17वीं लोकसभा के पहले सत्र के पांचवें दिन शुक्रवार को लोकसभा की कार्यवाही शुरू होते ही बिहार के मुजफ्फरपुर में मस्तिष्क ज्वर (एक्यूट एनसेफिलाइटिस सिंड्रोम) से बच्चों की हो रही मौत का मामला उठा। इस मसले को राज्यसभा में आरजेडी ने उठाया। राज्यसभा में बच्चों की मौत पर 2 मिनट का मौन रखा गया। अब इस मुद्दे पर 24 जून को राज्यसभा में चर्चा होगी। वहीं लोकसभा में कांग्रेस के अधिर रंजन चौधरी ने भी बच्चों की मौत का मामला उठाया।
दरअसल, एईएस एक वायरल बीमारी है, जो फ्लू जैसे लक्षणों का कारण बनती है। इसमें अधिकतर मामलों में तेज ज्वर और उल्टी, मस्तिष्क की शिथिलता, दौरे और दिल और गुर्दे की सूजन की शिकायतें होती हैं। यह बीमारी 16 जिलों में फैल चुकी है। हालांकि, अपुष्ट खबरों में दावा किया गया है कि यह संख्या 150 पार कर चुकी है।
लोकसभा में राजीव प्रताप रूडी ने इस मुद्दे को उठाया और कहा कि AES में लीची को बदनाम किया जा रहा है। इस कारण लीची व्यापारी प्रभावित हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि बिहार में बच्चों की मौत के बाद लीची का निर्यात घट गया है। लीची किसानों को नुकसान नहीं होना चाहिए। AES पर लीची को दोष देने से काम नहीं चलेगा। उधर बेतिया सांसद संजय जायसवाल ने भी इस मुद्दे को उठाया और मुजफ्फरपुर में बायोलॉजी रिसर्च सेंटर खोलने की मांग की।
आपको बता दें कि बिहार के 16 जिले इस लाइलाज बीमारी की चपेट में हैं। सबसे अधिक अब तक 122 मौत मुजफ्फरपुर जिले में हुई हैं। इसके अलावा भागलपुर, पूर्वी चंपारण, वैशाली, सीतामढ़ी और समस्तीपुर समेत अन्य जिलों से भी मौत के मामले सामने आए हैं। लगातार हो रही बच्चों की मौत के बाबत जब बुधवार को दिल्ली में नीतीश कुमार से सवाल किया गया तो उन्होंने चुप्पी साध ली थी। वही पटना में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार मीडिया पर भड़क गए थे। बिहार में चमकी बुखार से अब तक 175 बच्चों की मौत हो चुकी है और यह आंकड़ा लगातार बढ़ता जा रहा है।