Monday, 30 December 2024, 10:07:18 pm

बिहार में बहेंगी दूध की नदियाँ, कृषि रोड मैप (2017-22) के तहत उत्पादन दोगुना करने का लक्ष्य

रिपोर्ट: Ramesh Pandey

बिहार में बहेंगी दूध की नदियाँ, कृषि रोड मैप (2017-22) के तहत उत्पादन दोगुना करने का लक्ष्य

      बिहार के आर्थिक और सामाजिक विकास के उत्तम आधारभूत संरचना पर नीतीश सरकार ने प्रारम्भ से ही ध्यान केन्द्रित किया है| नई आधारभूत संरचना के निर्माण के साथ-साथ उसके रख-रखाव की नीति भी बनाई गई| राज्य के समावेशी विकास की रणनीति में कृषि के विकास को सर्वोच्च प्राथमिकता दी गई, क्योंकि राज्य की 89 प्रतिशत आबादी गाँवों  में बसती है और 76 प्रतिशत आबादी अपनी आजीविका के लिएआज भी कृषि पर आश्रित है| ग्रामीण आबादी को ध्यान में रखते हुए ही नीतीश सरकार ने वर्ष 2008 में पहला कृषि रोड मैप बनाया ताकि प्रथम हरित क्रांति से वंचित बिहार में इन्द्रधनुषी क्रांति लायी जा सके जो स्थायी तथा सदाबहार हो|

      बिहार में अबतक दो कृषि रोड मैप के माध्यम से कृषि उत्पादों के साथ-साथ अंडा, मछली, मांस और दूध के उत्पादन में गुणात्मक वृद्धि देखी गयी| समावेशी विकास का नजरिया रखनेवाली नीतीश सरकार सभी वर्ग के लोगों एवं क्षेत्रों के विकास के मद्देनजर कई कल्याणकारी योजनाओं का संचालन कर रही है ताकि तरक्की की रफ्तार को और अधिक गति दिया जा सके| वर्ष 2008 में शुरू हुए कृषि रोड मैप की कड़ी को आगे बढ़ाते हुए नीतीश सरकार ने तीसरा कृषि रोड मैप (2017-2022) बनाया है ताकि किसानों के साथ-साथ पशुपालकों को भी आर्थिक रूप से समृद्ध किया जा सके| इस रोड मैप का मकसद बिहार के 60 प्रतिशत गाँवों तक पहुँच के साथ सभी दूध उत्पादकों को दुग्ध सहकारी तंत्र के अंतर्गत शामिल करना एवं राष्ट्र के 4 प्रथम दुग्ध संग्रहणकर्ताओं में पहला स्थान हासिल करना है| इसके साथ-साथ दुग्ध सहकारी तंत्र के प्रजातांत्रिक स्वरूप का सुदृढ़ीकरण कर बिहार के सभी जिलों तक पहुँचाना है|

      बिहार की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करने एवं ग्रामीण रोजगार सृजन हेतु राज्य में दूध उत्पादन में बढ़ोत्तरी के लिए कई महत्वाकांक्षी योजनाएँ सहित समग्र गव्य विकास योजना वर्ष 2010-11 से संचालित की गयी है| इस योजना का मुख्य उद्देश्य डेयरी क्षेत्र में दुग्ध उत्पादकता, उसके प्रसंस्करण संरक्षण और विपणन के लिए सभी आवश्यक उपाय किए गए हैं| साथ ही डेयरी क्षेत्र में लगे किसानों के लिए स्वरोजगार और आय वृद्धि के अवसर उत्पन्न करना है| इसके तहत 2, 5, 10 और 20 दुधारू मवेशी की डेयरी इकाई स्थापित करने की व्यवस्था है| जिसमे किसान पशुपालकों के लिए कुल लागत राशी में अनुदान की व्यवस्था की गई है| इसके अंतर्गत सामान्य जाति के किसानों के लिए 50 फीसद और अनुसूचित जाति व जनजाति के किसान पशुपालकों के लिए 66.66 फीसद अनुदान राशी उपलब्ध करवाने की व्यवस्था की गई है|

