ चुकी थी| अनुभवहीनता, नासमझी और युवराज होने के अहंकार में तेजस्वी यादव द्वारा लिए गये फैसले राष्ट्रीय जनता दल पर कहर बन कर टूट रहा हैं| बिहार पर 15 वर्षों तक एकछत्र राज करने वाली राजद 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में चारो खाने चित हो गयी| उन्होंने कहा कि जमीनी राजनीति और जनता के मनोभाव से अंजान राजद के युवराज जिसे चाहते हैं पार्टी में आगे बढाते हैं या किनारे लगा देते हैं| इससे पार्टी कार्यकर्ताओं और नेताओं के अंदर आक्रोश व्याप्त है जो राष्ट्रीय जनता दल के अस्तित्व को खत्म कर देगा|
दरअसल, जगदानंद सिंह ने कहा है कि महागठबंधन के लालू प्रसाद ही सर्वेसर्वा होगें और तेजस्वी के नेतृत्व में महागठबंधन चुनाव लडेंगी| इस बार चुनावी मैदान में 150 सीटों पर राजद अपना प्रत्याशी उतरेगा| जगदानंद के इस वक्तव्य पर नाराजगी जाहिर करते हुए रघुवंश प्रसाद सिंह ने चुनावी तैयारी के बहाने लालू प्रसाद को एक पत्र लिखकर पार्टी संगठन खड़ा नहीं किये जाने और विपक्ष के द्वारा राजद के खिलाफ लगाये गये आरोपों का सही ढंग से जबाव नहीं दिये जाने का आरोप लगाया है| लालू परिवार के करीबी रहे जगदानंद को राजद के प्रदेश अध्यक्ष का कमान मिलने के बाद से ही रघुवंश प्रसाद सिंह की नाराजगी देखने को मिल रही है| बिहार की सियासत में जातीय समीकरण काफी अहम होता है, ऐसे में पार्टी के अंदर जगदानंद सिंह का दबदबा देख रघुवंश प्रसाद सिंह को लगने लगा है कि राजद में बाबू साहब (राजपूत) का मतलब जगदाबाबू है|
श्री सहनी ने कहा कि वर्षों से पार्टी के लिए खून-पसीना देने वाले समर्पित नेताओं और कार्यकर्ताओं को अब पार्टी में घुटन महसूस होने लगी है| यही कारण है कि विधानसभा चुनाव आते ही पार्टी के अंदर हंगामा शुरू हो गया है| राजद नेताओं और कार्यकर्ताओं का गुस्सा आनेवाले दिनों में इस कदर भड़केगा कि लालू की परिवाररूपी पार्टी आरजेडी के अस्तित्व को जमींदोज कर देगा| 2020 के चुनाव के बाद बिहार में राजद का नामोनिशान नही बचेगा|