कर्मयोग, ज्ञानयोग और भक्तियोग का मेल है क्रिया योग : परमहंस प्रज्ञानंद

रिपोर्ट: रमेश पाण्डेय

पटना के नृत्य कला मंदिर सभागार में प्रज्ञान मिशन पटना शाखा द्वारा आयोजित क्रिया योग सत्संग में बोलते हुए परमहंस प्रज्ञानंद जी ने कहा है कि भारत के प्राचीन कालीन ऋषियों ने अष्टांग योग का अभ्यास कर स्वयं को माया मोह से मुक्त हो सत्य का अनुभूति किया। उन्होंने ने कहा कि क्रिया योग सभी योगों का सार है जिसका सरल अर्थ है मिलान करना, जोड़ना। उन्होंने ने बताया कि पारिवारिक जीवन में रहकर भी क्रिया योग के माध्यम से इश्वर को प्राप्त किया जा सकता है और इसके अनेक ऐसे उदाहरण भी है। भौतिक धरातल पर योग से अच्छा कोई साधन नहीं है जिससे स्वास्थ्य, एकाग्रता एवं शांति दे सके। उन्होंने कहा कि भारत योगों का देश है और आज पूरा विश्व इसे मानते हुए योग को अपना रहा है। भारत का ही देन है कि अब विश्व योग दिवस मनाया जा रहा है।

परमहंस प्रज्ञानानंद जी ने बताया कि पूरे विश्व में 330 से अधिक क्रिया योग की शाखाएं काम कर रहा है। उन्होंने ने दावा किया कि क्रिया योग एक ऐसी योग साधना है जिससे जागतिक चेतना सरलता से दिव्य चेतना में परिवर्तित हो जाती है। परमहंस प्रज्ञानानंद जी ने कहा कि वेदांत शास्त्रों में कहा गया है कि क्रिया योग वेदांत उपनिषदों एवं गीता का प्रायोगिक भाग है। क्रिया योग तीनों योगा का मेल है कर्मयोग, ज्ञानयोग, भक्तियोग। वेदांत के उपदेशों का सार क्रिया योग अभ्यास के माध्यम से अनुभूत किया जा सकता है। सभी योग एवं साधनों का उद्देश्य साधक को अंतर्मुखी बनाना है एवं क्रिया योग तकनीक इस प्रक्रिया को तीव्र बनाती है।

भारत गांवों का देश है| यहां की संस्कृति पूरी तरह से गंवई माहौल पर आधारित होती है। गुरु जी इसका पूर्णतः पालन भी करते हैं। कहते हैं दुनिया में सबसे बड़ी सेवा गौ-माता की सेवा है। इसलिए हर किसी को गौमाता की सेवा करनी चाहिए। यही वो मां है जो जन्म देने वाली माता के बाद हमारा पेट भरने का काम करती है। दूध जिसे धरती का अमृत कहा जाता है, वो इसी गौ-माता से प्राप्त होती है। 

समाज में अक्सर देखा जाता है कि जब तक गाय दूध देती है लोग अपने पास रखते हैं वरना उसे आवारा पशुओं की तरह विचरण करते हैं उन गाय, बैलों को अपने यहां रखने का काम करते हैं और उनकी सेवा करते हैं। कहते हैं जब तक इंसान के अंदर समर्पण और सेवा का भाव नहीं वो कदापि इंसान की श्रेणी में खड़ा नहीं हो सकता है। इसलिए हर आदमी को इंसान के साथ गौ-माता की भी सेवा करनी चाहिए।

विश्व के अनेक देशों के साथ ही भारत के विभिन्न भागों में क्रिया योग के प्रसारार्थ सघन भ्रमण करते हुए  गुरु परमहंस प्रज्ञानानंद जी  के साथ समर्पणानंद जी महाराज, परिपूर्णानंद जी महाराज भी पटना पधारे थे| कार्यक्रम में शहर के सैकड़ों प्रबुद्ध एवं परमहंस प्रज्ञानंद के अनुयायी उपस्थित थे।


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