पटना : असली देशी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन यादव ने नीतीश सरकार पर निशाना साधते हुए कहा है कि बिहार में अपराध और भ्रष्टाचार चरम पर है। प्रदेश में निरंतर हो रही आपराधिक घटनाएं एवं एक-एक कर निगरानी विभाग के गिरफ्त में आनेवाले सुशासन बाबू के घूसखोर अधिकारियों ने इसे साबित कर दिया है कि बिहार एक बार फिर अराजकता के दौर से गुजरने को बेवस और लाचार है| बावजूद इसके राज्य सरकार मूकदर्शक और तमाशबीन बनी हुई है| राज्य में सरकारी योजनाओं में लूट जारी है और इसमें हिस्सेदारी को लेकर हत्याएं हो रही हैं। गौरतलब है कि रोड मेंटेनेंस कार्य से जुड़ी टॉपलाइन कंपनी के 83.52 करोड़ रुपए के बिल का भुगतान करने के एवज में पथ निर्माण विभाग के एग्जीक्यूटिव इंजीनियर अरविंद कुमार ने ठेकेदार से 80 लाख रूपये घूस की मांग की थी| इस घटना ने यह साबित कर दिया है कि अब भ्रष्ट लोगों में कानून का भय समाप्त हो चुका है| सवालिया लहजे में ललन यादव ने कहा कि न्याय के साथ विकास का नारा देकर बिहार की जनता को गुमराह करनेवाली नीतीश सरकार में पिछले कुछ समय से प्रतिदिन हत्या, बलात्कार, लूट और घटित हो रही जघन्य अपराध की घटनाओं पर मुख्यमंत्री क्यों खामोश हैं| यह समझ से परे है|
श्री यादव ने कहा कि लालू-राबड़ी के 15 वर्षों के कार्यकाल को कुशासन और जंगलराज का हवाला देकर बिहार की सत्ता पर काबिज होनेवाली नीतीश सरकार की पुलिस-प्रशासन पर पकड़ पूरी तरह खत्म हो गयी है| सरकारी तंत्र पूरी तरह से भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया है| पूरा तंत्र घोटाला और दलाली में लगा है। मंत्री से लेकर अधिकारी व कर्मचारियों को लूट की खुली छूट मिली हुई है। राज्य में अराजकता का माहौल है। शराब की होम डिलीवरी हो रही है। बीजेपी की वैशाखी पर चल रहे नीतीश कुमार कुर्सी पर बने रहने के लिए सियासी समीकरण बिठाने की जोड़-तोड़ में जुटे हुए हैं| यही कारण है कि राज्य सरकार भ्रष्टाचार और अपराध पर लगाम लगाने में पूरी तरह से अक्षम और असहाय है|
ललन यादव ने कहा कि डबल इंजन सरकार का एक इंजन भ्रष्टाचार में और दूसरा अपराध में लगा हुआ है. करोड़ों युवा बेरोजगार हैं, प्रशासनिक कुप्रबंधन चरम पर है. प्रदेश में जघन्य कांड स्वाभाविक और आम बात हो गयी है। अफसरशाही का दबदबा इतना बढ़ गया है कि बाबूलोग अब खुलेआम ‘रेट कार्ड’ लगाकर रिश्वत और कमीशन वसूल रहे हैं। उन्होंने कहा कि बिहार की जनता एक बार फिर भय के साये में जीने को विवश हैं। ऐसी परिस्थिति में नीतीश सरकार को सत्ता में बने रहने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है।