Monday, 23 December 2024, 12:46:57 pm

जानें इन बीमारियों को: स्वस्थ रहेंगे आप

रिपोर्ट: साभारः

हमारी जीवनशैली और दैनिक व्यस्तता कई बार हमें स्वास्थ्य के बारे में सोचने का मौका नहीं देती। परिणाम यह होता है कि एक समय के बाद हॉस्पिटल के चक्कर लगाना मजबूरी बन जाती है। तो क्यों न नए साल में हम पांच सामान्य समस्याओं के बारे में जानें, ताकि उन बीमारियों की आशंका से दूर रह सकें। इन स्वास्थ्य समस्याओं से दूर रहने के उपाय बता रही हैं शमीम खान हम सभी अब अपनी सेहत को लेकर चिंतित रहने लगे हैं, क्योंकि अब स्वास्थ्य संबंधी अनेक समस्याएं सामने आने लगी हैं। हमारी जीवनशैली बदल गई है और हम ज्यादा आराम तलब हो गए हैं। दिनभर ऑफिस में कुर्सी पर बैठ कर काम करना, शारीरिक सक्रियता की कमी, जंक फूड का सेवन, तनाव का बढ़ता स्तर और अनिद्रा आदि लोगों के स्वास्थ्य को बुरी तरह प्रभावित कर रहे हैं। आधुनिक जीवनशैली लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता को कमजोर बना रही है, जिससे वे बीमारियों के आसान शिकार बन रहे हैं। डायबिटीज, ब्लड प्रेशर, हार्ट समस्याएं, मोटापा और कुपोषण की समस्याएं दबे पांव कब पास आ जाती हैं, कई बार पता भी नहीं चलता। तो क्यों न नए साल में कुछ बातों का ध्यान रखा जाए ताकि ये बीमारियां हम तक न पहुंच पाएं और हम स्वस्थ जीवन जी पाएं। रक्तचाप यानी ब्लड प्रेशर इससे निर्धारित होता है कि आपका हृदय कितनी मात्रा में रक्त पंप करता है और जब रक्त धमनियों में बहता है तो उसे कितने प्रतिरोध का सामना करना पड़ता है। हृदय जितना ज्यादा रक्त पंप करेगा और धमनियां जितनी संकरी होंगी, ब्लड प्रेशर उतना ही ज्यादा होगा। हर पांच में से एक व्यक्ति का ब्लड प्रेशर असामान्य होता है। ब्लड प्रेशर के प्रमुख कारणों में शारीरिक स्वास्थ्य, खानपान की आदतें और जीवनशैली प्रमुख हैं। यही नहीं मौसम में होने वाला बदलाव भी हमारे ब्लड प्रेशर को प्रभावित करता है। आमतौर पर सर्दियों में ब्लड प्रेशर अधिक और गर्मियों में कम होता है। क्या हैं रिस्क फैक्टर आनुवंशिक कारण नमक का सेवन बढ़ाने से रक्त का दाब बढ़ जाता है महिलाओं में मेनोपॉज एक प्रमुख वजह होती है मोटापा और शारीरिक रूप से सक्रिय न रहना तनाव। लक्षण सिरदर्द चक्कर आना अचानक शरीर के एक हिस्से में कमजोरी अनुभव होना बेहोश हो जाना सांस फूलना अनियमित धड़कनें। क्या करें चोकरयुक्त आटे की रोटी खाएं अधिक से अधिक फल और सब्जियों का सेवन करें उच्च रक्तचाप से पीडित लोग अपने भोजन में नमक की मात्रा कम और निम्न रक्तचाप से पीडित लोग अधिक रखें। घर का बना सादा खाना खाएं, जंक फूड नहीं। हृदय रोग का मतलब है हृदय की मांसपेशियों तक रक्त पहुंचाने वाली धमनियों में किसी भी कारण से रक्त के प्रवाह में रुकावट पैदा होना। इस कारण हृदय की मांसपेशियों को भोजन व ऑक्सीजन नहीं मिल पाती और वो मरने लगती हैं। कमजोर पड़ा हृदय शरीर में रक्त के प्रवाह को कायम नहीं रख पाता और जान जाने का खतरा पैदा हो जाता है। इस पूरी प्रक्रिया को हार्ट अटैक आना कहा जाता है। हार्ट अटैक को पहले वयस्कों की बीमारी माना जाता था, लेकिन अब यह तेजी से युवाओं की बीमारी बनती जा रहा है। आज इससे ग्रस्त होने की औसत उम्र 40 से घटकर 30 साल हो गई है। क्या हैं रिस्क फैक्टर आनुवंशिक कारण, अगर माता-पिता को हृदय रोग हो शारीरिक रूप से सक्रिय न रहना, कोई व्यायाम-योग-चहलकदमी न करना खानपान की गलत आदतें जैसे अधिक कार्बोहाइड्रेट, कम प्रोटीन, उच्च वसा वाली डाइट्स रक्त में कोलेस्ट्रॉल और शुगर का उच्च स्तर रक्तदाब अधिक होना मेनोपॉज को पहुंच चुकी महिलाएं अत्यधिक धूम्रपान और शराब का सेवन। लक्षण छाती में दर्द पसीना अधिक आना घबराहट दिल की धड़कनें तेज हो जाना चलने और सीढियों पर चढ़ने में छाती में दर्द होना, सांस फूलना आधी