एक अप्रैल से वित्तीय वर्ष की शुरुआत के साथ जहां इनकम टैक्स में बदलाव मिलेगा तो वहीं कारोबारियों और ट्रांसपोर्टर संचालकों को ई-वे बिल अपलोड करना पड़ेगा| इसके अलावा शेयर और म्यूचुअल फंड में निवेश करने वालों को लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स चुकाना होगा| साथ ही बीमा भी महंगा होगा| एक राज्य से दूसरे राज्य में माल भेजने के लिए इंटर स्टेट ई-वे बिल का प्रावधान लागू होगा| इसके तहत 50 हजार रुपये से अधिक दाम के माल की ढुलाई के लिए जीएसटी निरीक्षक के समक्ष ई-वे बिल पेश करना होगा| वाहनों पर थर्ड पार्टी इंश्योरेंस प्रीमियम लगभग 50 फीसदी बढ़ जायेगा| सरकारी या गैर सरकारी वेतनभोगियों को इनकम टैक्स के नये नियम के तहत 40 हजार रुपये तक स्टैंडर्ड डिडक्शन की छूट प्राप्त होगी| वही इनकम टैक्स की धारा 87ए में 3.5 लाख रुपये पर 2500 रुपये छूट मिलेगा| इसके अलावा मेडिक्लेम में 50 हजार रुपये की छूट मिलेगी| पहले यह छूट 30 हजार रुपये की थी| नये प्रावधान के तहत अब एक साल की रिटर्न ही फाइल की जायेगी| इससे पूर्व दो साल का समय रहता था|
शेयरों में दीर्घकालिक निवेश अब टैक्स फ्री नहीं रह जायेगा| 2018 के आम बजट में सरकार ने शेयर और इक्विटी म्यूचुअल फंड पर भी 10 प्रतिशत लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स लगाने का एलान किया था, जो एक अप्रैल से अनिवार्य रूप से लागू हो जायेगा| नया नियम बजट घोषणा की तारीख यानी एक फरवरी 2018 से लागू होगा|