चुपचाप काम में जुटे हैं चंद्रबाबू नायडू आंध्र प्रदेश के विभाजन के बाद तेलंगाना अलग राज्य बना. तेलंगाना को हैदराबाद के रूप में बनी बनायी राजधानी मिल गयी. आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू बजाय इस पर हंगामा करने के नयी राजधानी के निर्माण के काम में लग गये. गौरतलब है कि चंडीगढ़ के लिए हरियाणा और पंजाब के बीच आज तक तकरार है. राज्य बंटवारे के बाद आंध्र प्रदेश को जो भी संसाधन और क्षेत्र मिला, उसी का उपयोग करके राज्य को विकसित करने के लिए मुख्यमंत्री नायडू निरंतर कोशिश में लगे हैं. दूसरी ओर बिहार से अलग होने के बाद से झारखंड के नेता संसाधनों का रोना ही रोते रहे. कभी झारखंड को अपने रास्ते पर मजबूती से कदम बढ़ाने का प्रयास ही नहीं हुआ. पढ़िए एक रिपोर्ट. जून, 2014 में मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद से एन चंद्रबाबू नायडू अपने राज्य के विकास का ब्लूप्रिंट बनाने में जुटे हुए हैं. विभाजन के बाद 13 जिले आंध्र प्रदेश को मिले. इनमें से नौ तटीय आंध्र के और चार रायलसीमा क्षेत्र के हैं. नायड़ू अपने राज्य की विशिष्टताओं को ध्यान में रख कर सारा काम कर रहे हैं. राज्य अलग होते ही अलग राजधानी की जरूरत थी. नायडू कृष्णा नदी के तट पर ‘रिवरफ्रंट कैपिटल’ बनाना चाहते हैं. उन्होंने इसके लिए गुंटूर-विजयवाड़ा क्षेत्र का चयन किया. लगभग 30,000 एकड़ में नयी राजधानी बनायी जायेगी. इस पर लगभग एक लाख करोड़ रुपये का खर्च आयेगा. उन्होंने राजधानी के लिए भू-अधिग्रहण करने के दौरान इस क्षेत्र में पड़नेवाले किसी घर को भी नहीं तोड़ने को कहा है. सिर्फ खेती की जमीन और परती जमीन ही ली जायेगी. जमीन मालिकों के लिए मुआवजे और तकनीकी प्रशिक्षण की व्यवस्था पर काम हो रहा है. यही नहीं आंध्र में हाल में ही आये भीषण तूफान के दौरान भी चंद्रबाबू नायडू चुपचाप बिना हल्ला किये राहत और बचाव कार्य में जुटे रहे. अपनी सरकार के सौ दिन पूरे होने के मौके पर नायडू के पास बताने के लिए बहुत कुछ है. लेकिन वह चुपचाप अपने राज्य को आगे बढ़ाने में जुटे हैं. नायडू ने इस दौरान बिजली, रक्षा उत्पादन एवं मोटरसाइकिल निर्माण के लिए करीब एक दर्जन एमओयू पर हस्ताक्षर किये हैं. उम्मीद की जा रही है इससे राज्य में करीब आठ हजार करोड़ रुपये का निवेश आयेगा. नयी राजधानी : मुख्यमंत्री नायडू नयी राजधानी के निर्माण में मदद के लिए दिसंबर, 2014 में जापान की पांच दिवसीय यात्र पर ओसाका, क्योटो, फुकुओका और टोकियो गये. जापान की कई कंपनियों से मिले, सरकारी संगठनों से मिले. उन्होंने दिलचस्पी भी दिखायी. जापान नयी राजधानी के निर्माण में मदद करेगा और सिंगापुर मास्टर प्लान बनाने में मदद करेगा. सिंगापुर के ट्रेड एंड कॉमर्स मिनिस्टर इस काम को अंजाम देने के लिए आंध्र प्रदेश आनेवाले हैं. जापानी कंपनियां शहर के निर्माण कार्य, पर्यावरण और शहर की अन्य जरूरतों का काम करने के लिए तैयार हैं. जापान के पीएम को आमंत्रण : नायडू ने जापान के प्रधान मंत्री शिंजो एबे को आंध्र प्रदेश आने का न्योता दिया है. और निवेदन किया कि जापान भारत में जो भी निवेश करे, उसका एक महत्वपूर्ण अंश आंध्र प्रदेश को भी मिले. मालूम हो कि जापान ने भारत में 35 बिलियन डॉलर निवेश की प्रतिबद्धता दर्शायी है. नायडू कहते हैं कि जापान ने प्राकृतिक