रात में सांस फूलना ठंडा पसीना आना डायबिटीज के रोगियों में ये लक्षण दिखाई नहीं देते हैं, ऐसे लोग साइलेंट हार्ट अटैक के शिकार होते हैं। क्या करें तनाव न पालें, जीवन का आनंद लें व्यायाम करें, इससे मेटाबॉलिज्म बढ़ेगा, मोटापा और थकान कम होगी रक्त में शुगर के स्तर को नियंत्रित रखें संतुलित और पोषक भोजन का सेवन करें ब्लड प्रेशर को नियंत्रित रखें नियमित रूप से ईसीजी कराएं (अगर हृदय रोगों की आशंका हो तो ईको और टीएमटी कराएं) नियमित रूप से ब्लड शुगर, कोलेस्ट्रॉल और बीपी की भी जांच कराएं। मोटापा मोटापा एक मेडिकल स्थिति है, जिसमें शरीर पर वसा की परतें इतनी मात्रा में जमा हो जाती हैं कि वो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो जाती हैं। इसकी वजह से डायबिटीज, हाइपरटेंशन, हार्ट फेलियर, अस्थमा, कोलेस्ट्रॉल, अत्यधिक पसीना आना, जोड़ों में दर्द, बांझपन आदि का खतरा बढ़ जाता है। लक्षण भार बढ़ना बीएमआई 25 से अधिक हो जाना कपड़ों की साइज बढ़ जाना। क्या करें भार नियंत्रित रखे संतुलित भोजन खाएं (उचित प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट और वसा कम, ढेर सारे फल, सलाद और खूब सारा पानी पिएं) एक दिन में 600 ग्राम हरी सब्जियां खाने की कोशिश करें। (आलेख के विशेषज्ञ हैं सरोज सुपर स्पेशिएलिटी हॉस्पिटल के डॉ. बी के अग्रवाल और रॉकलैंड हॉस्पिटल के डॉ. दीपक खुराना) पोषकता की कमी अधिकतर लोगों के लिए भोजन का मतलब उस खाने से होता है, जिससे हमारा पेट भर जाए। लेकिन भोजन केवल पेट भरने के लिए ही नहीं होता, बल्कि यह हमारे शरीर को ऊर्जा देता है और स्वस्थ रखता है। हमारा स्वास्थ्य इस बात पर निर्भर करता है कि हमारे भोजन से हमें कितना पोषण मिल पाता है। भोजन से पेट तो भर जाता है, लेकिन शरीर और मस्तिष्क को उचित पोषण नहीं मिल पाता। समय के साथ पोषक तत्वों की कमी गंभीर शारीरिक और मानसिक रोगों का कारण बन जाती है। क्या हैं रिस्क फैक्टर डाइटिंग जंक फूड और कार्बोनेटेड ड्रिंक्स का सेवन खाने में अत्यधिक चूजी होना खाना पकाने की गलत विधियां। लक्षण कमजोरी भार कम होना पैरों में दर्द होना हाथों और पैरों में कंपकंपी पेट में संक्रमण। क्या करें मौसमी फल और सब्जियां अधिक से अधिक खाएं। आपका भोजन जितना रंग-बिरंगा होगा, उतना ही पोषक होगा ताजा भोजन करें, भोजन को बार-बार गर्म न करें। भोजन में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, वसा, विटामिन्स और मिनरल संतुलित मात्रा में हों। डायबिटीज अभी कुछ साल पहले तक यह बीमारी सिर्फ वयस्कों में देखी जाती थी, लेकिन डायबिटीज रिसर्च सेंटर के अनुसार पिछले पांच वर्षों में 16-25 आयु वर्ग के लोगों में यह बीमारी तेजी से फैली है। डायबिटीज तब होती है, जब अग्नाशय पर्याप्त मात्रा में इंसुलिन नहीं बना पाता या जब शरीर प्रभावकारी तरीके से अपने द्वारा स्रवित इंसुलिन का उपयोग नहीं कर पाता। इंसुलिन एक हार्मोन है, जो रक्त की शर्करा को नियंत्रित रखता है। डायबिटीज को साइलेंट बीमारी कहते हैं, क्योंकि 15-20 प्रतिशत मरीजों में इसके कोई बाहरी लक्षण नजर नहीं आते। क्या हैं रिस्क फैक्टर आनुवंशिक कारण, अगर माता-पिता को डायबिटीज है तनाव, अगर लगातार तनाव में जीते हैं अल्कोहल का सेवन और भोजन में पोषक तत्वों की कमी। लक्षण बार-बार मूत्र-त्याग करना शरीर का भार कम होना अधिक प्यास लगना पैरों में दर्द होना। क्या करें जो लोग मोटापे के शिकार होते हैं या जिनके परिवार के अन्य सदस्यों को यह बीमारी होती है, उन्हें समय-समय पर अपने शुगर लेवल की जांच करानी चाहिए अपना वजन नियंत्रित रखें तनाव न पालें शारीरिक सक्रियता बढ़ा दें रक्त में शुगर के स्तर को उतार-चढ़ाव से बचाने के लिए थोड़े-थोड़े अंतराल में मिनी मील खाएं।


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