2022 तक देश के हर बेघर को अपना घर मुहैया कराने के लिए प्रतिबद्ध है केंद्र सरकार
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को शिरडी में साईंबाबा के दर्शन किए। इसके बाद पीएम नरेन्द्र मोदी ने महाराष्ट्र में प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण के अंतर्गत 2,44,444 परिवारों को उनके घर प्रदान किए। गौरतलब है कि शिरडी के साईं को समाधि लिए आज 100 साल पूरे हो रहे हैं इस मौके पर शिरडी को सजाया गया है. इस पावन अवसर परप्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी साईं के दर में हाजिरी लगाई और वहां पर विशेष पूजा की. ऐसा पहली बार नहीं है जब प्रधानमंत्री शिरडी के साईं मंदिर में पहुंचे हों, इससे पहले भी वो यहां आ चुके हैं. आज से 10 साल पहले 2008 में मोदी ने शिरडी में साईं बाबा की पूजा की थी, उस वक्त वो गुजरात के मुख्यमंत्री थे.
जनसभा को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि आप सभी को, पूरे महाराष्ट्र को, पूरे भारत वर्ष को, देश के जन-जन को दशहरे की, विजय दशमी की बहुत-बहुत बधाई। उन्होंने कहा कि हम सभी का ये प्रयास रहता है कि हर पर्व को अपनों के साथ मनाएं। मेरी भी ये कोशिश रहती है कि हर त्योहार देशवासियों के साथ मनाऊं और इसी भावना के साथ आज आप सभी के बीच उपस्थित हुआ हूं।
पीएम मोदी के भाषण की खास बातें
- अपना घर जीवन को आसान बना देता है और गरीबी से लड़ने का नया उत्साह पैदा करता है। इसी को ध्यान में रखते हुए सरकार ने 2022 तक देश के हर बेघर-गरीब परिवार को अपना घर देने का लक्ष्य रखा है। मुझे खुशी है कि करीब-करीब आधा रास्ता हम तय कर चुके है
- जिस प्रकार आप सभी दशहरे के पावन अवसर पर भारी संख्या में यहां मुझे आशीर्वाद देने आए हैं, वो अभिभूत करने वाला है। आपका यही अपनत्व, यही प्यार मुझमें निरंतर नई ऊर्जा का संचार करता है, मुझे शक्ति देता है।
- दशहरे के साथ-साथ हम आज शिरडी की इस पावन भूमि पर, एक और पवित्र अवसर के साक्षी बन रहे हैं। साई बाबा की समाधि के शताब्दी समारोह का भी आज समापन हुआ है। थोड़ी देर पहले ही मैंने साई दरबार के दर्शन किए हैं।
- मैं जब भी श्री साई बाबा के दर्शन करता हूं, तो करोड़ों श्रद्धालुओं की तरह मुझे भी जनसेवा के लिए खुद को समर्पित करने का नया उत्साह मिलता है।
- शिरडी के कण-कण में साई के मंत्र, उनकी सीख है। जनसेवा, त्याग और तपस्या की जब बात आती है तो शिरडी का उदाहरण दिया जाता है। शिरडी तात्या पाटील की नगरी है। दादा कोते पाटील ,माधवराव देशपांडे, म्हाळसापती जैसे महापुरुष इसी धरती ने दिए हैं।
- काशीराम शिंपी, आप्पा जागले और साईबाबा की अंतिम समय तक सेवा करते रहे, कोंडाजी, गबाजी और तुकाराम को कौन भुला सकता है? इस पावन धरा के इन महान सपूतों को मैं नमन करता हूं।
- शिक्षा के माध्यम से समाज को सशक्त करना हो, आध्यात्म के जरिए सोच में परिवर्तन करना हो, समाज में समरसता और सहभाग का संचार करना हो, इसके लिए आपके प्रयास सराहनीय हैं। आज भी यहां आस्था, आध्यात्म और विकास से जुड़े अनेक प्रोजेक्ट्स का शिलान्यास और उद्घाटन हुआ है।