विपदाओं और अन्य बड़ी विपत्तियों का सामना करते हुए तरक्की की है. आंध्र प्रदेश को इससे बहुत कुछ सीखना है. उन्होंने बंदरगाहों के इनफ्रास्ट्रर डेवलपमेंट में मदद मांगी है. विशाखापत्तनम और कृष्णापत्तनम को एक्सक्लूसिव कंटेनर पोर्ट बना कर दक्षिण-पूर्वी एशिया का लॉजिस्टिक हब बनाने में मदद मांगी है. इस यात्र में जापान के व्यापार और उद्योग मंत्रलय के साथ कई एमओयू पर दस्तखत किये गये. इसके तहत जापानी कंपनियां आंध्र प्रदेश में सीधे निवेश कर सकेंगी. राज्य के कई शहरों में इंडस्ट्रियल पार्क बनाने में मदद करेगी. सुमितोमो कॉरपोरेशन के साथ चार एमओयू हुए, इसके तहत यह कंपनी आंध्र प्रदेश में 4,000 मेगावाट का थर्मल पावर स्टेशन बनायेगी और नयी राजधानी को वर्ल्ड क्लास सिटी बनाने में मदद करेगी. अलग सेल : जापानी कंपनियों के लिए उद्योग विभाग में एक अलग सेल बनाया जायेगा, इसमें जापानी भाषा जानने वाले चार एक्सक्यूटिव रखे जायेंगे. सेल निवेशकों की फाइल के स्पीडी क्लीयरेंस के काम के अलावा इससे जुड़े हर काम में मदद का काम करेगा. सोलर पावर प्लांट : सॉफ्टबैंक कॉरपोरेशन को आंध्र प्रदेश में 2500 मेगावाट का सोलर पावर प्लांट में सहयोगी बनाने के लिए आमंत्रित किया है. मालूम हो कि जैसे ही नायडू को पता चला कि सॉफ्टबैंक भारत में 10,000 मेगावाट का सोलर पावर प्लांट लगाना चाहती है तो उन्होंने बैंक को आमंत्रित कर दिया. यह बैंक में 10 बिलियन डॉलर निवेश करना चाहती है. नायडू ने इस कंपनी से आइटी सेक्टर में भी निवेश करने के लिए निवेदन किया है. इसी के मद्देनजर कंपनी दो महीने में एक प्रोजेक्ट रिपोर्ट बना कर देगी. बैंक के चेयरमैन ने इस मुद्दे पर आंध्र प्रदेश आने का वादा किया है. अब ऑस्ट्रेलिया को न्योता : चंद्र बाबू नायडू अब आंध्र प्रदेश में निवेश के लिए ऑस्ट्रेलिया को आमंत्रित करना चाहते हैं. खासतौर पर मेरिन(समुद्री) सेक्टर में . ऑस्ट्रलिया मेरिन इंडस्ट्री और एकुआकल्चर के लिए जाना जाता है. आंध्र प्रदेश के बाद भी लंबा समुद्री तटहै. करीब 972 किलोमीटर लंबा. नायडू चाहते हैं कि इस सेक्टर में ऑस्ट्रेलिया निवेश करे. वह आंध्र प्रदेश को मेरिन हब बनाना चाहते हैं. इसी क्रम में दिल्ली में इंडो ऑस्ट्रेलियन समिट को संबोधित भी किया. नायडू चाहते हैं कि ऑस्ट्रेलिया और आंध्र प्रदेश फिशरीज, एकुआकल्चर, माइनिंग, एग्रीकल्चर, फूड प्रोसेसिंग, हेल्थकेयर, लाइफसाइंसेज, एजूकेशन और टूरिज्म में साथ काम करने की संभावना है. ब्रैकिश और फ्रेश वाटर श्रिंप उत्पादन में पहला और फ्रेश वाटर फिश उत्पादन में दूसरा स्थान है आंध्र प्रदेश का. झींगा उत्पादन में चौथा स्थान है, इसलिए नायडू इस सेक्टर में आगे बढ़ना चाहते हैं. मछलियों के कुल उत्पादन का 40 फीसदी अकेले आंध्र प्रदेश से पूरा करने का टारगेट है. अभी का उत्पादन 20 फीसदी है. समुद्र तटीय बालू, बेराइट और ग्रेनाइट का रिजर्व सर्वाधिक आंध्र प्रदेश में है. लाइमस्टोन और बॉक्साइट में दूसरा स्थान है. इसलिए ऑस्ट्रेलिया के साथ मिल कर माइनिंग सेक्टर में माइन एक्सप्लोरेशन एंड डेवलपमेंट, मिनरल प्रोसेसिंग और माइन सेफ्टी- कम्यूनिकेशन, रिसर्च एंड डेवलपमेंट के क्षेत्र में काम करना चाहते हैं. ऑस्ट्रेलिया की मदद से कमर्शियल डेयरी फार्मिग और डेयरी प्रोसेसिंग की इकाई राज्य में स्थापित करना चाहते हैं.