कश्मीर में आतंकियों का साथ छोड़कर भारतीय सेना का साथ देने वाले लांस नायक नजीर वानी को मरणोपरांत अशोक चक्र से नवाजा गया है| यह सम्मान उन्हें गणतंत्र दिवस समारोह के अवसर पर दिया जाएगा जिसे उनके परिजन लेंगे|यहां चर्चा कर दें कि वानी घाटी में आतंकियों के साथ हुई एक मुठभेड़ में शहीद हुए थे| तब उन्होंने दो आतंकियों को मौत के घाट उतारा था| अशोक चक्र शांति के समय सेना की ओर से दिया जाने वाला सर्वोच्च पुरस्कार है| इस बाबत राष्ट्रपति के सचिवालय की ओर से प्रेस रिलीज जारी की गयी है जिसमें कहा गया है कि लांस नायक नजीर अहमद वानी ने अपनी बहादुरी का परिचय देते हुए दो आतंकियों को ढेर कर दिया और साथ ही उन्होंने अपने घायल साथियों को सुरक्षित बाहर निकालने का काम किया| ऐसा करने के क्रम में वे शहीद हो गये|
गौर हो कि लांस नायक नजीर अहमद वानी, कुलगाम के गांव अश्मुजी के निवासी थे| उनकी बहादुरी के कारण उनके गांव के लोगों का सिर गर्व से ऊंचा है| बताया जाता है कि शुरुआत में एक आतंकी रहे नजीर अहमद वानी को हिंसा निरर्थक लगने लगी थी और इसके बाद उन्होंने सेना में शामिल होने का फैसला किया| शहादत के बाद जिस समय वानी का अंतिम संस्कार हो रहा था, उस समय वहां पर में 500 से 600 तक गांववाले उन्हें आखिरी विदाई देने के लिए पहुंचे थे| शहीद को 21 बंदूकों की सलामी भी दी गयी थी|
वानी के गांव की बात करें तो यह कोइनमूह जैसे इलाके से घिरा हुआ है, जो आतंकी गतिविधियों का गढ़ माना जाता है| वानी साल 2004 में टेरिटोरियल आर्मी की 162वीं बटालियन में शामिल हुए और उन्होंने सेना में अपना करियर शुरू किया