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यदि सच में बहुत मन हो रहा हो ‘रोना’ रोने को, तो उसे एक डायरी में लिख लें. खूब लिखें, दिल खोल कर लिखे. फिर उसे बार-बार पढ़ें, जितनी बार मन करें पढ़ें. बिलकुल उसी नशे का अनुभव आनंद मिलेगा, जो आप दूसरों को सुनाते हुए महसूस करती हैं. इसी क्रम में आपको उस समस्या का हल भी सूझने लगेगा. दोस्तो, ये बिलकुल आजमाया हुआ नुस्खा है. कोई दूसरा आपकी कमजोरियों से भी अवगत नहीं हो पायेगा. आपकी एक संपूर्ण आत्मविश्वासी छवि भी बरकरार रहेगी. दूसरों के सामने रोना रोने की आदत त्यागें. अपने आपको परहित में लगाइए. अनाथ आश्रम, वृद्धाश्रम या दिव्यांगोंकी संस्था में जाकर देखिए, आपको अपना दुख, अपनी समस्या छोटी लगेगी.