वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा - सरकार बैंकों में डालेगी 83 हजार करोड़ रुपये की पूंजी

रिपोर्ट: साभार

केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा है कि चालू वित्त वर्ष के बचे हुए महीनों में सरकारी बैंकों में 83,000 करोड़ रुपये का निवेश किया जाएगा। उन्होंने कहा कि वित्त वर्ष 2018-2019 में बैंकों में 42 हजार करोड़ रुपये का पूंजी निवेश होगा और यह पूंजी पीसीए में जा सकने वाले बैंकों को भी दी जाएगी। वित्त मंत्री ने कहा, 'यह पूंजी बेहतर वित्तीय स्थिति वाले बैंकों को दी जाएगी।' इससे चालू वित्त वर्ष में बैंकों में 65,000 करोड़ रुपये के बजाय कुल 1.06 लाख करोड़ रुपये की पूंजी डाली जायेगी. जेटली ने संवाददाताओं से कहा कि पूंजी डाले जाने से सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की कर्ज देने की क्षमता बढ़ेगी और आरबीआई के तत्काल सुधारात्मक कार्रवाई (पीसीए) रूपरेखा से बाहर निकलने में मदद मिलेगी. उन्होंने कहा कि बैंकों की कर्ज देने की क्षमता में हुआ सुधार हुआ है और सरकारी बैंकों ने हर पैमाने पर बेहतर प्रदर्शन किया है। पहली छमाही में बैंकों ने 60,726 करोड़ की रिकवरी की।' 

केंद्रीय वित्तीय मामलों के सचिव राजीव कुमार ने कहा, 'तीन बैंक पीसीए के थ्रेसहोल्ड 1 के दायरे में हैं और 4-5 बैंकों को इस साल अतिरिक्त पूंजी दी जाएगी। 4-5 बैंकों के पीसीए के दायरे से बाहर निकलने की उम्मीद है।' पीसीए की व्यवस्था के तहत बैंकों से कुछ रिस्की गतिविधियों से परहेज करने, कामकाजी दक्षता बढ़ाने और पूंजी की हिफाजत पर जोर देने के लिए कहा जाता है। हालांकि कई बैंकरों को डर है कि पीसीए प्रोग्राम लंबे समय तक चलने से बड़े और कर्ज पाने की पात्रता रखने वाले क्लाइंट्स छिटक सकते हैं और ये बैंक कहीं ज्यादा कमजोर हो सकते हैं। 

वही वित्त मंत्री ने आगे कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में फंसे कर्ज (एनपीए) की पहचान का काम पूरा हो चुका है और एनपीए में कमी आनी शुरू हो गयी है. उन्हाेंने उम्मीद जतायी कि जल्द ही 4-5 बैंक पीसीए के दायरे से बाहर निकल जायेंगे. भारतीय रिजर्व बैंक ने कुल 11 सरकारी बैंकों को पीसीए के दायरे में रखा है. उन्होंने कहा है कि यह पूंजी न सिर्फ आरबीआई की पाबंदी झेल रहे बैंकों में ही डाली जायेगी, बल्कि कुछ ऐसे सरकारी बैंकों में भी डाली जायेगी, जिनपर आने वाले समय में आरबीआई बड़े लोन देने पर पाबंदी लगा सकता है. केंद्रीय वित्तीय मामलों के सचिव राजीव कुमार ने कहा, तीन बैंक पीसीए के थ्रेसहोल्ड 1 के दायरे में हैं और 4-5 बैंकों को इस साल अतिरिक्त पूंजी दी जायेगी. पीसीए की व्यवस्था के तहत बैंकों से कुछ गतिविधियों से परहेज करने, कामकाजी दक्षता बढ़ाने और पूंजी की हिफाजत पर जोर देने के लिए कहा जाता है.

सरकार का मानना है कि पीसीए के तहत इन बैंकों को डालने से लेनदेन लायक काफी नकदी फंस गई है। ये बैंक मुख्य तौर पर रिटेल, मॉर्गेज और छोटे लोन तक सीमित रह गए हैं और क्रेडिट क्रिएशन में भागीदार नहीं बन पा रहे हैं। पीसीए में आए ये 11 बैंक भारत की बैंकिंग इंडस्ट्री का करीब एक चौथाई हिस्सा हैं और इनका आकार देश के समूचे नॉन-बैंकिंग फाइनेंस कंपनी सेक्टर (हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों को छोड़कर) के लगभग बराबर है। 

 


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