मोदी सरकार ने बड़ा फैसला लेते हुए पिछड़ा वर्ग आयोग की जगह नया आयोग बनाने के लिए कैबिनेट की मंजूरी दे दी। सामाजिक और शैक्षिक पिछड़ा वर्ग राष्ट्रीय आयोग (NSEBC) को संवैधानिक इकाई के रूप में स्थापित करने के लिए कैबिनेट की मंजूरी दे दी गई। कैबिनेट के बाद सरकार इसके लिए संसद में संशोधन विधेयक लाएगी। मोदी कैबिनेट का ये फैसला जाट आरक्षण के पेंच सुलझाने से जोड़कर देखा जा रहा है। क्योंकि जाटों ने आरक्षण के लिए हरियाणा की खट्टर सरकार और केन्द्र सरकार पर लगातार दबाव बना रही है। अब इस फैसले के बाद इस आयोग को संवैधानिक दर्जा मिल जाएगा। अभी तक पिछड़ा वर्ग आयोग को वैधानिक दर्जा मिला हुआ था। लेकिन संवैधानिक दर्जा मिल जाने के बाद आयोग किसी जाति को पिछड़े वर्ग में जोड़ने और हटाने को लेकर सरकार को प्रस्ताव भेज सकता है। मोदी सरकार की इस फैसले से देश की तमाम जाति आधारित नौकरियों से लेकर बाकी कई सुविधाओं में फर्क पड़ना तय है। केंद्र सरकार के फैसले के अनुसार संविधान संशोधन के जरिए पिछड़ा वर्ग आयोग की जगह नया आयोग बनाया जाएगा। केंद्र सरकार के अनुसार सामाजिक शैक्षिक तौर पर पिछड़ों की नई परिभाषा होगी। क्या है NSEBC 1985 तक पिछड़ा वर्ग आयोग गृह मंत्रालय के अंतर्गत आता था लेकिन उसके बाद इस आयोग को सामाजिक एवं अधिकारिता मंत्रालय के अंतर्गत जोड़ दिया गया। अभी राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग के आयोग के अध्यक्ष वी. एश्वरैया हैं। इस आयोग में एक अध्यक्ष के अलावा तीन सदस्य भी होते हैं। नए नियम के अनुसार अब संसद की मंजूरी के बाद ही ओबीसी सूची में बदलाव किया जा सकेगा। अध्यक्ष और तीनों सदस्यों का कार्यकाल तीन साल का होता है। आयोग के अध्यक्ष पूर्व जज होते हैं, वहीं सदस्य विभिन्न क्षेत्रों में काम किए वही लोग सदस्य बन सकते हैं। जो कि ओबीसी जाति से आते हों।