महात्मा गांधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे की तारीफ पर भले ही संसद में बवाल हो गया हो, लेकिन गोडसे से जुड़ा संगठन राजधानी में उसकी प्रतिमा लगाकर उसे सम्मानित करने की तैयारी में है। यहां के मंदिर मार्ग पर मौजूद देश के सबसे पुराने हिंदू संगठनों में से एक हिंदू महासभा ने राजस्थान के किशनगढ़ से गोडसे की प्रतिमा तैयार करवाई है। इस प्रतिमा को उस रूम में रखा गया है, जहां गोडसे अपने दिल्ली दौरे में हत्या की योजना बनाने के लिए ठहरा करता था। हालांकि, प्रतिमा लगाने के लिए स्थान और तारीख का चुनाव अब तक नहीं हो पाया है। हिंदू महासभा के अध्यक्ष चंद्र प्रकाश कौशिक ने इकनॉमिक टाइम्स को बताया कि संगठन सरकार को चिट्ठी लिखकर कम से कम देश के 5 उन शहरों के लिए पूछेगा, जहां गोडसे की प्रतिमा लगाई जा सकती है। उन्होंने बताया, 'अगर सरकार इसकी मंजूरी नहीं देती है, तो हम खुद अपने लॉन में इस मूर्ति को स्थापित करेंगे। हमारे यहां सभी महापुरुषों की मूर्ति है। फिर गोडसे की क्यों नहीं?' मार्बल से बनी गोडसे की इस मूर्ति के लिए इसी साल जुलाई में ऑर्डर दिया गया था और पिछले महीने यह बनकर हिंदू महासभा के ऑफिस में पहुंचा। कौशिक ने बताया, 'हम मूर्ति की स्थापना के लिए सही समय का इंतजार कर रहे हैं। हम इसके लिए राजधानी में एक बेहतर सार्वजनिक स्थल चाहेंगे।' गोडसे हिंदू महासभा का सदस्य था और 1948 में महात्मा गांधी की हत्या से एक दिन पहले उसने इस ऑफिस का दौरा किया था। जिस रूम में वह ठहरा था, उसे इस संगठन ने काफी सहेजकर रखा था। यह संगठन अब मुख्य तौर पर संस्कृत की वापसी, हिंदू पाकिस्तानियों की सुरक्षा और भारत में पाश्चात्यीकरण के बढ़ते असर को रोकने के लिए काम करता है। कौशिक ने कहा, 'हम नहीं मानते कि गोडसे ने गांधी के साथ जो किया, वह हिंसा थी। वह ब्राह्मण थे। अखबार के संपादक थे। उन्होंने इस कदम को उठाने से पहले सभी विकल्पों का आकलन किया था।' हिंदू महासभा के इस ऑफिस के परिसर में ही आरएसएस की पहली शाखाएं लगी थीं। इस ऑफिस की दीवार पर सावरकर, मदन मोहन मालवीय, श्यामा प्रसाद मुखर्जी की तस्वीरें टंगी हैं। गोडसे की तस्वीर अंदरखाने में रखी जाती है और मांगे जाने पर यह पेश की जाती है। ज्यादा खोजबीन करने पर महासभा के मेंबर्स एक तरफ बने कई मकानों की तरफ इशारा करते हैं, जहां तब जंगल हुआ करता है। गोडसे ने यहीं पर गोली चलाने की प्रैक्टिस की थी।