कोविड-19 की नई दवा 2-डीजी की पहली खेप लॉन्च, मरीजों को जल्द होगी उपलब्ध

रिपोर्ट: इन्द्रमोहन पाण्डेय

डीआरडीओ (रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन) की ओर से बनाई गई कोविड-19 की दवा 2-डीजी की पहली खेप को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन ने दिल्ली में लॉन्च किया| यह दवा संक्रमित सेल पर काम करती है| यह कोविड-19 मरीजों के अस्पताल में भर्ती रहने की अवधि भी कम करती है| इस दवा को रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) की प्रतिष्ठित प्रयोगशाला नामिकीय औषिध तथा संबद्ध विज्ञान संस्थान (आईएनएमएएस) ने हैदराबाद के डॉ| रेड्डी लेबोरेटरी के साथ मिलकर बनाया है|

 

इस महीने के प्रथम सप्ताह में रक्षा मंत्रालय ने कहा था कि कोविड-19 के मध्यम लक्षण वाले और गंभीर लक्षण वाले मरीजों पर इस दवा के आपातकालीन इस्तेमाल को भारत के औषधि महानियंत्रक (डीजीसीआई) की ओर से मंजूरी मिल चुकी है| रक्षा मंत्रालय ने आठ मई को एक बयान में कहा था कि 2-डीऑक्सी-डी-ग्लूकोज (2-डीजी) के क्लीनिकल परीक्षण में पता चला है कि इससे अस्पताल में भर्ती मरीजों की ऑक्सीजन पर निर्भरता को कम करने में मदद मिलती है| इस दवा को ऐसे समय मंजूरी दी गई जब भारत कोरोना वायरस की महामारी की दूसरी लहर से घिरा है और देश के हेल्थ इन्फ्रास्ट्रक्चर पर भारी दबाव है|

एक मई को डीसीजीआई ने इस दवा को कोविड-19 के मध्यम और गंभीर लक्षण वाले मरीजों के इलाज के लिए इमरजेंसी इस्तेमाल की मंजूरी दी| दवा में सामान्य मॉलिक्यूल (जिससे दवा बनती है) और ग्लूकोज होने की वजह से इसे भारी मात्रा में देश में ही तैयार और उपलब्ध कराया जा सकता है| इस दवा को कोरोना के इलाज में अन्य दवाओं का सहायक बताया जा रहा है जिसका इस्तेमाल मुख्य इलाज में मदद करने के लिए किया जाता है| 2-डीजी दवा पाउडर के रूप में पैकेट में आती है, इसे पानी में घोल कर पीना होता है| बताया जा रहा है कि यह दवा सुबह-शाम लेनी होगी| अभी कीमतों के बारे में कुछ पता नहीं चल पाया है|

डीआरडीओ की 2-डीजी दवा वायरस से संक्रमित कोशिका (सेल) में जमा हो जाती है और वायरस की वृद्धि को रोकती है| वायरस से संक्रमित कोशिका पर चुनिंदा तरीके से काम करना इस दवा को खास बनाता है| दवा के असर के बारे में कहा जा रहा है कि जिन लक्षण वाले मरीजों का 2डीजी से इलाज किया गया वे जल्दी ठीक हुए| रिसर्च के दौरान पाया गया कि इस दवा से इलाज करने पर मरीजों के इलाज के औसतन समय के मुकाबले 2|5 दिन कम समय लगा| क्लीनिकल ट्रायल के नतीजों के मुताबिक इस दवा से अस्पताल में भर्ती मरीज जल्दी ठीक हुए और उनकी ऑक्सीजन पर निर्भरता भी कम हुई| 2-डीजी से इलाज कराने वाले अधिकतर मरीज आरटी-पसीआर जांच में निगेटिव आए|

अप्रैल 2020 में महामारी की पहली लहर के दौरान आईएनएमएएस-डीआरडीओ के वैज्ञानिकों ने हैदराबाद स्थित सेंटर फॉर सेल्यूलर ऐंड मॉलिक्यूल बायोलॉजी के साथ मिलकर लैब में प्रयोग किया और पाया कि ये मॉलिक्यूल सार्स कोव-2 वायरस के खिलाफ कारगर हैं और वायरस के संक्रमण को बढ़ने से रोकते हैं| रिसर्च के नतीजों के बाद डीसीजीआई के केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) ने मई 2020 में 2-डीजी के कोविड-19 मरीजों पर दूसरे चरण का ट्रायल करने की मंजूरी दी|

दवा के प्रभाव और सुरक्षा की जांच करने के बाद मई से अक्टूबर 2020 तक दूसरे चरण का टेस्ट किया गया और पाया गया कि सुरक्षित होने के साथ-साथ कोविड-19 मरीजों के ठीक होने भी मदद करता है| वही दिल्ली, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, राजस्थान, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक और तमिलनाडु के अस्पतालों में किये गये तीसरे चरण के क्लीनिकल ट्रायल के आंकड़े डीसीजीआई के सामने रखे गए| नतीजों के मुताबिक 2-डीजी दवा से लक्षण वाले मरीजों में अच्छा सुधार हुआ और तीसरे दिन से ही इस दवा से ऑक्सीजन निर्भरता (31 प्रतिशत के मुकाबले 42 प्रतिशत) पूरी तरह से समाप्त हो गई| इसी तरह का सुधार 65 साल से अधिक उम्र के मरीजों में भी देखने को मिला|

 


Create Account



Log In Your Account