पटना 29 जून:- बिहार में लागू मद्य निषेध की नीति, उसका कार्यान्वयन एवं प्रभाव का अध्ययन करने के लिये आये हुये छत्तीसगढ़ के 11 सदस्यीय अध्ययन दल ने मुख्यमंत्री के परामर्षी, नीति एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन अंजनी कुमार सिंह से 1 अणे मार्ग स्थित संकल्प सभागार में मुलाकात की। यह मुलाकात मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ प्रस्तावित थी लेकिन उनकी अस्वस्थता के कारण अंजनी कुमार सिंह ने अध्ययन दल के साथ विस्तृत विचार-विमर्श किया|
मुख्यमंत्री के परामर्शी अंजनी कुमार सिंह ने अध्ययन दल को विस्तार से शराबबंदी को राज्य में लागू करने के दौरान किए गए प्रयासों को बताया। उन्होंने कहा कि बिहार में शराबबंदी लागू करना बहुत ही कठिन काम था। यहां के कुछ पढ़े लिखे वर्ग, डिफरेंट लॉबी के लोग इसके विरोध में थे। शराब से प्राप्त होने वाले बहुत बड़े राजस्व की हानि, पर्यटन पर बुरा प्रभाव जैसे कई कारण इसे बंद नहीं करने के पक्ष में बताए गए लेकिन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की दृढ़ इच्छाशक्ति के कारण 05 अप्रैल 2016 से बिहार में पूर्ण शराबबंदी लागू कर दी गई। उन्होंने अध्ययन दल को बताया कि 9 जुलाई 2015 को महिलाओं के एक कार्यक्रम में कुछ महिलाओं की मांग पर मुख्यमंत्री ने यह घोषणा की थी कि अगली बार सरकार में आते ही शराबबंदी को राज्य में लागू करेंगे। चुनाव के पश्चात सत्ता में आते ही मुख्यमंत्री ने इसके लिए पदाधिकारियों एवं अन्य लोगों से विचार-विमर्श किया। शिक्षा विभाग के द्वारा गाना, नाटक एवं कला जत्था के द्वारा गांव-गांव तक अभियान चलाया गया। शपथ पत्र भरवाया गया, दीवारों पर स्लोगन लिखवाए गए। इन सब चीजों से समाज में एक वातावरण शराबबंदी के खिलाफ बना। सरकार ने यह विचार किया कि शराबबंदी को चरणबद्ध ढंग से लागू किया जाए। 01 अप्रैल 2016 को राज्य में शराबबंदी लागू हो गयी, इसके तहत ग्रामीण क्षेत्रों में देशी एवं विदेशी दोनों तरह के शराब की बिक्री एवं सेवन को रोक दिया गया। शहरी क्षेत्रों में भी सिर्फ विदेशी शराब बेचने की इजाजत रही लेकिन शहरों में महिलाओं, बच्चों एवं सभी वर्ग के लोगों ने इसका विरोध किया। यह देखने के बाद 5 अप्रैल 2016 से पूर्ण शराबबंदी पूरे बिहार में लागू कर दी गयी।
मुख्यमंत्री के परामर्शी ने बताया कि पूर्ण शराबबंदी लागू करने के बाद पुराने कानून को बदलकर नया प्रोहिबिशन कानून बनाया गया। राज्य में चाहे कोई भी हो, अगर शराब पीते हुए या इसका व्यवसाय करते हुए पकड़ा गया तो उस पर कठोर से कठोर कार्रवाई की जाती है। कानून का कड़ाई से पालन कराने हेतु ब्रेथ एनालाईजर एवं सीमा पर जांच की कड़ी व्यवस्था की गई है। अन्य सटे किसी राज्यों में शराबबंदी न लागू होने से राज्य में इस कानून को सफल बनाने के लिए और कठिन परिश्रम करना पड़ रहा है।
अंजनी सिंह ने कहा कि शराब के कारोबार से राज्य को 5000 करोड़ रूपये के राजस्व की प्राप्ति होती थी किन्तु अगर पाँच हजार करोड़ रूपये सरकार को राजस्व के रूप में आमदनी हो रही थी तो दस से पन्द्रह हजार करोड़ रूपये लोगों का शराब में खर्च हो रहा होगा। आज लोग उन पैसों का उपयोग अच्छे कामों के लिये कर रहे हैं, इसके लिये कई सर्वे कराये गये हैं। सर्वे में यह जानकारी मिली है कि इस पैसे का सदुपयोग लोग अच्छे खान-पान, शिक्षा, रहन-सहन पर करने लगे हैं, जिससे राज्य में कारोबार बेहतर हुआ है और राज्य को इससे अच्छा राजस्व प्राप्त होने लगा है। इस कार्य से जुड़े लोगों के लिए वैकल्पिक रोजगार की व्यवस्था भी सरकार द्वारा की जा रही है। शराबबंदी से पारिवारिक हिंसा में कमी आयी है, सड़क हादसों में कमी आयी है।
छत्तीसगढ़ के अध्ययन दल ने बिहार में लागू शराबबंदी के अध्ययन के लिए क्षेत्रों का भी दौरा किया है। अध्ययन दल ने बताया कि हर जगह की महिलाओं ने इसकी काफी प्रशंसा की है। शराबबंदी से हो रहे फायदों के बारे में बताया है। अध्ययन दल के प्रतिनिधियों ने कहा कि हमारे राज्य के मुख्यमंत्री भी शराबबंदी के पक्ष में हैं और इसके लिए एक वातावरण बनाने की कोशिश कर रहे हैं।
छत्तीसगढ़ से आए अध्ययन दल में बस्तर के सांसद दिनेश कश्यप, जंजगीर चंपा की सांसद कमला देवी पटले, कवर्धा के विधायक अशोक साहू, कुनकुरी के विधायक रोहित कुमार र्साइं, छत्तीसगढ़ सरकार के उत्पाद एवं निबंधन विभाग के सचिव डी0डी0 सिंह सहित अन्य सदस्य शामिल थे।
अध्ययन दल से विचार-विमर्श के पश्चात मुख्यमंत्री के परामर्शी ने अध्ययन दल के सभी सदस्यों को अंगवस्त्र एवं प्रतीक चिह्न भेंटकर सम्मानित किया।
बैठक में प्रधान सचिव मद्य निषेध उत्पाद एवं निबंधन आमिर सुबहानी, मुख्यमंत्री के सचिव अतीश चंद्रा, मुख्यमंत्री के सचिव विनय कुमार, मुख्यमंत्री के सचिव मनीष कुमार वर्मा सहित मद्य निषेध उत्पाद एवं निबंधन विभाग अन्य पदाधिकारीगण तथा जीविका के प्रतिनिधिगण उपस्थित थे।
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