बिहार के लाखो श्रमिक विभिन्न राज्यों के सड़कों एवं फूटपाथों पर भूखे भटकने को विवश : ललन यादव

रिपोर्ट: इन्द्रमोहन पाण्डेय

हर मोर्चे पर विफल सुशासन बाबू को बिहार की जनता देगी करारा जबाब  

कोरोना संक्रमण की रोकथाम को लेकर बनाई गई योजनायें बढ़ा रही है सरकारी फाइलों की शोभा

बिहार के लाखो श्रमिक देश के अलग-अलग हिस्सों में सड़कों एवं फूटपाथों पर भूखे भटकने को विवश 

सरकार की नाकामी के कारण हजारों किलोमीटर लोग पैदल सड़कों एवं रेलवे ट्रैक पर चलने को हैं मजबूर  

पटना : असली देशी पार्टी की माने तो कोरोना वायरस को लेकर जारी लॉकडाउन के कारण उभरे संकटों का समाधान करने में पूरी तरह नाकाम साबित हुई है, बिहार की नीतीश सरकार| पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन यादव ने कहा है कि कोरोना संक्रमण की रोकथाम को लेकर नीतीश सरकार द्वारा बनाई गई सभी योजनायें सरकारी दफ्तर के फाइलों की शोभा बढ़ा रही है| यही नही वैश्विक महामारी कोरोना के खिलाफ लड़ाई में फैसला लेने के लिए बिहार सरकार हमेशा कंफ्यूज नजर आती है| वह चाहे प्रवासी मजदूरों को बिहार लाने का मामला हो या लॉकडाउन में फंसे लोगों को राहत पहुंचाने का मामला हो| बिहार सरकार हर मोर्चे पर फेल हुई है| मुख्यमंत्री ने 11 मई को ही 7 दिनों के अंदर इच्छुक लोगों को बिहार लाने की घोषणा की थी, लेकिन अधिकारियों की उदासीनता के कारण इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठायें गये| नतीजतन, बिहार के लाखो गरीब परिवारों के बच्चें देश के अलग-अलग हिस्सों में भूख से तड़पने को विवश हैं| उन्होंने कहा कि फैक्ट्री के मालिक मजदूरों को वेतन नहीं दे रहे हैं| बिहार के गरीब श्रमिक आर्थिक तंगी के कारण विभिन्न राज्यों के सड़कों एवं फूटपाथ पर भूखे भटक रहे हैं और मदद के लिए टकटकी लगाये हुए हैं|

श्री यादव ने कहा कि कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए सरकार लोगों से सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने की लगातार अपील कर रही है, लेकिन इस विकट परिस्थिति में बाहर फंसे लोगों को अपनों के बीच समूह में रहने की मजबूरी है| पैसे के अभाव में भूख से कही मौत न हो जाए, इस डर के कारण बाहर से समूह में लोग चोरी-चुपके पैदल सड़क, रेलवे-लाइन या मालवाहक वाहनों से अपने घरों तक पहुँच रहे हैं। उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार अधिकारियों के साथ ठंडे घरों में प्रतिदिन समीक्षा बैठक कर अपनी जिम्मेदारियों से बच रहे हैं| जबकि अधिकारियों की लापरवाही के कारण पूरा सरकारी सिस्टम ध्वस्त है| कही से भी लोगों को सरकारी मदद नहीं मिल रही है| लॉकडाउन में शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार के साथ-साथ सभी बुनियादी सुविधाएं नदारद हो गयी है| जन वितरण प्रणाली से जरुरतमंदों को राशन नहीं मिल रहा है और क्वारंटाइन केन्द्र पूरी तरह से बदहाल है| लोग त्राहिमाम हैं| सुशासन बाबू के अधिकारी दवा, आइसोलेशन, कोरोना टेस्ट, पीपीई किट, राशन व्यवस्था से लेकर मजदूरों को लाने की व्यवस्था करने में शिथिलता बरत रहे हैं| 15 वर्षों के सुशासन काल में लड़कियों को फ्री साईकिल मिल गई लेकिन शिक्षा बर्बाद हो गई, बिजली पहुंच गई लेकिन प्रति व्यक्ति आय नहीं बढ़ी। इस प्रकार हर मोर्चे पर बिहार सरकार फिसड्डी साबित हुई है| इस बार होनेवाले चुनाव में बिहार की जनता करारा जबाब देगी|


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