नई दिल्ली.आर्मी चीफ जनरल बिपिन रावत ने कहा है कि चीन और पाकिस्तान हमारे लिए खतरा बने हुए हैं। रावत ने चीन या पाकिस्तान का साफ तौर पर नाम तो नहीं लिया लेकिन वेस्टर्न और नॉदर्न बॉर्डर फ्रंट शब्द का इस्तेमाल खतरा बताने के लिए किया। उन्होंने कहा- ये मुमकिन है कि चीन के साथ टकराव का फायदा पाकिस्तान उठाने की कोशिश करे। लिहाजा, हमें दोनों फ्रंट पर जंग के लिए तैयार रहना होगा। और क्या कहा आर्मी चीफ ने... - दिल्ली में एक प्रोग्राम के दौरान स्पीच में रावत ने कहा- चीन धीरे-धीरे हमारी सीमाओं के करीब आने की कोशिश कर रहा है। उसने ताकत दिखाने की कोशिश की है। पाकिस्तान नॉदर्न बॉर्डर पर होने वाले टकराव का फायदा उठाने की कोशिश कर रहा है। इसलिए हमें दो मोर्चों पर जंग के लिए तैयार रहना होगा। - रावत ने कहा- हो सकता है यह टकराव किसी खास इलाके और जगह तक सीमित हों। लेकिन, यह पूरी जंग में भी बदल सकते हैं। क्योंकि, नॉदर्न बॉर्डर पर पैदा होने वाले हालात का फायदा वेस्टर्न बॉर्डर पर उठाने की साजिश रची जाएगी। एटमी ताकत पर क्या कहा? - जनरल रावत ने कहा- ये सही है कि एटमी हथियारों से लैस दो मुल्कों के बीच जंग होना मुश्किल होती है। लेकिन, ये मान लेना कि ऐसा हो ही नहीं सकता, गलत होगा। उन्होंने कहा, " लेकिन यह कहना कि ये युद्ध टाल सकते हैं । ये राष्ट्रों को लडने नहीं देंगे, हमारे संदर्भ में यह कहना सही नहीं भी हो सकता।" - पाकिस्तान का नाम लिए बिना उन्होंने कहा- उस मुल्क से दोस्ती की कोई गुंजाइश नहीं दिखाई देती क्योंकि उनकी सेना ने सरकार और लोगों के मन में यह भर दिया है कि भारत उसका दुश्मन है। वैसे भी प्रॉक्सी वॉर की वजह से टकराव का खतरा हमेशा बना रहता है। पहले भी यही बात कह चुके हैं रावत - रावत ने दो मोर्चों पर जंग की बात पहली बार नहीं कही है। कुछ महीने पहले जम्मू-कश्मीर में आर्मी के एक प्रोग्राम में भी उन्होंने देश को इस खतरे के बारे में आगाह किया था। उन्होंने घुसपैठ में कमी की बात तो मानी थी लेकिन ये भी कहा था कि आतंकी भारत में घुसने की कोशिशें लगातार करते रहते हैं। चीन से हाल में खत्म हुआ है डोकलाम विवाद - भारत और चीन के बीच सिक्किम के डोकलाम में विवाद हाल ही में खत्म हुआ है। जून से अगस्त के आखिर तक करीब 73 दिनों तक दोनों देशों के सैनिक आमने-सामने रहे थे। - विवाद इसलिए शुरू हुआ क्योंकि चीन भूटान के इस इलाके में सड़क बनाना चाहता था और भूटान ने चीन को रोकने के लिए भारत की मदद मांगी थी। यह इलाका सिक्किम से लगा हुआ है और यहां तीनों देशों की सीमाएं मिलती हैं। इसलिए इसे ट्राइजंक्शन भी कहा जाता है। भारत ने चीन को सड़क बनाने से रोक दिया था।