पटना : बिहार के मुख्यमंत्री द्वारा सोमवार को दिये गये रात्रि भोज में राज्यपाल समेत पक्ष-विपक्ष के विधायक और विधान पार्षद बड़ी संख्या में शामिल हुए. यह भोज मुख्यमंत्री आवास एक अणे मार्ग में अायोजित किया गया था. मुख्यमंत्री ने सभी दलों के विधान मंडल सदस्यों को न्योता दिया था. जदयू से अलग होने के करीब चार साल बाद भाजपा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की ओर से आयोजित रात्रि भोज में शामिल हुई. इस भोज में राज्यपाल रामनाथ कोविंद, बिहार विधानसभा के अध्यक्ष विजय कुमार चौधरी, विधान परिषद के सभापति अवधेश नारायण सिंह समेत महागंठबंधन के नेता-मंत्री शामिल हुए. भाजपा नेताओं ने खुले दिल से भोज में शिरकत की खास यह कि भाजपा के नेताओं ने भी खुले दिल से भोज में शिरकत की. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने खुद सभी की अगवानी की. राजनीतिक दलों के बीच की दूरियों को मिटाते हुए नेताओं ने लजीज व्यंजनों का स्वाद लिया. बिहार विधानमंडल में सवालों के जरिये एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाने वाले नेता इस भोज में एक टेबुल पर एक साथ खाते दिखे. राजद सुप्रीमो तो खुद भोज में शामिल नहीं हुए, लेकिन... राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद तो खुद भोज में शामिल नहीं हुए, लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी, उपमुख्यमंत्री तेजस्वी प्रसाद यादव और स्वास्थ्य मंत्री तेज प्रताप यादव मौजूद थे. भाजपा से सुशील मोदी, मंगल पांडेय, विनोद नारायण झा समेत अन्य नेता रहे मौजूद भाजपा की ओर से पार्टी के विधानमंडल दल के नेता सुशील कुमार मोदी, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष मंगल पांडेय, विजय कुमार सिन्हा, विनोद नारायण झा समेत अन्य विधायक-विधान पार्षद मौजूद थे. वहीं, कांग्रेस की ओर से पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष सह शिक्षा मंत्री अशोक चौधरी, पार्टी विधायक दल के नेता सदानंद सिंह समेत अन्य नेता भी मौजूद थे. भाजपा के शामिल होने और नहीं होने के लग रहे थे कयास इस भोज में बिहार सरकार के अधिकतर मंत्रियों के अलावा महागंठबंधन के तीनों दलों के विधायक-विधान पार्षदों भी मौजूद थे. मुख्यमंत्री की ओर से आयोजित भोज में आरंभ में भाजपा के शामिल होने और नहीं होने के कयास लग रहे थे. भाजपा के उत्साहित और युवा तुर्क नेताओं का मत था कि 2009 में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने गुजरात के तत्कालीन सीएम नरेंद्र मोदी समेत भाजपा के तमाम नेताओं के लिए आयोजित भोज को आखिरी क्षणों में रद्द कर दिया था. इसलिए इस भोज मेें भी शामिल होने का कोई मतलब नहीं है. ऐसे नेताओं में में पहली बार विधायक बने मिथिलेश तिवारी का नाम प्रमुख हैं. भाजपा नेता प्रेम कुमार नहीं हुए शामिल हालांकि, बुजुर्ग और अनुभवी नेता और विधानसभा में विपक्ष के नेता डाॅ प्रेम कुमार भी भोज में शामिल नहीं हुए. लेकिन, भाजपा के जिम्मेवार और फेस माने जानेवाले नेताओं में सुशील कुमार मोदी और अन्य का भोज में शामिल होना एक स्वस्थ्य परंपरा के तौर पर देखा जा रहा है. भोज के बाद बाहर आने पर जदयू विधान पार्षद नीरज कुमार ने कहा कि इसे सौहार्द के तौर देखा जाना चाहिए. वहीं, भाजपा विधायक विजय कुमार सिन्हा ने कहा कि राजनीतिक मौसम बदलता रहता है. 29 को सभापति, 30 को स्पीकर भी देंगे भोज बजट सत्र के चार दिन बाकी रहे गये हैं. विधान परिषद के सभापति की ओर से 29 मार्च को भोज का आयोजन है. वहीं, अगले दिन 30 अप्रैल को विधानसभा के अध्यक्ष विजय कुमार चौधरी की ओर से विधायकों को भोज पूर्व निर्धारित है. आम तौर पर अध्यक्ष और सभापति के भोज में सभी दलों के नेताओं और मंत्रियों के शामिल होने की परंपरा रही है.