पटना : क्या ठंड से लोगों के मरने का इंतज़ार कर रही है नीतीश सरकार? असली देशी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन यादव ने यह आरोप लगाते हुए कहा है कि पटना सहित बिहार के कई जिले सीवियर कोल्ड की चपेट में है| हाड़ कंपा देनेवाली इस ठंड की ठिठुरन से गरीबों को काफी परेशानी हो रही है जिन्हें सहायता पहुंचाने की बजाय सरकार और उसके प्रशासनिक अधिकारियों को सुस्ती छायी हुई है| मानों वे ठंड से लोगों की मौत का इन्तजार कर रहे हैं| उन्होंने कहा कि सरकार के नाक के नीचे राजधानी पटना के गांधी मैदान की चहारदीवारी की आड़ में बैठकर हजारों फूटपाथी गरीब लोग कंपकंपाती ठंड में इस उम्मीद से बैठकर रात गुजारने को विवश है कि उन्हें सरकार की तरफ से मदद मिलेगी| लेकिन सरकारी तंत्र की संवेदनहीनता के कारण अब तक न उन्हें कम्बल मुहैया कराया गया और न ही राजधानी पटना के किसी चौक-चौराहे पर अलाव जलाने की व्यवस्था की गयी है जो काफी दुर्भाग्यपूर्ण है|
बता दें कि तेज सर्द पछुआ हवा चलने की वजह से पटना समेत पूरा बिहार ठंड की चपेट में है| गुरुवार को चालू मौसम में पटना का न्यूनतम पारा 7.6 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया जो सामान्य से 3 डिग्री कम है जबकि अधिकतम तापमान सामान्य से 7 डिग्री की गिरावट दर्ज की गयी| बिहार में गुरुवार को डेहरी, पटना, गया, मुजफ्फरपुर, सुपौल, भागलपुर व फारबिसगंज में सीवियर कोल्ड डे था जहाँ पारा 10 डिग्री सेल्सियस से नीचे रहा| ठंड बढ़ने के कारण कई जिलों में मौसम सामान्य होने तक स्कूलों को बंद कर दिया गया है|
श्री यादव ने कहा कि जल-जीवन-हरियाली यात्रा में जनता के पैसे का दुरूपयोग करके इस प्रदेश के मुखिया गरीब-गुरबों का मसीहा बनने का ढोंग रचाते हैं जबकि जमीनी हकीकत यह हैं कि सुशासन बाबू के राज में अतिक्रमणमुक्त अभियान और सरकारी संवेदनहीनता के कारण सबसे ज्यादा गरीब ही प्रताड़ित हो रहे हैं| राज्य सरकार से मांग करते हुए उन्होंने कहा कि ठंड से जूझ रहे बिहार के सभी इलाकों में तत्काल सार्वजनिक स्थलों एवं चौक-चौराहों पर अलाव जलाने की व्यवस्था करने के साथ ही जरुरतमंदों के बीच कम्बल वितरित करे नीतीश सरकार| सवालिया लहजे में ललन यादव ने पूछा है कि गरीबों के प्रति नीतीश कुमार अगर इतने ही संवेदनशील हैं तो इस कड़कड़ाती ठंड में अब तक अलाव जलाने की व्यवस्था क्यों नहीं की गयी, इसके लिए कौन जिम्मेवार, क्या ठंड से गरीबों की मौत के बाद नीतीश कुमार और उनके सरकारी तंत्र की कुम्भकर्णी निद्रा खुलेगी? क्या गरीब-गुरबों के मसीहा बननेवाले सुशासन बाबू लापरवाह अधिकारियों पर कार्रवाई करेंगे?