- साई का मंत्र है-सबका मालिक एक है। साईँ के ये चार शब्द समाज को एक करने का सूत्रवाक्य बन गये। साई समाज के थे और समाज साई का था। साई ने समाज की सेवा के कुछ रास्ते बताए थे। मुझे प्रसन्नता है साई बाबा के दिखाए रास्ते पर श्री साई बाबा संस्थान ट्रस्ट, निरंतर समाज की सेवा कर रहा है:
- आज यहां 10 मेगावाट की एक सोलर यूनिट की भी शुरुआत की गई है। इससे संस्थान के संसाधन बढेंगे और क्लीन एनर्जी में भागीदारी भी। ये एक ऐसा मॉडल है जिससे देश भर में कई संस्थान लागू कर सकते हैं। यानी सेवा के साथ ही राष्ट्र सेवा भी की जा सकती है
मुझे खुशी है कि दशहरे के इस पावन अवसर पर मुझे महाराष्ट्र के ढाई लाख बहनों-भाइयों को अपना घर सौंपने का अवसर मिला है। मेरे वो भाई बहन जिनके लिए अपना घर, हमेशा सपना ही रहा है।
- अपने इस विशाल परिवार के सदस्यों को एक साथ गृह प्रवेश कराने से बड़ी, अपने गरीब भाई-बहनों की सेवा से बड़ी, दशहरे की पूजा भला मेरे लिए क्या हो सकती थी।
- आप सभी जनों को प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत बने इन नए घरों की, आपके जीवन में आए इस शुभ अवसर की, आप सभी को बहुत-बहुत शुभकामनाएं।
- ये नए घर आपके सपनों के प्रतीक तो है हीं, आपकी आकांक्षाओं को नए आयाम देने वाले भी हैं। अब आपका जीवन, आपके बच्चों का जीवन, सार्थक बदलाव के पथ पर चल पड़ा है। ये गरीबी पर जीत की तरफ बहुत बड़ा कदम है।
- अपना घर जीवन को आसान बना देता है और गरीबी से लड़ने का नया उत्साह पैदा करता है। इसी को ध्यान में रखते हुए सरकार ने 2022 तक देश के हर बेघर-गरीब परिवार को अपना घर देने का लक्ष्य रखा है। मुझे खुशी है कि करीब-करीब आधा रास्ता हम तय कर चुके है।
- गरीब हो या मध्यम वर्ग का परिवार, बीते चार वर्षों से उसे झुग्गी से, किराए के मकान से निकालकर, अपना घर देने की तरफ सरकार ने गंभीर प्रयास किए हैं।
- कोशिशें पहले भी हुई हैं, लेकिन दुर्भाग्य से उनका लक्ष्य गरीबों को घर देकर सशक्त करने के बजाय, एक विशेष परिवार के नाम का प्रचार करना अधिक रहा है। घर अच्छा हो, उसमें शौचालय हो, बिजली हो, पानी हो, गैस का कनेक्शन हो, इस पर पहले कम ही ध्यान दिया गया।
- जब किसी योजना के मूल में राजनीतिक स्वार्थ के बजाय गरीब का कल्याण हो, उसके जीवन को आसान बनाने की प्रेरणा हो, तब काम की गति कैसे बढ़ती है, ये आज देश के सामने है।
- पिछली सरकार ने अपने आखिरी चार वर्षों में सिर्फ 25 लाख घर बनाए थे, जबकी बीते चार वर्षों में भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने एक करोड़ 25 लाख घर बनाए हैं। सोचिए, एक करोड़ ज्यादा मकान।
- सब कुछ तो वही है, वही साधन, वही संसाधन, वही लोग, लेकिन साफ नीयत से, गरीब की सेवा के भाव से जब काम होता है, तो ऐसे ही नतीजे मिलते हैं।
- पहले की सरकार औसतन 18 महीने में एक मकान बनाती थी और आज 12 महीने से भी कम समय में घर बन रहे हैं। समय तो कम हुआ ही है, घर का आकार भी हमने बढ़ाया है। इसके साथ-साथ घर बनाने के लिए सरकारी मदद को 70 हजार रुपये से बढ़ाकर 1 लाख 20 हजार कर दिया गया है।
