नयी दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने इतिहासकार रोमिला थापर की उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें उन्होंने -भीमा कोरेगांव हिंसा के सिलसिले में गिरफ्तार किए गए पांच मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को तत्काल रिहा करने से इनकार वाले फैसले पर पुर्निवचार करने की मांग की थी।
28 सितंबर को अदालत ने 28 अगस्त को महाराष्ट्र पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए गए पांच मानवाधिकार कार्यकर्ताओं वरवरा राव, अरुण फरेरा, वेरनॉन गोंसाल्विज, सुधा भारद्वाज और गौतम नौलखा को तत्काल रिहा करने की याचिका को खारिज कर दी थी। पिछले साल 31 दिसंबर को ‘एल्गार परिषद’ नामक एक कार्यक्रम के बाद एक एफआईआर के सिलसिले में कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया गया।
गौरतलब है कि प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति ए एम खनविलकर और न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ की एक पीठ ने शुक्रवार को याचिका खारिज कर दी थी। आदेश शनिवार को बेवसाइट पर डाला गया। पीठ ने कहा, ‘‘हमने समीक्षा याचिका और साथ ही इसके समर्थन के बिंदुओं का अवलोकन किया। हमारे विचार में, 28 सितंबर 2018 को सुनाए गए फैसले पर समीक्षा का कोई मामला नहीं है। इस हिसाब से समीक्षा याचिका खारिज की जाती है।’’
इस कार्यक्रम के बाद महाराष्ट्र के कोरेगांव-भीमा गांव में कथित तौर पर हिंसा हुई थी। उन्हें 29 अगस्त को नजरबंद किया गया था। अदालत ने 28 सितंबर को कहा था कि आरोपी को चार और सप्ताह तक नजरबंद रखा जाएगा। न्यायालय ने 2-1 के बहुमत से फैसला सुनाते हुये उनकी गिरफ्तारी की जांच के लिए एसआईटी नियुक्त करने से भी इंकार कर दिया था।
बता दें कि भीमा कोरेगांव और देश के अन्य हिस्से में हिंसा फैलाने के आरोप में नजरबंद वामपंथी विचारकों की रिहाई को लेकर 28 सितंबर के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद भाजपा नेता सांबित पात्रा ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को निशाने पर लिया है। राहुल पर तंज कसते हुए सांबित ने कहा कि वह गौतम नौलखा जैसे लोगों के साथ हैं जो कश्मीर में जनमत संग्रह का समर्थक है और कश्मीर को भारत का अंग नहीं मानता है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले की सराहना करते हुए पात्रा ने कहा कि इससे भारत की जीत हुई है। उन्होंने आगे कहा कि यह फैसला कांग्रेस के लिए कलंक के समान है।