पिछड़ा वर्ग आयोग को PM मोदी ने दिलाया संवैधानिक दर्जा- सुशील कुमार मोदी

रिपोर्ट: इन्द्रमोहन पाण्डेय

उप-मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा कि जिन लोगों ने पिछड़ों-अतिपिछड़ों को बंधुआ मजदूर समझ कर 15 साल तक राज किया, उन्हें इस समाज पर अपनी मोनोपली खत्म होने से जलन हो रही है। भाजपा ने जब से पिछड़े समाज के नरेंद्र भाई मोदी को प्रधानमंत्री  बनाया, तब से उनके खिलाफ जारी अमर्यादित और अनर्गल बयानबाजी उसी जलन से भरी हुई है। 
पिछड़ों के प्रति प्रधानमंत्री की प्रतिबद्धता और पीएमओ पर सवाल उठाने वालों को पता नहीं है कि प्रधानमंत्री के निजी सचिव राजीव टोप्नो आदिवासी समाज से हैं। उप मुख्यमंत्री ने कहा कि एनडीए सरकार में जो राज्यपाल बनाये गए, उनमें गंगा प्रसाद चैरसिया और श्री कल्याण सिंह जहां पिछड़े समाज से हैं, वहीं सत्यदेव नारायण आर्य और  बेबी रानी मौर्य रविदास समाज से हैं। श्री मोदी ने कहा कि लालू प्रसाद महिलाओं को रिजर्वेशन देने का विरोध करते हैं, जबकि बिहार में एनडीए सरकार ने पंचायतों में महिलाओं को 50 फीसद और पुलिस बल में 35 फीसद रिजर्वेशन दिया।  प्रधानमंत्री मोदी ने पहली बार पांच महिलाओं को राज्यपाल बनने का अवसर दिया।
किंग मेकर बनते फिरे लालू प्रसाद बतायें कि जब वे पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा नहीं दिला पाये, तब यह ऐतिहासिक काम किसने किया? मोदी सरकार ने न केवल आयोग को संवैधानिक दर्जा दिलाया, बल्कि कर्पूरी फार्मूला के अनुसार इसका गठन कर प्रोफेसर भगवान लाल साहनी को आयोग का अध्यक्ष नियुक्त कराया।
श्री मोदी ने कहा कि जिन्हें वंशवादी राजनीति के चलते बड़ा पद मिल गया है, वे न पिछड़ों का संघर्ष जानते हैं, न इस समाज की उपलब्धियों को सेलेब्रेट करने का हौसला रखते हैं। 

 


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