जल-जीवन-हरियाली अभियान के जागरूकता कार्यक्रम का मुख्यमंत्री ने किया शुभारंभ

रिपोर्ट: इन्द्रमोहन पाण्डेय

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सम्राट अशोक कन्वेंशन केंद्र स्थित बापू सभागार में बिहार पृथ्वी दिवस के अवसर पर आयोजित जल-जीवन-हरियाली अभियान के जागरूकता कार्यक्रम का दीप प्रज्ज्वलित कर शुभारंभ किया।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि आज बिहार पृथ्वी दिवस के अवसर पर जल-जीवन-हरियाली अभियान के जागरूकता कार्यक्रम की शुरुआत की जा रही है। आप सबको मालूम है कि आज अगस्त क्रांति दिवस है। हमलोगों ने वर्ष 2011 से इसी दिन बिहार पृथ्वी दिवस का आयोजन शुरू किया था जिसका उद्देश्य पृथ्वी का संरक्षण एवं इसमें जन सहभागिता को बढ़ाना है। आज हमलोगों ने पृथ्वी को हरा-भरा एवं स्वच्छ बनाने के लिए 11 सूत्री संकल्प लिया है। उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन एवं पर्यावरण संकट से जो स्थिति उत्पन्न हुई है उसके लिए हमलोगों ने एक विशेष अभियान चलाया है और एक विशेष कार्य योजना बनाई जा रही है। उन्होंने कहा कि जल-जीवन-हरियाली से संबंधित कार्य योजना के बारे में मुख्य सचिव ने विस्तारपूर्वक बताया है।

वनों के महत्व से संबंधित मुख्यमंत्री ने कविता की कुछ पंक्तियां पढ़ते हुये कहा -“तुम याद करो कैसे वन में खुले ठहाके भरते थे, शेरों को डांटा करते थे, चिड़ियों से बातें करते थे...सुख दुःख में साथ निभाते थे, कैसे फिर याद कराएंगे” आगे की पंक्तियों में उन्होंने कहा कि ‘बादल को मोहब्बत है जिनसे, पेड़ लगाओ जल के लिए, बच्चों से मोहब्बत है तुझको, तो पेड़ लगाओ कल के लिए’ आने वाली पीढ़ियों के बच्चे तेरा गुण गायेंगे’। इसकेे आगे उन्होंने कहा- ‘आमों की चाहत है मन में तो पेड़ों से कैसी दूरी है, गुरुजन कहते हैं फल पाना है तो कर्म किये जाना है, यह मर्म है सारे धर्मों का यह सबको समझाना है’। मुख्यमंत्री ने कहा कि इस गीत के एक-एक वाक्य के महत्व को समझना होगा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि जिस ढंग से दुनिया विकास के नाम पर वृक्षों की कटाई कर रही है, उससे पर्यावरण पर संकट पैदा हो रहा है। एक फिल्म के माध्यम से बेहतर ढंग से अभी इसे दिखाया गया है। राज्य में पहले जहां वर्षापात 1200 से 1500 मि0मी0 था, पिछले 30 वर्षों में राज्य का औसत वर्षापात 1027 मि0मी0 रिकाॅर्ड किया गया है, जबकि पिछले 13 वर्षों में राज्य का औसत वर्षापात 900 मि0मी0 रह गया है। पिछले वर्ष तो वर्षापात 771 मि0मी0 था। नेपाल की तराई एवं उत्तर बिहार के सीमावर्ती जिलों में अचानक तेज बारिश से फ्लैश फ्लड की स्थिति बनी और बाढ़ आयी। इसी वर्ष किशनगंज में 04 दिनों में 500 मि0मी0 वर्षा हुई। उन्होंने कहा कि वर्षा की अनियमितता, वज्रपात और लू की स्थिति की वजह पर्यावरण में हो रहा बदलाव है। इस वर्ष राज्य में एक तरफ बाढ़ की स्थिति बनी तो दूसरी तरफ सुखाड़ की स्थिति बन रही है। इन सब परिस्थितियों से निपटने के लिए हमलोगों ने जून एवं जुलाई माह में बैठकें की थीं और फिर 18 अगस्त को इस संबंध में बैठक करेंगे। पिछले वर्ष कई प्रखंडों को सूखाग्रस्त घोषित किया गया था। राज्य में आपदा की स्थिति में आपदा पीड़ितों की हमलोग पहले सहायता करते हैं। हम शुरू से कहते आयें हैं कि राज्य के खजाने पर पहला अधिकार आपदा पीड़ितों का है। उन्होंने कहा कि ग्लोबल वार्मिंग से काफी गर्मी बढ़ रही है इससे पृथ्वी पर खतरा उत्पन्न हो रहा है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि 13 जुलाई 2019 को सभी पार्टी के विधायकों एवं विधान पार्षदों की जलवायु परिवर्तन के संबंध में संयुक्त बैठक हुई थी, जिसमें सभी लोगों के बीच इस बात पर सहमति बनी थी कि पर्यावरण संरक्षण के लिए व्यापक जन अभियान चलाया जाए, साथ ही एक विस्तृत कार्य योजना बनाकर काम किया जाए। मुख्यमंत्री ने कहा कि हमलोग जल-जीवन-हरियाली अभियान की शुरुआत कर रहे हैं। इसके लिए व्यापक कार्य योजना बनाई जा रही है। उन्होंने कहा कि चाहे मनुष्य हो, पशु पक्षी या अन्य जीव हो सबका जीवन, जल और हरियाली पर निर्भर करता है। उन्होंने कहा कि इसके लोगो पर लिखा है- जल-जीवन-हरियाली होगी, तभी होगी खुशहाली। जल है, हरियाली है तभी जीवन है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि बिहार के बंटवारे के बाद राज्य का वन क्षेत्र 7 प्रतिशत रह गया था। सरकार में आने के बाद सर्वे से पता चला कि राज्य का हरित आवरण क्षेत्र 9.7 प्रतिशत था। राज्य में पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए बिहार पृथ्वी दिवस, वन महोत्सव मनाया जाता है। हरियाली मिशन की शुरूआत की गयी। राज्य में हरित आवरण क्षेत्र को बढ़ाने के लिए 24 करोड़ पौधे लगाने का लक्ष्य रखा गया जिसमंे 19 करोड़ पौधे लगाये गये। हमलोग हरित आवरण के 17 प्रतिशत के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए काम कर रहे हैं। अगले एक साल में डेढ़ करोड़ पौधे लगाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। सड़कों के किनारे, बांध, तालाब, पोखर, पईन, आहर के किनारे वृक्ष लगाने की योजना है और उसके लिए काम किया जा रहा है। सड़कों के किनारे वृक्ष लगेंगे तो कितना अच्छा दृष्य होगा। हमने सड़कों एवं पुलों के निर्माण के साथ-साथ उसके मेंटेनेंस के लिये भी नियम बना दिया है। वृक्षों को लगाने के साथ-साथ उसका रख-रखाव भी किया जायेगा। उन्होंने कहा कि सौर ऊर्जा अक्षय ऊर्जा है वह सदैव कायम रहने वाली है। जब तक सूर्य और पृथ्वी रहेगी यह ऊर्जा कायम रहेगी। लोगों को यह बात समझनी होगी। सभी सरकारी भवनों की छतों पर सोलर प्लेट लगाये जा रहे हैं। निजी भवनों पर भी सोलर प्लेट लगाने के लिये लोगों को प्रेरित किया जायेगा।

