मोदी सरकार ने अपने दूसरे कार्यकाल में अनुच्छेद 370 को खत्म कर जम्मू-कश्मीर के इतिहास को भूगोल में तब्दील कर दिया है| इस फैसले के बाद पूरे देश में जहाँ जश्न का माहौल है वही कई राजनैतिक पार्टियों ने सरकार के निर्णय का समर्थन किया है| धारा-370 खत्म होने के बाद अब जम्मू कश्मीर और लद्दाख अलग-अलग केंद्र शासित प्रदेश होंगे। इसके लिए गृह मंत्री अमित शाह ने राज्यसभा में अनुच्छेद 370 हटाने के लिए संकल्प पेश किया था। शाह के प्रस्ताव रखने के बाद राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने अनुच्छेद 370 हटाने के लिए संविधान आदेश (जम्मू-कश्मीर के लिए) 2019 के तहत अधिसूचना जारी कर दी। 17 अक्टूबर 1949 को अनुच्छेद 370 को पहली बार भारतीय संविधान में जोड़ा गया।
गौरतलब है कि राज्यसभा में कांग्रेस के व्हिप भुवनेश्वर कलिता ने सोमवार को यह कहते हुए अपना इस्तीफा दे दिया कि देश का मिजाज पूरी तरह से बदल चुका है और ये व्हिप देश की जन भावना के खिलाफ है| उन्होंने कहा कि पंडित नेहरू ने खुद अनुच्छेद 370 का विरोध करते हुए कहा था कि एक दिन यह जरुर खत्म हो जाएगा| नेहरु की भविष्वाणी और कांग्रेस की विचारधारा को देखकर मुझे यह लगता है कि कांग्रेस आत्महत्या कर रही है| मैं इसमें कांग्रेस का भागीदार नहीं बनूंगा और न ही इस व्हिप का पालन करूंगा इसलिए मैं कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा देता हूं.
राज्य पुनर्गठन विधेयक पेश
जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को दो अलग-अलग केंद्र शासित प्रदेश बनाने के लिए सरकार ने सोमवार को राज्य पुनर्गठन विधेयक भी पेश किया जिसे बाद में पास कराया जाएगा। अब जम्मू-कश्मीर दिल्ली और पुड्डुचेरी की तरह केंद्र शासित प्रदेश रहेगा जबकि लद्दाख की स्थिति चंडीगढ़ की तरह होगी।
फैसले के बाद 8000 अतिरिक्त सैनिकों की हुई तैनाती
जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने की केंद्र की घोषणा के बाद राज्य में 8000 और अतिरिक्त जवानों की तैनाती की गई है. देश के अलग-अलग हिस्सों से इन जवानों को एयरलिफ्ट कर जम्मू-कश्मीर ले जाया जा रहा है. भारतीय वायुसेना का सी -17 परिवहन विमान जवानों को श्रीनगर ला रहे हैं. ये उन 30,000 सैनिकों के अतिरिक्त हैं जिन्हें पिछले सप्ताह राज्य में लाया गया था. अधिकारियों ने सोमवार को कहा कि देश में, विशेष रूप से जम्मू और कश्मीर में सभी सुरक्षा बल, "हाई अलर्ट" पर हैं.
सर्वोच्च न्यायालय में मिलेगी चुनौती
केंद्र के इस फैसले का विरोध शुरू हो गया है. शाह फैसल की पार्टी से जुड़ीं शेहला रशीद ने कहा कि हम इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देंगे. सरकार को गवर्नर मान लेने और संविधान सभा की जगह विधानसभा को रखने का फैसला संविधान के साथ धोखा है. सभी प्रगतिशील ताकतें एकजुट होकर लड़ाई लड़ेंगी. हम दिल्ली और बेंगलुरु में विरोध प्रदर्शन करेंगे.
फैसले पर प्रतिक्रिया
पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने जम्मू एवं कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 को हटाने के प्रस्ताव का विरोध किया है. इस पूरे मसले पर प्रतिक्रिया देते हुए सिंह ने कहा कि बिना किसी कानूनी प्रावधान के संविधान को फिर से लिखा गया है. ऐसे ऐतिहासिक निर्णय इस तरह से मनमानी तरीके से नहीं लिए जाने चाहिए.
भाजपा के वरिष्ठ नेता, पूर्व केन्द्रीय मंत्राी व सांसद पद्मश्री डाॅ0 सी0 पी0 ठाकुर ने कहा कि आज जम्मू-कश्मीर का पुर्नजन्म हुआ है। पुरानी भूल को सुधारा गया है। आजाद भारत का यह सबसे बड़ा पफैसला है। आज करोड़ों भारतीयों का संजोया हुआ सपना साकार हुआ है। हमारी सरकार ने अपनी प्रतिबद्धता को स्पष्ट किया है। धारा 370 और 35 ‘ए’ की समाप्ति पर यशस्वी प्रधनमंत्राीनरेन्द्र मोदी और गृह मंत्राी अमित शाह का अभिनंदन व धन्यवाद|
डाॅ0 ठाकुर ने कहा यह निश्चित ही जम्मू-कश्मीर राज्य के सर्वागीन विकास और आतंकवादी गतिविधियों को समाप्त करने के लिए एक ऐतिहासिक व साहसिक कदम है। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने का पुरजोर विरोध् करने वाले श्यामा प्रसाद मुखर्जी का बलिदान सार्थक हुआ। धारा 370 की समाप्ति देश के लिए गौरव और उल्लास का क्षण है। गर्व के इस अनुठे पल की देश और देशवासियों को बधाई|
महबूबा मुफ्ती ने कहा कि आज का दिन भारतीय लोकतंत्र का स्याह दिन है। अनुच्छेद 370 पर उठाया गया कदम उपमहाद्वीप के लिए विनाशकारी परिणाम लेकर आएगा, वे जम्मू-कश्मीर के लोगों को आतंकित कर इस क्षेत्र पर अधिकार चाहते हैं। उन्होंने कहा कि अनुच्छेद 370 निरस्त करने का भारत सरकार का एकतरफा फैसला गैर कानूनी, असंवैधानिक है; जम्मू-कश्मीर में भारत संचालन बल बन जाएगा।
उधर, सप नेता रामगोपाल यादव ने राज्यसभा में कहा, "यदि आप अनुच्छेद 370 को हटाना चाहते हैं तो आपको केवल यही करना चाहिए था, आपने राज्य की स्थिति क्यों बदली और इसे केंद्र शासित प्रदेश क्यों बनाया? आपको कम से कम राज्य के लोगों को विश्वास में लेना चाहिए था?
एनसीपी नेता शरद पवार ने केंद्र के प्रस्ताव पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, "मुझे लगता है कि केंद्र सरकार को (घाटी के नेताओं) को विश्वास में लेना चाहिए था लेकिन दुर्भाग्य से सरकार ने ऐसा नहीं किया और तभी सरकार को यह निर्णय (अनुच्छेद 370 को हटाने का) लेना चाहिए."