वाराणसी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रेलवे के निजीकरण की चर्चा को सिरे से खारिज करते हुए कहा, न कभी ऐसी इच्छा रही और न कभी इसके बारे में सोचा। तालियों की गड़गड़ाहट के बीच उन्होंने कहा कि उनसे ज्यादा रेलवे से कोई प्यार नहीं कर सकता, क्योंकि उन्होंने गुजरात के एक रेलवे स्टेशन पर ही चाय बेचते हुए अपना बचपन व्यतीत किया है। रेलवे यातायात का महत्वपूर्ण साधन ही नहीं बल्कि देश के विकास में भी अहम योगदान करने वाला संस्थान है। विदेशी निवेश से रेलवे का कायाकल्प प्रधानमंत्री ने कहा कि देश के आधारभूत ढांचे के विकास के लिए विदेशी निवेश की जरूरत है। रेलवे का विकास भी इस निवेश से किए जाने की योजना है। इसी को गलत तरीके से पेश करके कुछ लोगों ने रेलवे के निजीकरण की अफवाह उड़ा दी। उन्होंने कहा कि विदेशी सहयोग से आधारभूत ढांचे का विकास दुनिया भर में हो रहा है। इसका मतलब यह नहीं कि कोई संस्थान विदेशी हाथों में सौंप दिया जाए। रेलकर्मियों को किसी तरह की चिंता जरूरत नहीं है। 4500 हॉर्स पावर क्षमता का वातानुकूलित ट्रेन इंजन राष्ट्र को समर्पित रेलकर्मियों के बीच मोदी ने यह आश्वासन गुरुवार को डीजल लोकोमोटिव वर्क्स (डीएलडब्ल्यू) में कार्यशाला के विस्तार की परियोजना का उद्घाटन करते हुए दिया। इस मौके पर प्रधानमंत्री ने 4500 हॉर्स पावर क्षमता का वातानुकूलित ट्रेन इंजन भी राष्ट्र को समर्पित किया। देश के चारों कोनों में चार रेल विश्वविद्यालय खोलने की घोषणा करते हुए मोदी ने रेलवे के संसाधनों का अन्य क्षेत्रों में भी लाभ लेने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि जिन ग्रामीण स्टेशनों पर बिजली की व्यवस्था है, वहां दो-तीन कमरे बनाकर युवाओं के लिए स्किल डेवलपमेंट कक्षाएं चलाई जा सकती हैं। अपनी सांसद निधि, वाराणसी कैंट रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्मो पर बेंच लगाने के लिए देने वाले नरेंद्र मोदी ने आह्वान किया कि सभी सांसद अपनी निधि से अपने क्षेत्र के रेलवे स्टेशनों पर बेंच लगवाएं ताकि हजारों यात्रियों के बैठने की व्यवस्था हो सके।