बिहार में अंतर्कलह को खत्म कर जनाधार मजबूत बनाने की कवायद में जुटी कांग्रेस

रिपोर्ट: Ramesh Pandey

पटना : 2019 में लोकसभा और 2020 में होनेवाले बिहार विधानसभा के चुनाव को ध्यान में रखते हुए   कांग्रेस पार्टी ने अपने नये सियासी प्लान को बिहार में मूर्त रूप देना शुरू कर दिया है| इसके तहत सबसे पहले कांग्रेस ने पार्टी के तेज-तर्रार नेता शक्ति सिंह गोहिल को बिहार का प्रभारी बनाया| शक्ति सिंह ने बिहार आते ही पार्टी की स्थिति को समझा और उन्हें यह पता चल गया कि काम थोड़ा कठिन है| बिहार में पार्टी अंदरूनी गुटबाजी से जूझ रही है| शक्ति सिंह गोहिल ने बिहार में पार्टी नेताओं के साथ हुई बैठक में यह साफ कर दिया कि स्थानीय नेताओं को पार्टी द्वारा तय किये हुए कार्यक्रम के अनुसार चलना है| दूसरी ओर केंद्रीय नेतृत्व का यह भी संदेश है कि बिहार में पार्टी महज राजद की पीछे खड़ी रहने वाली पार्टी बनकर नहीं रह जाये| राहुल गांधी के निर्देश के मुताबिक बिहार में कांग्रेस के सभी नेताओं के कार्यों की विशेष निगरानी की जायेगी और उसकी मॉनेटरिंग रिपोर्ट भी बनेगी| पार्टी पूरी तरह बिहार में अपने को झोक देने के लक्ष्य को लेकर चार प्रभारी सचिवों की नियुक्ति भी करने जा रही है|

 

सूत्रों के मुताबिक लालू यादव से मुलाकात में यह बात तय हुई है कि कांग्रेस बिहार में अगड़ी जातियों पर फोकस करे| लालू ने यह निर्देश दिया है कि कांग्रेस अपना प्लान तैयार कर बीजेपी में चले गये मतदाताओं को वापस लाने पर अपना फोकस केंद्रीत करे| 



बिहार प्रभारी ने केंद्रीय नेतृत्व के निर्देश पर सभी जिलाध्यक्षों की बैठक करने के बाद प्लान 2019 तैयार किया है| पहला लक्ष्य 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव में पार्टी का प्रदर्शन बेहतर से बेहतर करना है| निर्देश साफ है कि आने वाले विधानसभा चुनाव के साथ आगामी लोकसभा में भी पार्टी का प्रदर्शन बेहतर होना चाहिए| हाल में राहुल गांधी और लालू यादव की मुलाकात की कुछ बातें भी पार्टी के वरिष्ठ नेताओं तक पहुंचा दी गयी हैं|

फिलहाल केंद्रीय नेतृत्व की नजर में बिहार में पार्टी की कारगुजारी पर टिका हुआ है| पार्टी सूत्रों की मानें, तो लालू से मुलाकात के बाद राहुल की ओर से बिहार के नेताओं को कुछ स्पष्ट निर्देश जारी किये गये हैं| जिनमें कांग्रेस को अपने-आपको मजबूत करने में सबसे ज्यादा ध्यान देने की बात कही गयी है| 

पार्टी सूत्रों की मानें, तो बिहार में जिलों को बांट दिया गया है| सूबे के वैसे जिले चिह्नित किये गये हैं, जहां पार्टी की ओर से मजबूत जिलाध्यक्ष नहीं हैं| वह कई बार राजनीतिक रूप से विरोधियों के सामने कमजोर पड़ जाते हैं| इसलिए उन्हें बदलकर विश्वासपात्रों को पद देने की बात कही जा रही है| साथ ही 27 में से 17 विधायकों को नयी जिम्मेदारी देने की बात कही जा रही है| पार्टी नेताओं को केंद्रीय नेतृत्व द्वारा तय की गयी जिम्मेदारी के तहत सियासी रूप से कमजोर जिलों को पार्टी नेताओं को सौंपा जायेगा और वह उसे मजबूत करेंगे| विधायकों को इस अभियान में शामिल किया जायेगा| पार्टी में अंदरूनी खींचतान को बढ़ावा देने वाले नेताओं को चिह्नित किया जायेगा, ताकि उन्हें केंद्रीय नेतृत्व के स्पष्ट निर्देश से अवगत कराकर सुधारा जा सके या फिर पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाया जा सके| 



 


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