पटना 10 जुलाई : ‘मछुआरा दिवस’ के अवसर पर आज स्थानीय मीन भवन पटना में मछुआरा दिवस समारोह का आयोजन किया गया। इस समारोह में राज्य के कोने-कोने से आये मत्स्यपालन उद्योग से जुड़े प्रतिनिधियों ने भाग लिया। इस समारोह में राज्य में मत्स्यपालन की वर्तमान स्थिति, इसमे आनेवाली समस्याएं एवं उनके समाधान पर मत्स्यपालकों ने आपस में विस्तारपूर्वक चर्चा किया| कॉफ्फेड के प्रबंध निदेशक सह फिश्कोफेड नई दिल्ली के निदेशक ऋषिकेश कश्यप निषाद एवं आगत अतिथियों ने मछुआरा दिवस समारोह का उद्घाटन संयुक्त रूप से किया|
मछुआरा दिवस समारोह को संबोधित करते हुए ऋषिकेश कश्यप ने कॉफ्फेड द्वारा मछुआरों के हित में किए गए कार्यो एवं लिए गए निर्णयों को साझा करते हुए मछुआरों को आश्वस्त किया कि मछुआरों के हितार्थ लड़ाई आगे भी अनवरत जारी रहेगी| श्री निषाद ने कहा कि ‘मछुआरा दिवस’ का मुख्य उद्देश्य राज्य में मत्स्यपालन के जरिये मत्स्य उत्पादन को बढ़ावा देकर राज्य में ‘नीली क्रांति’ लाना है ताकि प्रदेशवासी आन्ध्रप्रदेश द्वारा उत्पादित बासी मछली के बजाय ताजी मछली का आनंद उठा सके। उन्होंने कहा कि वर्तमान बिहार को लगभग दो लाख मैट्रिक टन मछली जिसकी कीमत दो हजार करोड़ रूपये से अधिक है, का आयात आन्ध्र प्रदेश से करना पड़ता है। ऐसे में जबकि जलाशय/तालाबों के मामले में बिहार आन्ध्र प्रदेश से काफी आगे हैं। राज्य सरकार द्वारा दीर्घकालीन बन्दोबस्ती के स्थान पर अल्पकालीन बन्दोबस्ती मत्स्यपालन में सबसे बड़ी बाधा है, जिसकी वजह से मत्स्यजीवी सहकारी समितियों को कोई भी वित्तीय संस्थान ऋण उपलब्ध् नहीं कराती है।
ऋषिकेश कश्यप ने कहा कि बाढ़ एवं सुखाड़ की स्थिति में मछुआरो द्वारा पाली गयी मछलियाँ नष्ट होने के बावजूद भी मत्स्य फसल बीमा योजना नहीं रहने के कारण मत्स्यपालकों को कोई लाभ नहीं मिल पाता है और न ही मुआवजा मिलता है। उबेर ओला ऐप के तर्ज पर मछली बाजार ऐप विकसित किया गया है, जिसके माध्यम से राजधानीवासियों को घर बैठे जिन्दा एवं ताजी मछली मुहैया करायी जा रही है| इस व्यवस्था को शीघ्र ही पूरे देश में प्रारम्भ की जाएगी।
समारोह की अध्यक्षता करते हुये कॉफ्फेड के अध्यक्ष सकलदेव सहनी ने कहा कि राज्य सरकार उच्च न्यायालय, पटना के आदेश के आलोक में परम्परागत मछुआरों की सूची जारी करते हुए राज्य के सभी मत्स्यजीवी सहयोग समिति से गैर मछुआरों को निष्कासित करे। राज्य सरकार से आग्रह करते हुए उन्होंने कहा कि मात्र एक रूपये का टोकन राशि लेकर जलकरों की बन्दोवस्ती की जाय, भूमिहीन मछुआरों को पॉंच डिसमिल जमीन उपलब्ध् कराया जाय एवं मछुआरा आवास एवं सामुदायिक भवन का निर्माण किया जाय। इसके अलावा गंगा नदी सहित अन्य नदियों में निःशुल्क शिकारमाही हेतु परिचय-पत्र निर्गत किया जाय। केन्द्र प्रायोजित राहत एवं बचत योजना लागू किया जाय, गोताखोरों की नियुक्ति की जाय, सरकारी तलाबों को अतिक्रमण मुक्त किया जाय एवं उसके जीर्णोद्धार की व्यवस्था सुनिश्चित की जाय।
विजय कुमार सहनी पूर्व, उपाध्यक्ष, मछुआरा आयोग, राकेश कुमार निषाद, संघ के पूर्व अध्यक्ष, एवं शिवशंकर निषाद, पूर्व उपाध्यक्ष ने अपने संबोधन पर इस बात पर विशेष बल देते हुए कहा कि प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना के अन्तर्गत देश के 41 लाख मछुआरों का बीमा किया गया है। इसमें बिहार राज्य के तीन लाख मछुआरों का बीमा शामिल है। बिहार मे बीमा की सम्भावनाएं अधिक है, इसलिए राज्य सरकार से अनुरोध किया गया है कि इनकी संख्या कम-से-कम दस लाख किया जाए।
उल्लेखनीय है कि हाल ही में भारत सरकार एवं भारतीय जीवन बीमा निगम ने मिलकर फिश्कोफेड को प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना लागू करने के लिए नोडल एजेंसी घोषित किया है, जिसके अन्तर्गत कुल वार्षिक प्रीमियम 330 रू0 में 165 रू0 भारत सरकार द्वारा भुगतान करने का निर्णय लिया गया है। समारोह में सम्मिलित वक्ताओं ने राज्य सरकार से अनुरोध किया है कि शेष 165 रू0 राज्य सरकार द्वारा भुगतान किया जाए ताकि मछुआरों को इस योजना का लाभ निःशुल्क मिल सके। मत्स्यपालकों को जल्द-से-जल्द मत्स्य किसान क्रेडिट कार्ड निर्गत किया जाय। समारोह में मछुआरों की आर्थिक, सामाजिक एवं शैक्षणिक विकास पर भी गंभीरतापूर्वक चर्चा की गयी|
समारोह का मंच संचालन नरेश कुमार सहनी, निदेशक, कॉफेड एवं समारोह में आये हुए अतिथियों का स्वागत मीडिया प्रभारी जयशंकर एवं सुघीर कुमार सहनी ने किया| अरूण सहनी एवं रामचन्द्र बिन्द ने धन्यवाद ज्ञापन किया|
इस अवसर पर प्रदीप कुमार सहनी, महेश सहनी, अजेन्द्र कुमार सहनी, निदेशक देवेन्द्र कुमार, मदन कुमार, अजय कुमार ठाकुर, अजय कुमार आनंद, आरती कुमारी, गुड़िया कुमारी, रूबी बेगम, गुड्डी बेगम सहित कई लोगों ने अपने विचार व्यक्त किये।