रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बात दोहराते हुए जनरल मैनेजरों को आश्वस्त किया है कि रेलवे का निजीकरण नहीं होगा। उन्होंने मंगलवार को जीएम और जोनल मैनेजरों की कांफ्रेंस में घोषणा की कि वह रेलवे की सूरत बदलने के लिए एक श्वेत पत्र जारी करने जा रहे हैं, जिस पर उन्हें अमल करना होगा। रेल मंत्री ने यह भी खुलासा किया कि उन्होंने सभी सांसदों को पत्र लिखकर अपील की है कि वह अपनी सांसद निधि से अपने क्षेत्रों में रेलवे के विकास कार्यों को भी कराएं, जिससे जनता को मदद मिल सके। साथ ही उन्होंने सभी जोनल मैनेजरों को भी निर्देश दिए कि सांसदों की ओर से इस तरह का कोई भी अनुरोध मिलता है तो उस पर तत्काल कार्यवाही की जाए। रेल मंत्री ने जोनल व जनरल मैनेजरों को रेलवे के साझीदारों की आशाओं से उन्हें अवगत कराते हुए इस पर खरा उतरने को कहा। उन्होंने यह भी कहा कि वह उन्हें कार्यों को कराने की शक्तियां प्रदान कर चुके हैं लेकिन अब उनकी भी जवाबदेही बन गई है। उन्हें भी अपने आप को साबित करना होगा। उन्होंने कहा कि रेलवे का निजीकरण नहीं होगा लेकिन उसे विभिन्न स्रोतों से फंड की जरूरत है, जिससे रुके पड़े कार्यों को निपटाया जा सके। रेलवे को पटरी पर लाने के लिए फंड की बेहद आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि काफी विस्तृत हो चुके ट्रैफिक रूट को सुचारु करने की जरूरत है। ऐसा नई लाइनें बिछाने की बजाय लाइनों के दोहरीकरण व तिहरीकरण करने से होगा।