पटना : आरा कोर्ट में शुक्रवार की दोपहर हुए विस्फोट के पीछे किसी तरह की आतंकी साजिश नहीं है और न ही इसमें किसी मानव बम का इस्तेमाल किया गया है. यह विस्फोट कैदियों को भागने के लिए किया गया. मुख्य सचिव अंजनी कुमार सिंह ने इस बात की जानकारी दी. उन्होंने विस्फोट के बाद तुरंत डीजीपी पीके ठाकुर, एडीजी गुप्तेश्वर पांडेय, सीएम के प्रधान सचिव अमृत लाल मीणा, सचिव अतिशचंद्र समेत अन्य अधिकारियों के साथ उच्चस्तरीय बैठक कर घटना के बारे में जानकारी ली. साथ ही उन्होंने सभी संबंधित अधिकारियों को उचित निर्देश दिये. उन्होंने बताया कि जेल में सजा काट रहे दो कुख्यात कैदी लंबु शर्मा और अखिलेश उपाध्याय को भगाने के लिए पूरी घटना को अंजाम दिया गया है. बम की अदला-बदली के दौरान यह विस्फोट हुआ है. शुरुआती जांच में इसकी पुष्टि हो गयी है. पूरे मामले की विस्तृत जांच का जिम्मा आइजी (ऑपरेशन) सुशील एम खोपड़े को दिया गया है. घटनास्थल की छानबीन करने के लिए पुलिस मुख्यालय ने एफएसएल (फोरेंसिक साइंस लैब) की टीम को रवाना कर दिया गया. सुरक्षा व्यवस्था बनाये रखने के लिए 100 से ज्यादा अतिरिक्त सुरक्षा बलों को आरा के लिए रवाना कर दिया गया है. इसमें एसटीएफ के जवान भी शामिल हैं. 26 जनवरी (गणतंत्र दिवस) के पहले हुई इस घटना को देखते हुए प्रशासन ने राज्य भर में खासकर पटना में अलर्ट जारी कर दिया है. पुलिस बलों को विशेष तौर से सतर्क रहने की हिदायत दी गयी है. दोनों कुख्यात फरार इस घटना को अंजाम देने के पीछे अपराधियों का जो मकसद का था, उसमें वे सफल रहे. पुलिस गिरफ्त से दोनों कुख्यात कैदी लंबु शर्मा और अखिलेश उपाध्याय फरार हो गये. दोपहर को जब आरा कोर्ट में पेशी के लिए दोनों कुख्यातों को पुलिसवाले ले जा रहे थे, तभी यह विस्फोट हुआ. बम की इंटेंसिटी या क्षमता बहुत ज्यादा नहीं होने के कारण यह अनुमान लगाया जा रहा है कि यह सामान्य स्तर का देसी बम था. घटना में मारी गयी महिला के हाथ से बम की अदला-बदली की जा रही थी, इसी दौरान यह फट गया. बम को यहां फेंक कर दोनों कैदियों को छुड़ाने की योजना थी.