जेल से रिहा होते ही मसर्रत ने मुल्क के खिलाफ उगला जहर

रिपोर्ट: साभार

जेल से मेरी रिहाई के कारण भारत की संसद में बहस और लड़ाई हो रही है, देखा जाए तो यह ईश्वर का आशीर्वाद और उपहार है। जम्‍मू-कश्मीर की बारामुला जेल से रिहा होने के बाद कट्टर अलगाववादी नेता मसर्रत आलम ने ये बात अपने पहले साक्षात्कार में कही। एक अंग्रेजी अखबार को दिए साक्षात्कार में मसर्रत ने कहा कि भारत की संसद में हो रहा हंगामा दिखाता है कि कश्मीर फैली खामोशी, जिसे आम तौर पर शांति मान लिया गया है, कितनी कमजोर है। भारतीय नागरिक और भारत सम‌र्थित संस्‍थाएं हमारे विचारों और भरोसे से भयभीत हैं। उल्लेखनीय है कि 2010 में कश्मीर में भड़के भारत विरोधी प्रदर्शनों के आरोप में गिरफ्तार मसर्रत को साढ़े चार साल तक जेल में रखने के बाद पिछले सप्ताह रिहा किया गया। मसर्रत की रिहाई के कारण जम्‍मू-कश्मीर की पीडीपी-बीजेपी गठबंधन सरकार संकट में आ गई। पीडीपी ने मसर्रत की रिहाई के समर्थन में है, जबकि भाजपा ने खुलकर फैसले का विरोध किया। सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद में मसर्रत आलम की रिहाई का विरोध किया। उन्होंने कहा कि मुफ्ती मोहम्‍मद सईद ने मसर्रत की रिहाई का फैसला केंद्र सरकार को जानकारी दिए बिना किया। हालांकि मंगलवार को जम्मू-कश्मीर सरकार के दो पत्र सामने आए, जिनसे ये खुलासा हुआ कि मसर्रत की रिहाई का फैसला मुफ्ती सरकार के बजाय फरवरी महीने में राज्यपाल शासन में ही ले लिया गया था। राज्यपाल शासन केंद्र की सरपरस्ती में ही काम करता है। जम्‍मू-कश्मीर में अलगाववादी आंदोलन का नया चेहरा और हुर्र‌ियत कांफ्रेंस के आला नेता सैयद अली शाह ‌गिलानी के उत्तराधिकारी माने जाने वाले मसर्रत ने कहा कि जहां विरोध करने पर जेल में डाल दिया जाता हो या उन्हें घर में ही नजरबंद कर दिया जाता हो ताकि वे आम लोगों तक पहुंच ना सकें, अपनी बात और विचारों को किसी को बता न सकें, उसे लोकतंत्र नहीं कहा जा सकता है। मसर्रत फिलहाल हुर्र‌ियत कांफ्रेस का मह‌ासचिव और जम्मू-कश्मीर मुस्लिम लीग का चेयरमैन है। जम्मू-कश्मीर में हाल में संपन्न विधानसभा चुनावों में हुए भारी मतदान को लेकर उसने कहा कि कश्मीरी के आज भी आजादी के साथ हैं, लेकिन उन्होंने ऐसे दमनकारी माहौल में अपनी रोजमर्रा की मजबूरियों के कारण मतदान किया ‌था। मसर्रत ने कहा कि भारत में विरोध करने पर लोगों को जेल में क्यों डाला जाता है, ऐसा केवल इसलिए है क्योंकि यहां लोकतंत्र नहीं है। मसर्रत श्रीनगर के हब्बाकडाल इलाके के जैनादार मोहल्ले में अपनी पत्नी, चाचा और बहन के साथ रहता है।


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