नयी दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को केंद्र सरकार को आदेश दिया कि वह उसे उस बम को बनाने के षडयंत्र से जुड़ी जांच के बारे में सूचित करे, जिससे पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की वर्ष 1991 में हत्या की गयी थी. इस हत्याकांड में दोषी ठहराये गये एजी पेरारिवालन ने दावा किया था कि बम बनाने के पीछे के षडयंत्र संबंधी पहलू की उचित जांच नहीं की गयी, जिसके बाद न्यायालय ने सरकार से इस मामले में की गयी जांच के बारे में पूछा. इस खबर को भी पढ़ेंः सुप्रीम कोर्ट का सीबीआइ को निर्देश : राजीव गांधी हत्याकांड की जांच कब तक पूरी करेंगे, समय बतायें न्यायमूर्ति रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि इस पहलू की दोबारा जांच का या आगे की जांच का क्या परिणाम निकला? कृपया हमें यह बताएं. हम केवल यह जानना चाहते हैं. मामले की अगली सुनवाई अगले सप्ताह होगी. दोषी एजी पेरारिवालन के लिए पेश हुए वकील गोपाल शंकरनारायणन ने पीठ को बताया कि जिस बम से राजीव गांधी की हत्या की गयी थी, उसे बनाने के पीछे के षडयंत्र समेत कई पहलुओं पर इस मामले में उचित तरीके से जांच नहीं की गयी. इससे पहले, न्यायालय ने इस मामले में पेरारिवालन की मौत की सजा को उम्र कैद की सजा में बदल दिया था. तमिलनाडु के श्रीपेरुंबुदूर में 21 मई, 1991 की रात राजीव गांधी की एक चुनावी रैली में एक आत्मघाती बम से हत्या कर दी गयी थी. यह आत्मघाती बम हमले का शायद पहला ऐसा मामला था, जिसमें किसी हाई प्रोफाइल वैश्विक नेता की जान गयी थी.