तमिलनाडु की राजनीति से शशिकला की छुट्टी, एक हुए AIADMK के दोनों धड़े

रिपोर्ट: ramesh pandey

तमिलनाडु की राजनीति आज एक बार फिर बड़े बदलाव की साक्षी बनी, जब एआईडीएमके के दोनों धड़ों (पन्नीरसेल्वम और पलानीस्वामी गुट) ने हाथ मिलाते हुए विलय की घोषणा कर दी। इसी के साथ ही राज्य की सत्तारूढ़ पार्टी में लंबे समय से चली आ रही असमंजस की स्थिति भी खत्म हो गई। इस विलय से सबसे बड़ा झटका पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता की सहयोगी शशिकला को लगा, जिनका अब राजनीतिक हाशिये पर जाना तय है। हालांंकि इस मर्जर के संकेत बीते कई दिनों से मिलने लगे थे जब दोनों धडों ने एक दूसरे के प्रति नरम रुख दिखाते हुए सुलह के संकेत दिए थे। इसके साथ ही दोनों गुटों के राजनीतिक प्रबंधकों ने सक्रिय होकर विलय की संभावनाओं पर मंथन शुरू कर दिया था। कई दौर की मीटिंग के बाद विलय की पटकथा तय हुई, इसके लिए सोमवार का दिन तय किया गया। पढ़ें- AIADMK विलय: पन्नीरसेल्वम ने कहा- जल्द साथ होंगे पार्टी के दोनों धड़े दोपहर दो बजे के करीब दोनों गुट AIADMK हेडक्वार्टर पहुंचे और बातचीत शुरू हुई। बैठक के लिए निकलने से पहले खुद पूर्व सीएम पनीरेसल्वम ने ट्वीट कर इसकी जानकारी दी। पढ़ें- तमिलनाडु के सीएम ने शशिकला के भतीजे दिनाकरन को बताया '420' इससे पहले रविवार को मीडिया से बातचीत में भी ओ. पन्नीरसेल्वम ने कहा था कि जल्द ही इस पर अच्छी खबर मिल सकती है। हम पहले की ही तरह संगठित होंगे और पार्टी में किसी परिवार का दखल नहीं होगा। बता दें कि तमिलनाडु की राजनीति में पिछले कई महीने से चल रहा एक ही पार्टी के दो धड़ों में विवाद जल्द खत्म हो सकता है। जयललिता की मौत के बाद से चल रही थी राजनीतिक खींचतान पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता की मौत के बाद से ही पन्नीरसेल्वम और पलानीस्वामी गुट का AIADMK में विवाद चल रहा है।पन्नीरसेल्वम ने कहा कि वो सीएम नहीं बनना चाहते हैं। लेकिन पार्टी की महासचिव वीके शशिकला और टीटीवी दिनाकरन को निकालने पर सभी सदस्यों की सहमति मिलने के बाद ही निकाला जाए। अभी जो निलंबन किया गया उसमें पार्टी के बड़े नेताओं जैसे की लोकसभा उपाध्यक्ष एम थंबीदुरई और सांसद विज इला व नवनीतकृष्णन के हस्ताक्षर हैं। एक हफ्ते में मिलेगी खुशखबरी ओपीएस ने इससे पहले रविवार को कहा था कि दोनों गुटों के एक होने में अभी कम से कम हफ्ता लगेगा। डील के मुताबिक जहां ओपीएस खेमे के कुछ नेता सरकार में शामिल होंगे और पार्टी का संचालन देखेंगे, वहीं ईपीएस खेमा पूरी तरह से सरकार का कामकाज देखेगा।


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