नयी दिल्ली : भारत अमेरिका सीईओ फोरम की बैठक में कल वीजा, टोटलाइजेशन करार और निवेश के रास्ते में आने वाली अडचनों जैसे व्यापारिक एवं आर्थिक मुद्दों पर विचार विमर्श हो सकता है. इस बैठक को भारत की यात्रा पर आए अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संयुक्त रुप से संबोधित करेंगे. बैठक में वित्त मंत्री अरुण जेटली व वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री निर्मला सीतारमण के भी भाग लेने की उम्मीद है. इसके साथ ही बैठक में मेक इन इंडिया अभियान व कारोबार में सुगमता जैसे मुद्दों पर भी चर्चा होगी. इस बैठक की अध्यक्षता संयुक्त रुप से टाटा संस के साइरस मिस्त्री व हनीवेल के डेविड एम कोट करेंगे. बैठक में भारत व अमेरिका के दिग्गज उद्योगपति शामिल होंगे. इस बैठक में भारतीय उद्योग जगत की जो हस्तियां शामिल होंगी उनमें रिलायंस इंडस्टरीज के चेयरमैन मुकेश अंबानी, भारती इंटरप्राइजेज के प्रमुख सुनील मित्तल, आईसीआईसीआई बैंक की प्रबंध निदेशक व सीईओ चंदा कोचर, रिलायंस समूह के चेयरमैन अनिल अंबानी, इन्फोसिस के सीईओ विशाल सिक्का, अडाणी समूह के प्रमुख गौतम अडाणी, एस्सार समूह के चेयरमैन शशि रुइया, महिंद्रा एंड महिंद्रा के चेयरमैन आनंद महिंद्रा, जुबिलेंट लाइफ साइंसेज के सह चेयरमैन एवं निदेशक हरि भरतिया, बायोकान की चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक किरण मजूमदार शॉ और टॉरेंट फार्मा के सुधीर मेहता भी शामिल हैं. इस 17 सदस्यीय फोरम या मंच में भारतीय स्टेट बैंक की प्रमुख अरुंधति भट्टाचार्य, तेल एवं प्राकृतिक गैस निगम (ओएनजीसी) के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक दिनेश के सर्राफ तथा भेल के प्रमुख बी प्रसाद राव भी शामिल हैं. अमेरिका की ओर से इस बैठक में पेप्सिको की प्रमुख इंदिरा नूयी, मैकग्रॉ हिल फाइनेंशियल के चेयरमैन हैरल्ड मैकग्रॉ और मास्टरकार्ड के सीईओ अजय बंगा भाग लेंगे. ओबामा तीन दिन भी भारत यात्रा पर आज यहां पहुंचे. वह और मोदी मुख्य कार्यकारियों से परिचर्चा करेंगे. चूंकि अमेरिका भारत के विनिर्माण उद्योग में निवेश का बडा संभावित स्रोत है, ऐसे में फोरम की बैठक में द्विपक्षीय व्यावसायिक संबंधों पर भी चर्चा होगी. सूत्रों का कहना है कि बैठक में पेशेवरों के लिए वीजा दिक्कतों, बौद्धिक संपदा अधिकार और द्विपक्षीय निवेश संधि पर भी विचार विमर्श होगा. मेक इन इंडिया पहल की दृष्टि से यह बैठक काफी महत्वपूर्ण मानी जा रही है. इसमें देश को वैश्विक विनिर्माण, डिजाइन व नवोन्मेषण का हब बनाने का लक्ष्य है. भारत पहले ही रक्षा, बीमा व फार्मास्युटिकल्स जैसे क्षेत्रों में विदेशी निवेश सीमा को उदार कर चुका है. भारत व अमेरिका के बीच 2013-14 में द्विपक्षीय व्यापार 61.64 अरब डालर का रहा. अप्रैल, 2000 से नवंबर, 2014 के दौरान भारत को अमेरिका से 13.28 अरब डालर का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश मिला है.