बिना ड्राइवर की कारें अब परीक्षण के दौर से निकल कर सड़कों पर आने की तैयारी कर रही हैं. बीएमडब्ल्यू, ऑडी, मर्सिडीज, टोयोटा जैसी बड़ी वाहन कंपनियां ऐसी कारों के अपने प्रोटोटाइप पेश कर चुकी हैं. अब इनके आपके घर तक पहुंचने में बहुत ज्यादा समय नहीं लगेगा. एक सर्वेक्षण के मुताबिक, सन 2035 तक दुनिया की सड़कों पर 1.2 करोड़ कारें बिना ड्राइवर की होंगी. यह कुल कार बाजार का 10 प्रतिशत होगा. अमेरिका के लास वेगास में बीते छह से नौ जनवरी तक चले कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स शो में इस बार बिना ड्राइवर की कारों का बोलबाला रहा. कार को बिना स्टीयरिंग थामे चलाने का अत्याधुनिक अनुभव दिलाने की होड़ में बीएमडब्ल्यू, ऑडी, मर्सिडीज बेंज जैसी कंपनियों ने इसमें अपने मॉडल पेश किये. लेकिन इन कारों को खरीदने के लिए ग्राहकों को थोड़ा इंतजार करना होगा. इन्हें बाजार में आने में अभी समय लगेगा. अनुमान है कि पहली ऑटोमेटिक कार 2025 तक ही बाजार में आ पायेगी. बिना ड्राइवर की कारों के बारे में लोगों का ख्याल है, इसे जानने के लिए बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप (बीसीजी) द्वारा किये गये एक सर्वेक्षण के अनुसार, अमेरिका के 44 प्रतिशत कार ड्राइवरों ने माना कि वे अगले 10 सालों में पूरी तरह से ऑटोमेटिक (स्वचालित) कार खरीदना की इच्छा रखते हैं. जबकि 20 प्रतिशत का यह कहना था कि वे ऐसी गाड़ी चलाने के लिए जरूरी उन्नत तकनीक पर अतिरिक्त तीन लाख रुपये खर्च करने को तैयार हैं. बीसीजी के ग्लोबल ऑटोमोटिव प्रैक्टिस के मुखिया थॉमस डॉनर का इस बारे में कहना है कि यह पिछले सौ सालों में कार उद्योग में आया सबसे बड़ा बदलाव होगा. वैसे फिलहाल जनरल मोटर्स, फॉक्सवैगन, ऑडी और मर्सिडीज बेंज जैसी कंपनियां अर्ध-स्वाचिलत कार प्रणाली पर काम कर रही हैं, जिसमें गाड़ी चलाने के लिए हमें थोड़ा हाथ-पैर हिलाना होगा. ऐसी कारों की पहली खेप एक-दो सालों मेंबाजार में उतर सकती है. यह प्रणाली सबसे पहले 2016 में आनेवाली कैडिलैक सीटी6 और 2017 में आनेवाली ऑडी ए8 में नजर आने वाली है. मर्सिडीज बेंज के मुख्य कार्यकारी डायटर जेशे और ऑडी के मुख्य तकनीकी अधिकारी अलरिक हैकेनबर्ग का कहना है कि आनेवाले पांच से 10 सालों में हम आंशिक रूप से स्वचालित प्रणालियों से लैस गाड़ियां पेश करने जा रहे हैं. इस लिहाज से देखें तो हम यह कह सकते हैं कि आनेवाले कुछ सालों में अर्ध-स्वचालित कारों का बोलबाला होगा और उसके बाद पूरी तरह से स्वचालित, यानी बिना ड्राइवर के चलनेवाली कारें बाजार में उतरेंगी. लेकिन यह प्रक्रिया थोड़ी धीमी है और उद्योग के जानकारों का मानना है कि स्वचालित कारों का सन 2025 से पहले बाजार में उतरना मुश्किल है. डॉनर का कहना है कि इन कारों में सुरक्षा का पहलू सबसे अहम होगा. इन कारों में ड्राइविंग के दौरान अन्य काम कर सकने की भी सहूलियत होगी. इसके अलावा, ऑटोमेटिक होने के नाते इनके बीमा और ईंधन पर भी खर्च कम आयेगा. बहरहाल, इन कारों के पुरजे बनानेवाली कंपनियां स्वचालित प्रणाली पर चलनेवाली गाड़ियों की रफ्तार को ऊंचाई देने के लिए नयी तकनीक और नये हार्डवेयर डिजाइन कर रही हैं. बीसीजी के मुताबिक, शुरुआती स्व-चालन प्रणाली से लैस कारें दो सालों में बाजार में आनी शुरू हो जायेंगी, जो ड्राइवर को ट्रैफिक और पार्किग की झिकझिक से बचाने में मदद करेगी. इसके बाद, 2018 तक कारों में हाइवे ऑटोपायलट सिस्टम नजर आने शुरू हो जायेंगे, जिनमें अपने आपलेन बदलने की खूबी होगी. आगे चल कर पूरी तरह से स्वचालित कारें धीरे-धीरे बाजारों में अपनी जगह बनाने लगेंगी. और बीस सालों में आप कार चलाते हुए सेल फोन पर कॉल तो क्या, लगभग हर वह काम कर पायेंगे, जिन्हें करते हुए अब तक आपको डर लगता है कि आपकी कार कहीं किसी चीज से टकरा न जाये.