चीन की महत्वाकांक्षी परियोजना ‘एक क्षेत्र एक सड़क' का लगातार भारत द्वारा विरोध किये जाने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नसीहत भरे स्पष्ट शब्दों में कहा है कि बड़ी संपर्क सुविधा परियोजनाओं में सदस्य देशों की संप्रभुता और अखंडता का सम्मान किया जाना चाहिए| शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के 18वें शिखर सम्मेलन में भाग लेने पहुंचे पीएम मोदी ने आश्वासन दिया कि समावेशिता सुनिश्चित करनेवाली अन्य सभी मुद्दों पर भारत सहयोग करेगा| उल्लेखनीय है कि भारत 7,200 किलोमीटर लंबी कई देशों से होकर गुजरनेवाली परियोजना का निरंतर कड़ा विरोध करता रहा है क्योंकि यह पाकिस्तान के कब्जेवाले विवादित कश्मीर से होकर गुजरती है| भारत को छोड़कर एससीओ के सभी देशों ने चीन की इस योजना का समर्थन किया है| | पाकिस्तानी राष्ट्रपति ममनून हुसैन ने यहां अपने संबोधन में ओबीओआर का खुल कर समर्थन किया| साथ ही कहा कि चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को मजबूती देगा| मोदी ने कहा कि संपर्क का मतलब सिर्फ भौगोलिक जुड़ाव से नहीं है, बल्कि लोगों का लोगों से जुड़ाव भी होना चाहिए| यह परियोजना भारत, ईरान, अफगानिस्तान, आर्मेनिया, अजरबेजान, रूस, मध्य एशिया और यूरोप को एक मालवहन गलियारे के रूप में जोड़ेगी|
प्रधानमन्त्री ने यहां संक्षिप्त नाम ‘सिक्योर' के रूप में एक नयी अवधारणा रखी| इसमें ‘एस' से आशय नागरिकों की सिक्योरिटी (सुरक्षा), ‘ई' से इकोनामिक डेवलपमेंट (आर्थिक विकास), ‘सी' से क्षेत्र में कनेक्टिविटी (संपर्क), ‘यू' से यूनिटी (एकता), ‘आर' से रेसपेक्ट फॉर सोवरनिटी एंड इंटेग्रिटी (संप्रभुता और अखंडता का सम्मान) और ‘ई' से तात्पर्य एनवायर्मेंटल प्रोटेक्शन (पर्यावरण सुरक्षा) है| ओबीओआर के संदर्भ मोदी ने कहा, ‘भारत ऐसी परियोजना का स्वागत करता है जो समावेशी, मजबूत और पारदर्शी हो और जो सदस्य देशों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करती हो|'
मोदी ने कहा, ‘हम एक बार फिर उस पड़ाव पर पहुंच गये है जहां भौतिक और डिजिटल संपर्क भूगोल की परिभाषा बदल रहा है| इसलिए हमारे पड़ोसियों और एससीओ क्षेत्र में संपर्क हमारी प्राथमिकता है|' उन्होंने कहा कि भारत एससीओ के लिए हर तरह का सहयोग देना पसंद करेगा, क्योंकि यह समूह भारत को संसाधनों से परिपूर्ण मध्य एशियाई देशों से दोस्ती बढ़ाने का अवसर प्रदान करता है| भारत और पाकिस्तान के इस संगठन का पूर्ण सदस्य बनने के बाद यह पहला मौका है जब भारतीय प्रधानमंत्री इस शिखर सम्मेलन में भाग लेने आये हैं| इस संगठन में चीन और रूस का दबदबा है|
मोदी ने कहा कि इस शिखर सम्मेलन का जो भी सफल निष्कर्ष होगा, भारत उसके लिए अपना पूर्ण सहयोग देने के लिए प्रतिबद्ध है| सम्मेलन के दौरान अपने संबोधन में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने संयुक्त परियोजनाओं के लिए एससीओ को 30 अरब युआन यानी 4|7 अरब डॉलर का ऋण देने की भी घोषणा की| एससीओ में अभी आठ सदस्य देश है जो दुनिया की करीब 42% आबादी और वैश्विक जीडीपी के 20% का प्रतिनिधित्व करता है| मोदी के अलावा इस शिखर सम्मेलन में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन, ईरान के राष्ट्रपति हसन रुहानी और पाकिस्तान के राष्ट्रपति ममनून हुसैन भी शामिल हुए हैं| वर्ष 2001 में स्थापित इस संगठन के भारत के अलावा रूस, चीन, किर्गीज गणराज्य, कजाकिस्तान, ताजिकिस्तान, उज्बेकिस्तान और पाकिस्तान सदस्य हैं|