मांझी ने चला नया दांव, 20 को साबित करेंगे बहुमत

रिपोर्ट: साभारः

बिहार में जदयू के अंदर मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी और पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बीच छिड़ी जंग कुछ और खिंचेगी। संभव है कि इस जंग में नीतीश खेमे में दिख रहा समर्थन कुछ और कम हो जाए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात के बाद मीडिया से बातचीत में नीतीश कुमार और शरद यादव पर आक्रामक मांझी ने जल्द ही कैबिनेट विस्तार की बात कही। स्पष्ट संकेत दिया कि विस्तार में दो उप मुख्यमंत्री भी बनाए जा सकते हैं। वह सोमवार को राज्यपाल से मिलकर इसकी अनुमति लेंगे। बावजूद इसके जदयू मांझी को हटाने में सफल रहा तो राजनीतिक रूप से महादलितों के बीच उनकी पैठ और मजबूत होगी। विपक्ष में बैठी भाजपा भी इस खींचतान का बड़ा फायदा उठा सकती है। हालांकि मांझी ने प्रधानमंत्री से मुलाकात के बाद इस्तीफा देने से स्पष्ट इन्कार कर दिया। कहा, विधानसभा में बहुमत सिद्ध न कर पाने पर ही दूंगा इस्तीफा। बिहार में जहां जदयू समेत राजद और कांग्रेस का खेमा सत्ता की बागडोर वापस नीतीश कुमार के हाथ देने की जल्दी में है। वहीं, मांझी ने मास्टर स्ट्रोक चल दिया है। हालांकि भाजपा या प्रधानमंत्री से इस बाबत उन्होंने किसी तरह की बातचीत से इन्कार किया, लेकिन सूत्रों के अनुसार भाजपा के लिए राजनीतिक रूप से यही लाभप्रद है कि उनकी आपसी जंग और तीखी हो। इस परोक्ष समर्थन से उत्साहित मांझी ने कैबिनेट विस्तार का नया दांव खेल दिया है। उन्होंने एक तरह से खुला आमंत्रण दिया है कि जो नीतीश का खेमा छोड़ उनके साथ आएगा, वह मंत्री बनेगा। दिल्ली में पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा- \'अभी दर्जन से ज्यादा मंत्री पद खाली हैं। इसमें दो उप मुख्यमंत्री भी बनाए जा सकते हैं। मैं सोमवार को ही राज्यपाल से अनुमति लूंगा कि मंत्रिमंडल विस्तार कर सकूं।\' गौरतलब है कि बिहार में सितंबर-अक्टूबर में विधानसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में कई विधायक मांझी के पाले में खड़े हो जाएं तो अचरज नहीं। मांझी ने राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद को भी घेरने की कोशिश की कहा, वह हर किसी से समर्थन मांगेंगे.. यही वक्त है जब जनता देखेगी कि महादलित के साथ कौन खड़ा है? ध्यान रहे कि पिछले कई दिनों से चल रहे विवाद में अब तक लालू एक बार भी मांझी के खिलाफ नहीं बोले हैं, जबकि लालू के कुछ विधायक भी खुल कर मांझी के समर्थन में बोलने लगे हैं। जनता परिवार के विलय पर लालू का रुख बहुत उत्साहित नहीं रहा है। सूत्रों की मानें तो लालू भी चाहेंगे कि विलय से पहले राजद, जदयू पर हावी रहे। इसमें अगर मांझी का दांव सही पड़ता है तो उसे पूरी तरह खारिज नहीं किया सकता है। विधायक दल की बैठक में नीतीश को दोबारा नेता चुने जाने की बात पर मांझी ने कहा कि सड़क पर खड़े होकर संवैधानिक फैसला नहीं लिया जा सकता है। शरद और नीतीश ने जो कुछ किया है, वह असंवैधानिक है। मांझी को विश्वास है कि राज्यपाल केसरी नाथ त्रिपाठी संविधान और कानून के अनुसार ही फैसला लेंगे और खुद मांझी की ओर से विधायक दल की बैठक में होने वाले निर्णय को ही मान्यता देंगे। अगर ऐसा हुआ तो नीतीश खेमे को अभी और इंतजार करना होगा। लेकिन जदयू मांझी को हटाने में सफल भी हुआ तो यह संदेश जाएगा कि उन्होंने महादलित को धक्का मारकर निकाला है। इसकी राजनीतिक कीमत जदयू-राजद के लिए महंगी होगी।


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