राजद की निगाह में सहयोगियों का रत्ती भर भी महत्व नहीं: राजीव रंजन

रिपोर्ट: इन्द्रमोहन पाण्डेय

पटना : राजद पर सहयोगियों को धोखा देने का आरोप लगाते हुए, भाजपा प्रवक्ता व पूर्व विधायक राजीव रंजन ने कहा “ अपने सहयोगियों का फायदा उठा उन्हें बीच मंझधार में छोड़ देना राजद की हमेशा से नीति रही है, जिसकी सबसे बड़ी शिकार कांग्रेस है. राजद का इतिहास गवाह है कि वह जिस पार्टी के साथ जुड़ी है, उसे गर्त में पहुंचने से कोई नहीं बचा पाया. कांग्रेस को ही देखें तो महज कुछ दशक पहले इनकी बिहार में तूती बोलती थी, लेकिन राजद के चक्कर में फंस कर उन्होंने अपनी ऐसी गत बना ली है कि इनके नेता अपने दम पर पंचायत और वार्ड तक के चुनाव भी नहीं जीत सकते. कांग्रेस के जितने भी जमीनी नेता थे, राजद ने राजनीतिक रूप से उनका खात्मा कर दिया. आज कांग्रेस का हाल यह है कि उसके महत्वपूर्ण पदों पर वही नेता कब्जा जमाते हैं, जिनपर राजद की कृपा होती है. यही कारण है कि राजद से बार-बार बेइज्जती झेलने के बाद भी कांग्रेस, राजद का दामन छोड़ने के बारे में सोच तक नहीं पाती है. कांग्रेस की यह दुर्गति उन सारी पार्टियों के लिए एक सबक है, जो राजद के साथ चुनाव लड़ने के मंसूबे पाल रहे हैं.”

श्री रंजन ने कहा “ खुद को बादशाह समझने वाले राजद के नेता खुद के सामने दूसरों को कुछ समझते ही नहीं. इनकी निगाह में यह खुद राज भोगने के लिए पैदा हुए हैं और इनके बाकी कार्यकर्ता और सहयोगी दल इन्हें राजगद्दी दिलाने में मदद करने के लिए. यही कारण है कि अपने युवराजों के अतिरिक्त इनके नेता किसी को रत्ती भर भी महत्व नहीं देते. बावजूद इसके चाटुकारिता के सहारे अपनी राजनीतिक नैया पार करने की फ़िराक वाले नेता और कुछ राजनीतिक दल इनके इर्द-गिर्द मंडराते रहते हैं, जिससे इनका अहंकार और बढ़ जाता है. बहरहाल जनता इन नेताओं और दलों की मंशा समझती है, इसीलिए इनके सारे प्रपंच जनता के सामने आकर फेल हो जाते हैं. पिछले लोकसभा चुनाव में भी इनकी दाल नहीं गली थी और आगामी विधानसभा चुनाव में भी इनकी और बुरी गत बनने वाली है.”


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