पटना: परिवहन विभाग के निर्देश के बाद राजधानी पटना सहित बिहार के सभी पेट्रोल पंपों पर जल्द ही चरणबद्ध तरीके से प्रदूषण जांच केन्द्र खोले जाएंगे। परिवहन विभाग ने बढ़ते प्रदूषण को नियंत्रित करने की दिशा में यह निर्णय लिया है। पहले चरण में जहाँ प्रदेश के शहरी क्षेत्रों में प्रदूषण जांच केन्द्र खोले जाएंगे। वाहनों के कारण शहरों में बढ़ते प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने सभी पेट्रोल पंपों में प्रदूषण जांच केन्द्रों की स्थापना का आदेश दिया है। इसी आदेश के क्रियान्वयन के लिए परिवहन विभाग ने सभी पंपों पर प्रदूषण जांच केन्द्र खोलने का निर्देश दिया है।
गौरतलब है कि राजधानी पटना के शहरी क्षेत्रों के 55 पेट्रोल पंपों में से मात्र छह पर प्रदूषण जांच केन्द्र काम कर रहे हैं। जबकि कुल केन्द्रों की संख्या 60 के करीब है। पूरे राज्य में प्रदूषण जांच केन्द्रों की संख्या 250 के करीब है। इसमें काफी कम केन्द्र ही पंपों पर काम कर रहे हैं।
केन्द्रों को लाइसेंस देने में आ रही परेशानियों को देखते हुए राज्य परिवहन आयुक्त को प्रतिदिन इसकी मॉनिटरिंग करने का निर्देश दिया गया है। इसके साथ ही हर हफ्ते केन्द्रों की स्थापना की समीक्षा भी की जाएगी। विभाग तकनीकी कर्मियों की कम संख्या को देखते हुए आईटीआई योग्यताधारियों को तैनात करने पर विचार कर रहा है। अभी तक इन केन्द्रों पर नियुक्त होने वाले कर्मचारियों की योग्यता मैकेनिकल, इलेक्ट्रिकल या आटोमोबाइल इंजीनियरिंग में डिग्री या डिप्लोमा है।अभी प्रदेश में इंडियन ऑयल, हिन्दुस्तान पेट्रोलियम के अलावा भारत पेट्रोलियम सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियां हैं, जबकि एसार और रिलायंस निजी क्षेत्र की कंपनी है।
पटना, मुजफ्फरपुर और गया राज्य के सबसे प्रदूषित शहरों में हैं। इन शहरों में कुल प्रदूषण का एक चौथाई यानी 25 फीसदी प्रदूषण वाहनों के कारण होता है। राज्य सरकार प्रदूषण को कम करने के लिए पहले ही 15 साल से पुराने वाहनों के परिचालन पर रोक लगा चुकी है। बावजूद इसके राजधानी पटना सहित बिहार के अन्य कई बड़े शहरों में बेहिचक 15 साल से अधिक पुराने वाहन सड़कों पर फर्राटे भर रहे हैं|