गौरव दिवस : बिहार बोले तो आर्थिक क्षेत्र में तेजी से उभरता प्रदेश

रिपोर्ट: ramesh pandey

बिहार माने गौरवशाली अतीत ही नहीं, देश में तेजी से विकासित हो रहा प्रांत भी है. बिहार आर्थिक क्षेत्र में तेजी से उभरता राज्य है. इसने कई क्षेत्रों में दूसरे राज्यों को पीछे छोड़ा है और राष्ट्रीय औसत से आगे है. बिहार की इस विकास दर और इसके आर्थिक सुधार का अन्य राज्यों ने भी लोहा माना है. आर्थिक विशेषज्ञ इस बदलाव को बिहार के समावेशी विकास का नतीजा मानते हैं. सकल घरेलू उत्पाद यानी जीएसडीपी में बिहार राष्ट्रीय औसत से आगे है. केंद्रीय सांख्यिकी संगठन की रिपोर्ट के मुताबिक बिहार की औसत वार्षिक जीडीपी वृद्धि दर 7.6 प्रतिशत है, जबकि राष्ट्रीय वृद्धि दर 6.8 प्रतिशत. बिहार देश के सबसे तेजी विकास दर वाले राज्यों में है. यह राष्ट्रीय औसत में बड़ा योगदान कर रहा है. प्रतिव्यक्ति आय में भी बिहार तेजी से आगे बढ़ रहा है. बिहार में प्रति व्यक्ति आय राष्ट्रीय औसत का लगभग 35 प्रतिशत है, जबकि एक दशक पहले यह दर लगभग 33 प्रतिशत थी. बिहार विकास के मामले में तेजी से आगे बढ़ता राज्य है. 2011-12 में यहां प्रति व्यक्ति आय 29190 रुपये थी, जो अब 39944 रुपये है. बिहार की अर्थव्यवस्था के विकास में हर क्षेत्र का योगदान है. इसमें कंस्ट्रक्शन क्षेत्र का 17.7 प्रतिशत, बिजली गैस और जलापूर्ति का 15.2, व्यापार, मरम्मत, होटल और जलपानगृह का 14.6 प्रतिशत, परिवहन भंडारण और संचार का 12.6 प्रतिशत का योगदान है. अर्थशास्त्री इसे विकास का संतुलित व्यवहार मानते हैं. बिहार में वाहनों की संख्या में तेजी से बढ़ोत्तरी हुई है. मोटर वाहनों के मामले में बिहार पश्चिम बंगाल के बाद देश का दूसरा सबसे तेज वृद्धि वाला राज्य है. बिहार में पांच साल में निबंधित वाहनों की संख्या 15.4 प्रतिशत की वार्षिक दर से बढ़ी है. पश्चिम बंगाल में विकास की यह दर 24.2 प्रतिशत है. टेलिफोन कनेक्शन भी विकास को मापने का एक पैमाना है. बिहार टेलिफोन कनेक्शन में तेजी से आगे बढ़ा है. 2001 में राज्य में 9.7 लाख टेलिफोन कनेक्शन थे. 2016 में यह बढ़ कर 748 लाख हो गये. राज्य में 2001 में दूरभाष घनत्व 1.15 था, जो 2016 में 54.3 हो गया. यह बदलाव ग्रामीण क्षेत्रों में भी आनुपातिक रूप से हुआ है. बिहार में बिजली की उपलब्धता में पिछले छह वर्षों में लगभग 120 प्रतिशत वृद्धि हुई. 2011-12 में 1712 मेगावाट बिजली उपलब्ध थी. 2016-17 में अक्तूबर तक 3769 मेगावाट हो गयी. 2012-13 तक बिजली की कमी लगभग 30 प्रतिशत थी, जो 2015-16 में घट कर लगभग 16 प्रतिशत रह गयी. बैंकिग सेक्टर में भी बिहार तेजी से बढ़ा है. राज्य में कॉमर्शियल बैंकों की कुल 6661 शाखाएं हैं. इनमें 55 प्रतिशत बैंक ग्रामीण क्षेत्रों में हैं.


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