बिहार में आंधी-पानी से भारी तबाही, गेहूं और दलहन की फसलों को बड़े पैमाने पर नुकसान

रिपोर्ट: साभार

पटना/मुजफ्फरपुर/भागलपुर: सोमवार को आयी आंधी और बारिश ने प्रदेश के किसानों की कमर तोड़ दी. इससे गेहूं और दलहन की फसलों को बड़े पैमाने पर नुकसान हुआ है. साथ ही आम और लीची को भी काफी क्षति हुई है. राजधानी पटना में दोपहर एक बजे अचानक अंधेरा छा गया और तेज हवा के साथ झमाझम बारिश शुरू हो गयी. करीब 15 मिनट तक हुई बारिश ने नगर निगम के दावों की फिर पोल खोल दी. कई जगहों पर नाली का पानी सड़क पर पसर गया. हद तो यह था कि चिरैयाटांड ओवरब्रिज के बीच में झील-सा नजारा था. पटना सिटी के मारूफगंज, गुरु गोविंद सिंह पथ, चौक शिकारपुर, मुगलपुरा, लोदी कटरा व अशोक राजपथ के कई जलजमाव हो गया. पूर्व और पश्चिमी चंपारण, गोपालगंज, सारण, सीवान, वैशाली में भी भारी बारिश हुई है. पश्चिमी चंपारण व दरभंगा में बारिश के साथ ओले भी पड़े. इसके कारण खेतों में पक रही गेहूं की फसल गिर गयी. जहां गेहूं की फसल को काट कर खलिहान में रखा गया है, वह भींग गया है. आम व लीची के छोटे फल काफी मात्र में गिरे हैं. मुजफ्फरपुर में गेहूं समेत सभी फसलों में बारिश का पानी लग गया है. मसूर, चना सरसों व राई काट कर कुछ किसानों ने अपने दरवाजे पर तो कुछ किसानों ने खेत में ही रखे थे, उनकी फसल भींग गयी है. इनके दाने खराब होने की आशंका है. जिन खेतों में पानी अधिक है, वहां से जल्दी से जल्दी पानी निकालने की सलाह विशेषज्ञों ने दी है. बेतिया में मसूर को क्षति हुई है, लेकिन गन्ना के लिए बारिश को किसान बेहतर बता रहे हैं. मझौलिया, नौतन, बैरिया, चनपटिया में भारी बारिश हुई है. मधुबनी के झंझारपुर, बेनीपट्टी व मधुबनी में भारी बारिश हुई है. मोतिहारी में गेहूं व लीची समेत फसलों को नुकसान हुआ है. सीतामढ़ी में 75 फीसदी गेहूं की फसल गिर गयी. शिवहर में दलहन, गेहूं, आम व लीची को भारी क्षति की सूचना है. दरभंगा के दरभंगा व बिरौल में आम व लीची के छोटे दाने काफी मात्र में गिर गये. गेहूं की फसल खेत में गिर गयी है. जिन किसानों ने फरवरी या देर से मक्का लगाया है, उन्हें इस बारिश से थोड़ा फायदा होगा, लेकिन जिनके मक्का बड़े हो गया हैं, उन्हें नुकसान होगा. आंधी-पानी के दौरान कई स्थानों पर बिजली का तार टूट गया. आंधी शुरू होते ही बिजली की आपूर्ति बंद हो गयी. सभी फीडर को एकाएक बंद कर दिया गया. बारिश का उपद्रव आंखों को गीला कर गया आज सुबह से ही मेघ को देख कर भय बना हुआ था. कल ही मक्का के खेतों को पानी से सींचा था, इस आशा के साथ कि धरती मैया पियासी है और पानी पीते ही मकई को और लहलहा देगी, लेकिन हमें क्या पता था कि पटवन के बाद गीले खेत हवा के जोर को सह नहीं पायेगी और बारिश से तीखी नोक-झोंक करते हुए अपने ही आंचल में फसल रूपी बच्चे को तड़पते हुए देखेगी. इतनी जल्दी सब बरबाद हो जायेगा, पता नहीं था! सब चौपट हो गया है. तो भी आशा है, बेहतर कल को लेकर दरअसल, हम किसानों के हाथ में केवल बीज बोना होता है. फसल होगी या कैसी होगी यह बात प्रकृति के हाथों में हैं. आम लीची के मंजर अब टिकोले का रूप लेने लगे हैं लेकिन आज की तेज आंधी और बारिश ने आम लीची के छोटे छोटे बच्चों को भी नहीं बख्शा! छोटे छोटे टिकोले आम बगान में लुढके दिख रहे हैं. असमय बारिश का उपद्रव आँखों की कोरों को गीला कर दिया है. अब उम्मीदें मिर्च के खेतों पर है. किसान हार मानता कहाँ है, वो तो आशा भरी निगाहों से बस आसमाँ को निहारता रहता है .. इस आशा के साथ कि इस साल नहीं तो अगले बरस जरूर अच्छी फसल होगी.


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