कब, क्यों और कैसे अंग्रेजी में बोलते हैं मोदी

रिपोर्ट: साभारः

गुजरात में आयोजित वाइब्रेंट गुजरात समिट के उद्घाटन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अंग्रेजी में भाषण दिया। मोदी की यह स्पीच लगभग 11 पेज लंबी थी। मोदी के भाषण से मेहमान मंत्रमुग्ध हो गए। हिंदी और गुजराती में शानदार वक्ता माने जाने वाले मोदी ने अंग्रेजी में भी शानदार भाषण देकर लोगों को हैरान कर दिया। टीवी पर देखने वालों को तो अहसास भी नहीं हुआ कि मोदी लिखा हुआ भाषण नहीं दे रहे हैं। कैसे दिया अंग्रेजी में भाषण ऐसा पहली बार नहीं है कि मोदी ने फर्राटेदार अंग्रेजी में भाषण दिया हो। इससे पहले भी वह कई मौकों पर अंग्रेजी बोल चुके हैं। मोदी के अंग्रेजी भाषणों के पीछे एक ऐसी तकनीकी है जिसका इस्तेमाल दुनिया के कई बड़े नेता करते हैं। इस टेक्नॉलजी का नाम है \'स्पीच टेलिप्रॉम्प्टर\'। अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा इस टेक्नॉलजी का भरपूर उपयोग करते हैं। जहां मोदी हिंदी और गुजराती में बिना लिखे भाषण देने में माहिर हैं, ओबामा अक्सर अंग्रेजी में छोटे आधिकारिक भाषणों में भी टेलिप्रॉम्पटर की मदद लेते हैं। कैसे काम करता है टेलिप्रॉम्पटर टेलिप्रॉम्पटर में स्पीच देने वाले व्यक्ति के सामने ग्लास को इस तरह सेट किया जाता है कि वह दर्शकों को दिखाई नहीं देता। अगर यह दिखाई दे भी तो पारदर्शी नजर आता है। श्रोताओं को ग्लास पर आ रहे शब्द नहीं, बल्कि स्पीच देने वाले व्यक्ति का चेहरा ही दिखाई देता है, जबकि बोल रहे व्यक्ति को शब्द बिल्कुल स्पष्ट दिखाई देते हैं। स्पीच को ऑपरेट करने के लिए एक व्यक्ति होता है। वह प्रॉम्पटर में दिखाई दे रहे शब्दों के बोले जाते ही उसे आगे बढ़ाता जाता है। वैसे टेलिप्रॉम्पटर का उपयोग लंबे समय से किया जाता रहा है लेकिन इन दिनों ग्लास टेलिप्रॉम्पटर के इस्तेमाल से स्पीच अधिक प्रभावी और बिना तैयारी के लगती है। क्यों दिया अंग्रेजी में भाषण मोदी हिंदी में अपनी बात रखने में माहिर हैं लेकिन फिर भी कई बार वह देश और विदेश में अंग्रेजी बोलने से परहेज नहीं करते। इसके पीछे उनका मकसद है कि दर्शकों और मौके को ध्यान में रखते हुए संदेश को अधिक गहराई से पहुंचाया जा सके। वाइब्रेंट गुजरात समिट ऐसा ही मौका था जहां अधिकतर दर्शक विदेशों से आए लोग थे, ऐसे में मोदी ने अंग्रेजी को ही चुना। पहले भी बोल चुके हैं अंग्रेजी में मोदी शुरु में हिंदी में बोलना पसंद करते थे और उनका भाषण का साथ-साथ अनुवाद किया जाता था। सूत्रों के अनुसार, मोदी को लगता रहा कि अनुवाद के जरिए उनकी बातें सही तरीके से सुननेवालों तक नहीं पहुंच रहीं। ऐसे में प्रॉम्पटर के इस्तेमाल का फैसला किया गया। मोदी ने सबसे पहले अंग्रेजी भाषण पीएसएलवी के लॉन्च के मौके पर इसरो में दिया था। सितंबर में इसरो साइंटिस्ट्स को मंगलयान की कामयाबी पर बधाई भी उन्होंने अंग्रेजी में ही दी। दोनों भाषण टेलिप्रॉम्पटर की मदद से दिए गए थे। इसरो वैज्ञानिकों में अधिकतर नॉन-हिंदी राज्यों से हैं और मोदी उन तक सीधे संदेश पहुंचाना चाहते थे। विदेशों में भी अंग्रेजी यूएन जनरल असेंबली में हिंदी बोलने वाले मोदी विदेश यात्राओं पर भी खूब अंग्रेजी बोल रहे हैं। मोदी ने ब्रिक्स समिट में अंग्रेजी में भाषण पढ़ा, अमेरिका के सेंट्रल पार्क में लाखों को टेलिप्रॉम्पटर की मदद से अंग्रेजी में संबोधित किया, ऑस्ट्रेलिया व फिजी दौरों पर भी कई कार्यकर्मों में अंग्रेजी बोली। टेलिप्रॉम्प्टर पर बोलने में भी माहिर हैं मोदी मोदी भाषणों के दौरान अपने हाव-भाव और हाथों के इशारों के लिए जाने जाते हैं। अंग्रेजी में भाषणों के दौरान वह इसका ध्यान रखते हैं। अंग्रेजी में बोलते वक्त वह अपने दोनों ओर रखे टेलिप्रॉम्पटर की ओर बारी-बारी से सिर घुमाते रहते हैं और टीवी ऑडियंस को पता भी नहीं चलता कि वह लिखा हुआ भाषण पढ़ रहे हैं। वैसे मोदी अंग्रेजी में बेहतर भी हो रहे हैं। इसका नजारा जी20 समिट के दौरान दिखा जब वह बिना किसी मदद के विदेशी नेताओं के साथ छोटी-मोटी बातचीत करते और मजाक करते दिखे।


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