मुख्यमंत्री आवास में भी हरित आवरण क्षेत्र बढ़ाने के लिये कई पौधे लगाये गये हैं। सभी सरकारी भवनों में रेन वॉटर हार्वेस्टिंग के लिए काम किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि जल के संरक्षण के लिए सबको मिल जुलकर काम करना होगा। जल-जीवन-हरियाली का मतलब है जल और हरियाली के बीच जीवन। जल-जीवन-हरियाली अभियान को सफल बनाने के लिये सबको मिलकर काम करना होगा। उन्होंने कहा कि पारंपरिक जलस्रोेतों के संरक्षण के साथ-साथ नये जल स्रोतों का प्रबंध करना, स्वायल कनजर्वेषन, मौसम अनुकूल फसल चक्र, ड्रीप इरिगेषन, जैविक खेती को बढ़ावा देना, मिट्टी की गुणवत्ता को बढ़ाने के लिये हमें काम करना है। उन्होंने कहा कि जितनी जरूरत हो उतनी ही बिजली का उपयोग करें, जल के दुरूपयोेग से भी बचें। राज्य में सोलर प्लांट लगाये जा रहे हैं ताकि सौर ऊर्जा को बढ़ावा मिल सके।

मुख्यमंत्री ने कहा कि हमलोग पूरी प्रतिबद्धता के साथ काम कर रहे हैं। सभी जन प्रतिनिधि जो वीडियो काॅस्टिंग के माध्यम से जुड़े हैं चाहे वे नगर निकाय एवं पंचायती स्तर के जन प्रतिनिधि हों, साथ ही सभी अधिकारियों एवं लोगों से अपील करता हॅू कि एकजुट होकर इस अभियान को सफल बनायें। लोगों में इसके लिये जन जागृति लानी होगी। उन्होंने कहा कि जन सेवा ही मेरा धर्म है। पूरी प्रतिबद्धता के साथ हम जन सेवा के कार्य में लगे हैं। बापू का कथा वाचन स्कूलों में कराया जाता है। सभी सरकारी भवनों में गांधी जी द्वारा बताये गये सात सामाजिक पापों की चर्चा की गयी है। इन सब चीजों पर लोग ध्यान दें। बापू ने कहा था कि पृथ्वी लोगों की जरूरतों को पूरा करने में सक्षम है लेकिन लालच को नहीं। इस बात पर भी गौर करने की जरूरत है कि जितनी जरूरत हो उसी के बारे में सोचें, मन में लालच की बात से बचें। उन्होंने कहा कि जल-जीवन-हरियाली अभियान के लिये कार्य योजना बनायी जा रही है और इसे मिशन मोड में किया जायेगा। 
कार्यक्रम के दौरान एक पर्यावरण गीत की प्रस्तुति की गई। पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन पर आधारित एक फिल्म के साथ-साथ कटते वृक्ष की व्यथा पर एवं वर्षा जल संचयन पर आधारित लघु फिल्म का भी प्रदर्शन किया गया। इस अवसर पर धरती को हरा-भरा एवं स्वच्छ बनाने के लिए 11 सूत्री संकल्प दिलाया गया। इस मौके पर मुख्यमंत्री ने जल-जीवन-हरियाली अभियान के ‘लोगो’ का भी लोकार्पण किया।

 


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