      राज्य सरकार के तीसरे कृषि रोड मैप को देखें तोवर्ष 2005-06 में 5243 दूध उत्पादन सहयोग समितियों का गठन किया गया जिसकी वर्तमान में राज्यान्तर्गत गठित दुग्ध समितियों की कुल संख्या--20691 है|यह 19500 (47 प्रतिशत) गाँवों में आच्छादित है| इन दुग्ध उत्पादक सहयोग समितियों की संख्या को अलगे पांच वर्षों में बढ़ाकर 28191 करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है इसके लिए 132.25 करोड़ की धनराशी खर्च की जायेगी| महिला दुग्ध उत्पादक सहयोग समितियों की संख्या 2163 है जिसे 2022 तक 4788 करने का लक्ष्य राज्य सरकार ने अपने तीसरे कृषि रोड मैप में निर्धारित किया है| इन समितियों में सदस्यों की कुल संख्या वर्ष 2005-06 में 2.67 लाख थीजो वर्तमान में 10.85 लाख  है और इसे 2022 तक 14.975 लाख तक पहुंचाना है| जिसमें 18.3 प्रतिशत महिला सदस्य सम्मिलित हैं| वर्ष 2005-06 में डेयरी प्लांट की प्रोसेसिंग क्षमता 7.04 लाख ली0 प्रतिदिन थी जो वर्तमान में सहकारी क्षेत्र के अंतर्गत दुग्ध प्रसंस्करण क्षमता 25.60 लाख लीटर प्रतिदिन है इसे बढ़ाकर वर्ष 2022 तक चरणबद्द तरीके से 50.70 लाख लीटर प्रतिदिन करना है| दुग्ध प्रोसेसिंग के लिए आधारभूत संरचना पर अगले 5 वर्षों में 565 करोड़ रुपया खर्च किया जाएगा| दूध की उपलब्धता 2005-06 में जहाँ 148 ग्राम प्रति व्यक्ति/प्रतिदिन थी वही यह बढ़कर अब वर्ष 2016-17 में 229 ग्राम प्रति व्यक्ति प्रतिदिन takतक पहुँच गई है| भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद द्वारा दूध की न्यूनतम आवश्यकता 220 ग्राम प्रति व्यक्ति प्रतिदिन अनुशंसा की गई है| इस प्रकार वर्तमान बिहार 9 ग्राम प्रति व्यक्ति प्रतिदिन दूध की वृद्धि को दर्शाता है| वर्ष 2013-14 में बिहार का कुल दूध उत्पादन 71.97 लाख टन था जो वर्ष 2016-17 में में बढ़कर 87.10 लाख टन हो गया है यह 3 साल के अंतराल में 21.02 प्रतिशत की वृद्धि है| इस प्रकार बिहार राज्य दूध उत्पादन में देश में 9 वें स्थान पर है|

      गव्य प्रक्षेत्र के विकास कार्यक्रमों का ही परिणाम है कि वर्तमान बिहार दूध के आयातक की जगह अब निर्यातक हो गया है| बिहार आज पश्चिम बंगाल, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, उतराखंड एवं भारत के 7 पूर्वोत्तर राज्यों में दूध एवं दूध से बने पाउडर की आपूर्ति कर रहा है| राज्य में पशुओं के सर्वांगींण विकास के लिए `बिहार पशु प्रजनन नीति-2011 को लागू किया गया|राज्य में दुग्ध उत्पादकों, कृषकों, बेरोजगार युवक-युवतियों, महिलाओं एवं गव्य तकनीकी पदाधिकारियों को आधुनिक गव्य तकनीक से सम्बन्धित अगले 5 सालों में विभाग द्वारा कुल 38290 एवं कॉमफेड द्वारा 62700 लोगों को प्रशिक्षित करने का लक्ष्य निर्धारित है

      कॉम्फेड द्वारा स्थापित वर्तमान डेयरी प्लांट को स्वचालित कर आगामी 5 वर्षों में प्रशीतिकरण व्यवस्था में वृद्धि और मार्केटिंग नेटवर्क को विस्तारित कर शेष बचे हुए शहरी इलाकों तथा नगर पंचायत स्तर तक ले जाने का कार्यक्रम है| पशुओं के उत्तम नस्ल हेतु हिमीकृत सिमेन का उपयोग कर कृत्रिम गर्भाधान सेवा उपलब्ध कराने एवं उत्तम गुणवत्ता का पशु आहार उपलब्ध कराकर दुग्ध उत्पादन में बढ़ोत्तरी करने की योजना है| इसके लिए वर्ष 2022 तक राज्य योजना अंतर्गत 25 लाख लीटर प्रतिदिन क्षमता का नये आधुनिक डेयरी प्लांट स्थापित किया जाएगा|राज्य सरकार आगामी पाँच सालों में दुग्ध संग्रहण में पारदर्शिता लाने के मकसद से सभी समितियों में अत्याधुनिक स्वचालित दुग्ध संग्रहण संयंत्र स्थापित करेगी|

 


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