पटना : राजद से आ रही घमासान की खबरों पर बोलते हुए भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष राजीव रंजन ने आज कहा कि रामचन्द्र पूर्वे और रघुवंश बाबु के बाद जगदानंद बाबु तीसरे बड़े नेता हैं जिन्हें पार्टी से वफादारी निभाने का पुरस्कार आज बेइज्जती झेल कर मिल रहा है. भले ही जगदानंद अब इस्तीफे की बात को नकारने लगे हैं लेकिन अपने से छोटों से लगातार अपमानित होने का उनका दर्द छिपाए नहीं छिपता. वास्तव में वंशवाद के कारण अब राजद की स्थिति ऐसी हो गयी है कि वहां आत्मसम्मान वाले नेता टिक ही नहीं सकते.
उन्होंने कहा कि वंशवादी व्यवस्था का यह तकाजा होता है कि अन्य नेताओं को अनुभवहीन युवराजों की पालकी ढोनी पड़ती है. यहां कुर्सी परिवार के लिए आरक्षित होती है और झंडे उठाने का काम दुसरे नेताओं के लिए. यही वजह थी मौका मिलने पर राजद ने दिग्गज नेताओं को किनारे कर युवराजों को महत्वपूर्ण विभागों का मालिक बनाया था.
श्री रंजन ने कहा कि जो नेता अपने से अधिक उम्र के नेताओं, कार्यकर्ताओं यहां तक कि पार्टी की स्थापना करने वाले की इज्जत नहीं कर सकता, उससे जनता का सम्मान करने की अपेक्षा बेमानी है. वास्तव में दोनों युवराज जिस माहौल में पले-बढ़ें हैं, उसमें उन्होंने हमेशा अपने कार्यकर्ताओं को परिक्रमा करने वालों के तौर पर ही देखा है. इसी वजह से उनमें अहंकार कूट-कूट कर भरा है, जो गाहे-बगाहे उनके बयानों और अन्य क्रियाकलापों में दिखता रहता है. इसी अहंकार के कारणउन्होंने राजद की दुर्गति करने के साथ-साथ महागठबंधन की भी धज्जियां बिखेर दीं थी. जगदा बाबु के साथ हो रहे दुर्व्यवहार के बाद इन युवराजों पर अब उनके कार्यकर्ताओं का रत्ती भर भी भरोसा नहीं है. आने वाले समय में निश्चय ही इनकी पार्टी दो फाड़ हो जायेगी.
श्री रंजन ने कहा कि बीते लोकसभा चुनाव में राजद की लुटिया डुबोने के बाद से ही दोनों युवराज बदहवासी का शिकार बने बैठे है, जो बिहार चुनाव में मिली शिकस्त के बाद और बढ़ गयी है. विधानसभा में अपने से बड़ों के साथ तू-तड़ाक जैसी अभद्र भाषा का इस्तेमाल वह अपनी इसी बदहवासी को छिपाने के लिए करते हैं. राहुल गांधी की तरह उन्हें भी लगता है कि झूठी आक्रामकता दिखाने से उनकी अनुभवहीनता पर पर्दा पड़ जाएगा. लेकिन युवराज यह जान लें कि राहुल की तरह उनका बड़बोलापन अंत में उन्हीं पर भारी पड़ेगा.