भोजपुरी भाषा के लिए अनोखी पहल, बिहार का पंजवार गांव

रिपोर्ट: साभारः

बिहार के सीवान जिले में रघुनाथपुर प्रखंड से लगभग पांच किलोमीटर की दूरी पर एक गांव है पंजवार. राजेंदर बाबू के गांव जिरादेई से भी बहुत दूरी नहीं है इस गांव की. वहां पहली बार जाना हुआ था इस बार. तीन दिसंबर को. राजेंदर बाबू की जयंती के अवसर पर. मौका था भोजपुरी भाषा के उत्थान के लिए हुए एक अ-साधारण आयोजन का. आप भी पढ़ें निराला सोशल मीडिया के जरिये ही दुबई में रहनेवाले एक साथी नबीन कुमार भोजपुरिया से परिचय इसी साल के आरंभ में हुआ था. फिर बीच में पटना में मुलाकात हुई थी. उन्होंने ही कहा था कि एक साधारण-सा आयोजन करते हैं हमलोग हर साल पंजवार में तीन दिसंबर को, इस साल आइए. फिर नबीन से हुई बात-मुलाकात से भी यह अहसास हुआ कि ये पेशे से इंजीनियर जरूर हैं लेकिन भाषा, साहित्य और संस्कृति के प्रति बेहद सजग लोगों में से हैं. तीन दिसंबर को पंजवार पहुंचा. शाम ढलने के बाद. रास्ता भूलते-भटकते. कुहासे के कारण एक-एक कदम गाड़ी का सरकना मुश्किल था. जहां आयोजन का पंडाल था, वहां पहुंच कर भी बत्ती तक न दिखे. पंडाल में जाते ही एक अलग किस्म की अनुभूति होने लगी. सामने मंच पर पांचवां भोजपुरिया स्वाभिमान सम्मेलन का ब


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