2014 लोकसभा चुनावों में भाजपा की जीत ने क्षेत्रीय दलों को सकते में डाल दिया. हालिया महाराष्ट्र और उड़ीसा में स्थानीय निकाय के चुनावों में जीत से ये सवाल पैदा होने लगे कि क्या भाजपा गठबंधन की राजनीति से तौबा कर लेगी. ऐसा इसलिए भी क्योंकि भाजपा और शिवसेना के रिश्ते हाल के दिनों में सामान्य नहीं रहे हैं. भाजपा की सबसे पुरानी सहयोगी शिवसेना के साथ बढ़ी दूरी के बावजूद विधानसभा और स्थानीय निकाय के चुनाव में बीजेपी ने अच्छा प्रदर्शन किया. राजनीतिक विश्लेषकों की माने तो बीजेपी अटल -आडवाणी की विरासत को पीछे छोड़ी मोदी -शाह के युग में प्रवेश कर चुकी है. भाजपा ने महाराष्ट्र में देवेंद्र फडणवीस के रूप में एक सशक्त नेता तैयार कर लिया. ध्यान देने वाली बात यह है कि देवेंद्र फडणवीस की उम्र 46 वर्ष है. इस लिहाज से वे अभी महाराष्ट्र में 20 वर्षो तक राजनीति कर सकते हैं. कभी शरद पवार और बाल ठाकरे का गढ़ माना माने जाने वाला महाराष्ट्र की राजनीति में देवेन्द्र फडणवीस सबसे सक्रिय राजनेता के रूप में दिख रहे हैं. वरिष्ठ पत्रकार नीरजा चौधरी शिवसेना-भाजपा के बीच बढ़ती दूरी को अप्रत्याशित नहीं मानती हैं उनके मुताबिक भाजपा महाराष्ट्र में जूनियर पार्टी बनकर नहीं रहना चाहती है. शिवसेना भाजपा के सबसे बुरे दौर की सहयोगी रह चुकी है. उस वक्त जब भाजपा को अछूत पार्टी समझा जाता था. शिवसेना ने भाजपा का समर्थन दिया लेकिन यह अलग दौर है. नरेंद्र मोदी केंद्र में अपने बूते सरकार चला रहे हैं लिहाजा वे गठबंधन की राजनीति करना नहीं जानते हैं. महाराष्ट्र में भाजपा ने विधानसभा चुनाव में शिवसेना से लगभग दोगुनी सीटों पर जीत हासिल की. ये बात शिवसेना के गले नहीं उतर रही है. Submit अटल -आडवाणी युग से कितना अलग है मोदी- शाह की जोड़ी वरिष्ठ पत्रकार नीरजा चौधरी के मुताबिक आडवाणी ने भाजपा का संगठन खड़ा किया. भाजपा को चार सीट से 124 सीटे दिलवायी लेकिन राष्ट्रीय स्तर पर स्वीकार्यता अटल बिहारी वाजपेयी ने दिलवायी. नरेंद्र मोदी बहुमत के साथ केंद्र में आये हैं और उनकी राजनीतिक शैली में गठबंधन की जगह सीमित है. मोदी 24X 7 पार्टी की मजबूती के लिए तैयार रहते हैं. नरेंद्र मोदी पार्टी को बिना गठबंधन के चला सकते है लेकिन देश चलाने के लिए सबके सहयोग की जरूरत होती है. खासतौर से संसद में विपक्षी दलों, मीडिया से लेकर तमाम वर्ग की जरूरत पड़ती है. मोदी की शैली में यह कमी दिखती है. भारत जैसे विविधता से भरे देश के लिए सभी तबकों की सहयोग की जरूरत है. Submit कांग्रेस को आत्ममंथन की जरूरत कांग्रेस पार्टी का महाराष्ट्र और उड़ीसा के स्थानीय निकाय के चुनावों में कांग्रेस का खराब प्रदर्शन पार्टी के लिए चिंताजनक है. पार्टी को इस पर आत्ममंथन करना चाहिए. महाराष्ट्र में आजादी के बाद से कांग्रेस जीतती आयी है. उड़ीसा में भी पार्टी का अच्छा आधार रह चुका है. राज्यों में जहां लोगों को भाजपा का विकल्प नहीं मिल रहा है. वहां वोटर्स क्षेत्रीय दलों की ओर देख रहे हैं.