- सबसे अहम बात ये कि पैसे सीधे बैंक खाते में जमा हो रहे हैं और लाभार्थियों का चयन वैज्ञानिक और पारदर्शी तरीके से हो रहा है। इतना ही नहीं ये घर टिकाऊ हों और इनमें शौचालय समेत सारी मूलभूत सुविधाएं हों इसका भी विशेष ध्यान रखा जा रहा है।
- मैं आपको आश्वस्त करता हूं कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के माध्यम से तो आपको जल्द से जल्द राहत मिलेगी ही, इसके अतिरिक्त भी महाराष्ट्र सरकार जो कदम उठाएगी उसमें केंद्र पूरा सहयोग करेगा।
- पानी के इसी संकट से देश के किसानों को निकालने के लिए, सरकार प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के तहत बरसों से अटकी हुई परियोजनाओं को पूरा करने का काम कर रही है। इसके तहत महाराष्ट्र में भी अनेक बड़े प्रोजेक्ट्स पर काम चल रहा है।
- खेती के साथ-साथ सरकार टूरिज्म को भी बढ़ावा दे रही है। महाराष्ट्र में तो शिरडी जैसे आस्था से जुड़े बड़े स्थान भी हैं तो अजंता-अलोरा जैसे स्थल भी हैं जहां दुनिया भर के श्रद्धालु खिंचे चले आते हैं।
- आस्था, आध्यात्म और इतिहास को युवाओं के रोज़गार से जोड़ने का एक बहुत बड़ा अभियान हमने शुरू किया है। देश के टूरिस्ट सर्किट को आपस में जोड़ा जा रहा है, वहां पर सुविधाओं का निर्माण किया जा रहा है।
- अपने इन महान संत पुरुषों का सबक हमें हमेशा याद रखना है और स्वार्थ के लिए समाज में भेद पैदा करने वाली हर शक्ति, हर बुराई को पराजित करना है।
साईं समाधि के अवसर पर प्रधानमंत्री ने शिरडी को कई तरह की दी सौगातें
- पहला प्रोजक्ट - 40 करोड़ रुपये की लागत वाले 10 मेगावाट क्षमता के सोलर पावर सिस्टम का भूमि पूजन.
- दूसरा प्रोजक्ट - 158 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाला हाइटेक एजुकेशनल कंपलेक्स का उद्घाटन होगा जिसमें स्कूल, कॉलेज, ऑडिटोरियम, प्लेग्राउंड, लाइब्रेरी, लैबोरेट्री समेत अन्य स्टेट ऑफ द आर्ट सुविधाएं होंगी.
- तीसरा प्रोजक्ट - 166 करोड़ रुपये की लागत वाला अनोखा साईं नॉलेज पार्क. इसमें साईं की जीवन से जुड़ी जानकारियां, म्यूजियम, थीम पार्क शामिल हैं.
- चौथा प्रोजक्ट - शिरडी आने वाले साईं भक्तों को महज 1 घंटे में आरामदायक साईं दर्शन मिले, इसके लिए 112 करोड़ रुपये की लागत का ग्राउंड प्लस टू दर्शन हॉल का निर्माण किया जाएगा. इसकी मदद से एक बार में तकरीबन 18000 साईं भक्त कतार में खड़े होकर आसानी से दर्शन ले सकेंगे इस टर्मिनल को स्काईवॉक से सीधे समाधि मंदिर से जोड़ा जाएगा.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इससे पहले भी कई बार विशेष मंदिरों में पूजा कर चुके हैं. इनमें उनके संसदीय क्षेत्र वाराणसी में स्थित काशी विश्वनाथ का मंदिर, उत्तराखंड का केदारनाथ, काठमांडू में स्थित पशुपतिनाथ, गुजरात का सोमनाथ और अब शिरडी का साईं मंदिर भी शामिल है.
दशहरे के अवसर पर यहां विशेष आरती का आयोजन हुआ, आरती के बाद प्रधानमंत्री मंदिर में शताब्दी ध्वज नीचे उतार कर इस महोत्सव के समापन की घोषणा की.
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