कोविड-19 महामारी के बीच सोमवार से शुरू हो रहे संसद के मानसून सत्र में कांग्रेस पार्टी ने मोदी सरकार को घेरने की पूरजोर तैयारी की है| कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा है कि संसद सत्र बहुत ही मुश्किल परिस्थिति में शुरू होने जा रहा है. पूरे देश में डर का माहौल है, सासंदों की भी यही स्थिति है. दुनिया में परिस्थितियां तेजी से बदल रही हैं जिस पर संसद में चर्चा करना जरूरी है| उन्होंने कहा कि लद्दाख में भारत और चीन की सेना आमने-सामने है और वहां तनाव का माहौल है. जीडीपी गिर चुकी है. महंगाई और नई शिक्षा नीति जैसे कई मुद्दे हैं जिन पर चर्चा जरूरी है.
गौरतलब है कि संसद के मानसून सत्र की शुरुआत सोमवार से हो रही है, लेकिन उससे पहले लोकसभा के पांच सदस्य कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं. अभी और सांसदों का कोरोना टेस्ट चल रहा है. इस बार कोरोना संकट के चलते संसद सत्र में सब कुछ बदला-बदला सा नजर आएगा. संसद सत्र के दौरान कोरोना की गाइडलाइन का पालन किया जाएगा. लोकसभा हर रोज 4 घंटे बैठेगी. ऐसे में शून्य काल की अवधि भी कम करके आधे घंटे कर दी गई है. सवालों का जवाब भी लिखित रूप में दिया जाएगा.
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने कहा है कि पार्टी समान सोच वाले दलों के साथ संयुक्त रूप से संसद के दोनों सदनों में अर्थव्यवस्था की स्थिति, कृषि से जुड़े तीन विधेयकों और बैंकिंग नियमन कानून जैसे अन्य महत्वपूर्ण मुद्दों पर पुरजोर विरोध करने का फैसला किया है| संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए रमेश ने कहा, ‘हम चीन के साथ सीमा पर स्थिति, अर्थव्यवस्था की हालत, कारोबार बंद होने, एमएसएमई उद्योग की दशा, कोविड-19 महामारी से निपटने, हवाई अड्डों का निजीकरण और मसौदा ईआईए अधिसूचना समेत कुछ अन्य मुद्दों पर लोकसभा और राज्यसभा में चर्चा चाहते हैं. ‘‘हमें उम्मीद है कि विपक्ष को बोलने का मौका मिलेगा और राष्ट्र के गंभीर मुद्दों पर चर्चा होगी. हम अपेक्षा करते हैं कि हमारे द्वारा उठाए जाने वाले सवालों पर जवाब देने के लिए प्रधानमंत्री लोकसभा और राज्यसभा में उपस्थित रहेंगे. प्रधानमंत्री आते नहीं हैं और हम चाहते हैं कि वह लोकसभा और राज्यसभा दोनों में मौजूद रहें.' विपक्षी दल संयुक्त रणनीति के लिए कब बैठक करेंगे, इस बारे में पूछे जाने पर रमेश ने कहा कि समान सोच वाले विभिन्न दलों के नेता ऑनलाइन तरीके से बात कर रहे हैं और इस पर रणनीति बन रही है.