पारा गिरने के साथ दिल के मरीजों की दिक्कतें बढ़ने लगीं हैं। चिकित्सकों के मुताबिक सर्दी के मौसम में हार्टअटैक का खतरा सामान्य दिनों की अपेक्षा कई गुना तक बढ़ जाता है। सर्दी के मौसम में खून गाढ़ा हो जाने के कारण शरीर में रक्त का संचार सही तरके से नहीं हो पाता। ऐसे में दिल के रोगियों को सावधानी बरतने की जरूरत होती है। पीजीआई, लखनऊ में प्रोफेसर डॉ. राकेश कपूर के मुताबिक, पहली बार अटैक आया है तो मरीज को पांच घंटे के भीतर या इससे भी पहले उपचार मिल जाना चाहिए। दूसरी बार अटैक में चार और तीसरी बार में तीन घंटे के भीतर उपचार मिल जाना चाहिए। अमूमन देखा गया है कि मरीज को अस्पताल तक आने में ही एक से डेढ़ घंटे का समय लग जाता है और कई बार उसके इस बात की जानकारी ही नहीं होने पर कई घंटे लग जाते हैं। डॉ. कपूर के मुताबिक, दिल की बीमारी से बचने के लिए नियमित रूप से कम से कम दो घंटे तक व्यायाम करें। शरीर के वजन को कंट्रोल में रखने की कोशिश करें। शाकाहारी बनें, हरी सब्जियां, सलाद का सेवन करें। तीन बार खाना खा सकते हैं, लेकिन कंट्रोल रखें। उन्होंने कहा कि सर्दी में गर्म कपड़े पहनें, ब्लड प्रेशर कम न होने दें। नियमित जांच कराएं, दिक्कत होने पर डॉक्टर के पास पहुंचें। सर्दी में पाचन क्रिया शिथिल रहती है, इसलिए हल्का भोजन लें। जंक फूड या फिर चिकनाई युक्त खाना खाने से बचें। डॉ. कपूर ने कहा कि जिन लोगों को डायबिटीज की समस्या अनुवांशिक है, उन्हें तुरंत अपने वजन पर नियंत्रण कर लेना चाहिए। डायबिटीज का फास्टिंग लेबिल 110 के नीचे और खाना खाने के बाद का 180 के नीचे रहना चाहिए। इससे ऊपर है तो डॉक्टर से सलाह लें। उन्होंने कहा कि हाई ब्लड प्रेशर के मरीजों को हार्ट अटैक का खतरा रहता है, ब्रेन हेमरेज भी हो सकता है। हाई ब्लड प्रेशर के मरीजों को 40 साल की उम्र के बाद रक्तचाप की जांच कराते रहना चाहिए। नॉर्मल ब्लड प्रेशर 120/80 होना चाहिए। 150/90 से ऊपर है तो खतरा है।