भारतीय सेना, राष्ट्र के गौरव और हमारी स्वाधीनता के प्रहरी हैं: राष्ट्रपति कोविन्द
भारत के राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने गुरुवार को दुनिया का सबसे ऊंचा युद्धक्षेत्र सियाचिन बेस कैम्प का दौरा कर वहां तैनात जवानों से बातचीत की| इससे पहले साल 2004 में राष्ट्रपति डॉ| एपीजे अब्दुल कलाम के इस बेस कैम्प के दौरे पर गए थे| राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने कुमार पोस्ट का भी दौरा किया| इस दौरान राष्ट्रपति ने जवानों को संबोधित करते हुए कहा, "आपसे मिलने के लिए मेरे उत्साह के पीछे एक विशेष कारण था| मैं व्यक्तिगत रूप से आपको यह संदेश देना चाहता था कि सीमाओं की रक्षा करने वाले सैनिकों और अधिकारियों के लिए सभी भारतीयों के दिल में विशेष सम्मान है|"
राष्ट्रपति ने कहा कि, "सियाचिन में अपने वीर सैनिकों से मिलने का सौभाग्य मिला। सशस्त्र बलों के सर्वोच्च कमांडर के रूप में अपने सैनिकों पर गौरव का अनुभव करता हूं। आप राष्ट्र के गौरव और हमारी स्वाधीनता के प्रहरी हैं। आपकी सावधानी व चौकसी के भरोसे देश के नागरिक चैन की नींद सोते हैं|" उन्होंने कहा कि, "हर भारतीय उनके (सैनिकों) प्रति आभारी है तथा उनके एवं उनके परिवारों के साथ खड़ा है|"
बता दें कि सियाचिन दुनिया का सबसे ऊंचा युद्धक्षेत्र है, जहां भारतीय जवानों को दुश्मन के साथ-साथ खराब मौसम का भी सामना करना पड़ता है| ग्लेशियर भारत-पाकिस्तान सीमा पर हिमालय क्षेत्र में स्थित है| खराब मौसम की वजह से वहां आने वाले एवलांच के चलते जवानों की शहादत होती है| सियाचिन की ऊंचाई 22,000 फीट है (विश्व की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई 29,000 फीट है) और तापमान न्यूनतम से 45 डिग्री सेल्सियस से भी कम रहता है|
यहां साल 2016 में एक एवलांच में फंसने के कारण 10 भारतीय सैनिक शहीद हो गए थे| साल 1984, जब से भारत ने इस इलाके में अपना कब्जा जमाया, तब से अब तक 882 जवान शहीद हो चुके हैं|
ट्विटर के माध्यम से राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने अपना उदगार व्यक्त करते हुए कहा-- सियाचिन में अपने वीर सैनिकों से मिलने का सौभाग्य मिला। सशस्त्र बलों के सर्वोच्च कमांडर के रूप में अपने सैनिकों पर गौरव का अनुभव करता हूं। आप राष्ट्र के गौरव और हमारी स्वाधीनता के प्रहरी हैं। आपकी सावधानी व चौकसी के भरोसे देश के नागरिक चैन की नींद सोते हैं : राष्ट्रपति कोविन्द
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