पटना : पटना के बापू सभागार में उत्तर पूर्वी भारत के राज्यों की कला और संस्कृति के तीन दिवसीय सांस्कृतिक कार्यक्रम ‘ऑक्टेव 2019’ सफलतापूर्वक संपन्न हो गया। इस मौके पर केंद्रीय मंत्री रवि शंकर प्रसाद, कला संस्कृति एवं युवा विभाग बिहार सरकार के मंत्री श्री प्रमोद कुमार, बिहार सरकार के मंत्री श्याम रजक, आईएएस अधिकारी रवि परमार, दीपक आनंद, विधायक नीतिन नवीन, अरूण कुमार सिन्हा, पूर्व क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र, कोलकाता के निदेशक गौरी बसु आदि गणमान्य लोग उपस्थित रहे।
इस दौरान समापन समारोह को संबोधित करते हुए केंद्रीय मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने पूर्वी क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र कोलकाता संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार और कला, संस्कृति एवं युवा विभाग, बिहार सरकार द्वारा प्रस्तुत उत्तर पूर्वी भारत के राज्यों की कला और संस्कृति का इस उत्सव की सराहना की। उन्होंने कहा कि विविधताओं के बाद भी हमारे देश को जोड़ने वाले कई तत्व हैं। इनमें एक आस्था भी है। आध्यात्म, संस्कृति और सामाजिक संरचना के बीच समांजस्य भी भारत को एक करती है। उन्होंने कहा कि पूर्वोत्तर भारत के लोग स्वाभिमानी होते हैं। वे न कभी मुगलों के सामने झुके और न ही अंग्रेजों के समाने। उनके साहस और पराक्रम की हम सराहना करते हैं।
आपको बता दें कि 12 दिसंबर 2019 से 14 दिसंबर 2019 तक पूर्वी क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र कोलकाता संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार और कला, संस्कृति एवं युवा विभाग, बिहार सरकार द्वारा प्रस्तुत उत्तर पूर्वी भारत के राज्यों की कला और संस्कृति का यह उत्सव आज समाप्त हो गया। इस उत्सव को लेकर पूर्व क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र, कोलकाता के निदेशक गौरी बसु ने उत्तर-पूर्व की समृद्ध सांस्कृतिक परंपराओं को अभिव्यक्त करनेवाला एक खूबसूरत त्योहार है जिसे 2006 में शुरू किया गया था। ऑक्टेव पूर्वोत्तर को ध्यान में लाता है और देश के अन्य हिस्सों के लोगों के बीच इस क्षेत्र के शानदार और सामंजस्यपूर्ण सौंदर्य के बारे में बेहतर रूप से समझ विकसित करता है । अरुणाचल प्रदेश, असम, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड, सिक्किम और त्रिपुरा के अष्ट कोणीय गठन की अपनी अलग सांस्कृतिक परंपरा और स्थलाकृति है।
उन्होंने कहा कि हाल में अपने मूल के माध्यम से ऑक्टेव अब देश के सांस्कृतिक कैलेंडर में एक प्रमुख कार्यक्रम बन गया है जनसांख्यिकी, सांस्कृतिक और भाषाई रूप से नॉर्थ ईस्ट के अस्तित्व वाले संस्कृतियों के सुंदर सम्मेलन का आदर्श उदाहरण है। यह महोत्सव उत्तर-पूर्व शास्त्रीय नृत्य रूपों, दृश्यकला और हस्तशिल्प की लोक जनजातीय परंपराओं को प्रदर्शित करेगा। भारत के उत्तर-पूर्वी राज्यों के रंगीन त्योहार और उत्सव लोगों की आशा, खुशी, सपने और आकांक्षाओं की अभिव्यक्ति है।