पटना : कहते हैं कि राजनीति में रोना या आंसू बहाना भी सियासी वक्त के तकाजे के तौर पर देखा जाता है. बिहार प्रदेश कांग्रेस में चल रहे अंदरूनी विवाद का असर प्रदेश अध्यक्ष के आंसू से जोड़कर देखा जा रहा है. पार्टी ने वर्षों बाद बिहार की महागठबंधन सरकार में सत्ता का स्वाद चखा था. आंकड़ों और आरोपों के खेल ने महागठबंधन का काम बिगाड़ दिया और कांग्रेस को सत्ता से अलग होना पड़ा. वर्षों बाद प्रदेश में सत्ता सुख के करीब पहुंची पार्टी को अचानक यह सब होना नागवार गुजरा और पार्टी के कई विधायक महागठबंधन के साथी राजद के साथ होने को सही नहीं बताकर अलग रास्ता अख्तियार करने की तैयारी में जुट गये. अालाकमान को यह पता चला कि बिहार में पार्टी बिखरने लगी है. तत्काल डैमेज कंट्रोल की कवायद शुरू हुई और प्रदेश के पार्टी नेताओं की दिल्ली में सोनिया और राहुल गांधी के साथ बैठक करनी पड़ी. बैठक का ठोस नतीजा बाहर निकलकर नहीं आया. हां, प्रदेश अध्यक्ष अशोक चौधरी के आंसू जरूर निकल आये. इन आंसूओं ने भले मीडिया को एक खबर दे दी, लेकिन प्रदेश अध्यक्ष की आंखों से निकले आंसूओं ने यह बता दिया कि बिहार में बहुत जल्द बगावत की बानगी देखने को जरूर मिलेगी. केंद्रीय नेतृत्व ने बनाये रखी नजर पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राहुल गांधी के सामने बिहार प्रदेश कांग्रेस के विधायकों और नेताओं ने अपनी बात रखी. जानकारी के मुताबिक विधायकों ने राहुल से यह भी कहा कि कांग्रेस को प्रदेश में अकेला चलो की नीति अपनानी चाहिए और लालू यादव से किनारा कर लेना चाहिए. इन विधायकों को यह पता है कि राहुल गांधी भी लालू यादव से पहले दूरी बना चुके हैं. विधायकों के इस प्रस्ताव से कांग्रेस के राष्ट्रीय नेतृत्व के अंदर ही बवाल मचने की खबर आने लगी. पार्टी के अंदर अब इस बात पर पड़ताल होने लगा कि आखिर लालू से नाराजगी की बात कहां से आ गयी. पड़ताल जरूरी भी था, क्योंकि कांग्रेस के इन्हीं सभी विधायकों ने बिहार विधानमंडल में महागठबंधन टूटने के बाद नीतीश के खिलाफ मतदान किया. इन्हीं विधायकों ने राष्ट्रपति चुनाव में मीरा कुमार के पक्ष में मतदान किया और नीतीश के खिलाफ एकजुट रहे. अचानक लालू फैक्टर कहां से जुड़ गया. पार्टी के अंदर यह सवाल उठने लगा कि बिहार प्रदेश कांग्रेस में लालू विरोध के नाम पर चलने वाले हस्ताक्षर अभियान के क्या मतलब हैं. इस पूरी कवायद और पार्टी के अंदर अचानक भगदड़ जैसी स्थिति के लिए जिम्मेदार कौन है. उपराष्ट्रपति चुनाव तक भी विधायकों में एकता बनी रही और तीन मौकों पर कांग्रेस के विधायक नीतीश के खिलाफ एकजुट रहे. प्रदेश अध्यक्ष का हटना तय पार्टी ने अपने सूत्रों के हिसाब से यह पता लगवाया कि जब नीतीश कुमार भाजपा के साथ हाथ मिलाकर सत्ता संभाल चुके हैं. पार्टी को नीतीश के खिलाफ जाना है. विधायक खिलाफ हैं भी, अचानक लालू के खिलाफ हस्ताक्षर अभियान चलाने का क्या मतलब है. पार्टी को यह पता चला कि हस्ताक्षर अभियान के पीछे जो दिमाग है, उसने आधार अपमान को बनाया है कि लालू ने कांग्रेस के साथ दुर्व्यवहार किया है. ऐसे में कांग्रेस का केंद्रीय नेतृत्व जल्द कुछ फैसला करे. पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व की ओर से मिल रही जानकारी की मानें, तो जब मंत्रियों के बंगलों को खाली कराने की बारी आयी, तो नीतीश के करीबी रहे अशोक चौधरी को बंगला खाली करने का नोटिस नहीं मिला. यह बात केंद्रीय नेतृत्व को पूरी तरह खल गयी है और अब पार्टी चार साल से अध्यक्ष रहे अशोक चौधरी को बाहर का रास्ता दिखाने की फिराक में है. वैसे भी कांग्रेस के एक विधायक ने नाम नहीं छापने की शर्त पर कहा कि डेढ़ महीने के भीतर कांग्रेस के सांगठनिक चुनाव में राहुल गांधी का अध्यक्ष बनना तय है. अंदर की बात मानें तो केंद्रीय नेतृत्व को यह लग रहा है कि बिहार में यदि कांग्रेस के सांगठनिक चुनाव होंगे, तो अशोक चौधरी उसे प्रभावित करेंगे. अशोक चौधरी भविष्य में कांग्रेस से अलग हटते हैं, तो स्थानीय स्तर के नेताओं को अपने पाले में कर लेंगे, इसलिए पार्टी ने उन्हें प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाने का निर्णय ले लिया है. जब रो पड़े प्रदेश अध्यक्ष इससे पूर्व गुरुवार को एक क्षेत्रीय चैनल से बातचीत में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. अशोक चौधरी के कैमरे के सामने आंसू निकल गये. अशोक चौधरी रो पड़े. अशोक चौधरी के दर्द को करीब से देखने वाले उनके नजदीकियों की मानें, तो हाल में कांग्रेस में जो भितरघात चल रही है, उसे लेकर डॉ. अशोक चौधरी पूरी तरह टूट चुके हैं. बिहार में पार्टी की कमान संभाल रहे चौधरी ने चैनल से बातचीत में कहा कि मैंने 25 साल की उम्र से इस पार्टी को ज्वाइन किया. 4 साल से बिहार में पार्टी को खड़ा करने में लगे हुए हैं. मेरी वफादारी पर शक किया जा रहा है. इतना कहने के साथ ही अशोक चौधरी रो पड़े. डॉ. अशोक चौधरी ने पार्टी के बड़े नेताओं पर भी बड़ा आरोप लगाया और कहा कि ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी के बड़े नेता ही इस सारे खेल को खेल रहे हैं. चौधरी ने कहा कि कुछ बड़े नेता अपने चहेतों को बिहार में पार्टी का अध्यक्ष बनाना चाहते हैं. चौधरी ने कहा कि पार्टी को मेरी वफादारी पर कोई शंका नहीं है लेकिन दिल्ली में बैठे कुछ सीनियर नेता मुझे बिहार में प्रदेश अध्यक्ष के पद से हटाना चाहते हैं. उसके लिए बड़ा गेम किया जा रहा है. इससे पूर्व कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने बुधवार को राज्य के विधायकों से मुलाकात की और राज्य के राजनीतिक हालात पर चर्चा की.